कभी बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘सिंगूर आंदोलन’ से अपनी पहचान बनाई थी। अब से 17 साल पहले ममता बनर्जी ने सिंगूर में आंदोलन किया था और इसका असर यह हुआ था कि टाटा ने अपनी नैनो परियोजना को वापस ले लिया था और यह गुजरात शिफ्ट हो गया था। ममता बनर्जी 2011 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने बुधवार को पहली बार टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन से मुलाकात की। माना जा रहा है कि यह मुलाकात टाटा ग्रुप और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता के बीच संबंधों में सुधार का संकेत देता है।
एक्स पर एक पोस्ट में टीएमसी ने कहा, “ममता बनर्जी ने टाटा संस और टाटा समूह के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन के साथ बंगाल के औद्योगिक विकास और उभरते अवसरों पर रचनात्मक बातचीत की। यह बैठक सार्थक पब्लिक-प्भाप्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने की बंगाल की प्रतिबद्धता को दर्शाती है जो इनोवेशन, निवेश और समावेशी विकास को बढ़ावा देती है।”
17 साल पहले, सिंगूर में टाटा मोटर्स के एक प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद कंपनी ने प्लांट को शिफ्ट कर दिया था। उस समय राज्य में दिवंगत बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व में सीपीएम की सरकार थी। उस समय ममता विपक्ष में थीं और तृणमूल कांग्रेस ने राज्य सरकार द्वारा किसानों को 400 एकड़ जमीन वापस करने की मांग की।
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हालांकि सरकार ने उनकी मांग को ठुकरा दिया। उनकी मांग खारिज होने के बाद TMC ने विरोध प्रदर्शन किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे ‘दुखद’ करार दिया था। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे प्रधानमंत्री मोदी ने एक अवसर देखा और अधिकारी टाटा ग्रुप के पास वेलकम संदेश लेकर पहुंच गए। उस दौरान तत्कालीन सीएम मोदी ने कहा था, “जब रतन टाटा ने कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे पश्चिम बंगाल छोड़ रहे हैं, तो मैंने उन्हें ‘स्वागत है’ कहते हुए एक छोटा सा एसएमएस भेजा था। अब आप देख सकते हैं कि एक रुपये का एसएमएस क्या कर सकता है।”
बता दें कि नैनो कारों का उत्पादन 2018 में बंद कर दिया गया था। इस साल फरवरी में आयोजित बंगाल वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन (BGBS) में ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कहा था कि टाटा समूह के अध्यक्ष कुछ ज़रूरी कारणों से शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके। शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर ममता बनर्जी ने उनके साथ विस्तृत चर्चा की थी। उन्होंने तब कहा था, “उन्होंने (मुझे) आश्वासन दिया है कि वे बंगाल में अधिक से अधिक निवेश करना चाहते हैं। वह बहुत जल्द बंगाल आएंगे और विस्तार से चर्चा करेंगे।”
ममता बनर्जी का सिंगूर आंदोलन पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। इस आंदोलन के बाद वह किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई थीं। हालांकि तब विपक्ष ने उनकी छवि व्यापार विरोधी के रूप में बना दिया। हालांकि अब ममता बनर्जी और टाटा ग्रुप के रिश्तों पर ज़मीं बर्फ पिघल रही है। आने वाले समय में बंगाल में टाटा ग्रुप बड़ा निवेश कर सकता है।