BJP Attacks on Jungle Raj: बिहार में हालांकि विधानसभा के चुनाव इस साल के अंत में होने हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर में हुई हालिया रैली से चुनावी माहौल तैयार होने लगा है। राज्य में सरकार चला रहे एनडीए गठबंधन ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को ‘जंगल राज’ बताते हुए उस पर हमला किया है जबकि आरजेडी का कहना है कि एनडीए का यह कदम सिर्फ उनकी बेचैनी को दिखाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ‘जंगल राज’ की बात कही थी। मोदी के संबोधन से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी लालू प्रसाद यादव के शासनकाल की लोगों को याद दिलाई। नीतीश ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि आपको याद होगा कि जब हम बिहार में (2005 में) सत्ता में आए थे, तब क्या स्थिति थी। सूर्यास्त के बाद कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था।’
पिछले कुछ हफ्तों में जेडीयू लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के 15 साल के शासनकाल को लेकर लगातार मुखर रहा है। जेडीयू के नेताओं और पार्टी ने सोशल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी लालू-राबड़ी के शासनकाल को ‘जंगल राज’ बताते हुए लगातार हमला किया है।
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अगर आप जेडीयू के यूट्यूब चैनल पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि पिछले दो महीनों में पार्टी ने अपने यूट्यूब चैनल पर 12 वीडियो अपलोड किए हैं। इनमें से 6 वीडियो लालू-राबड़ी शासन के कथित ‘जंगल राज’ के बारे में हैं।
12 फरवरी को जेडीयू ने एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में सवाल पूछा गया, ‘क्या आप जानते हैं कि ‘जंगल राज’ शब्द कैसे आया, इसका इस्तेमाल पटना हाई कोर्ट ने 5 अगस्त, 1997 को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए किया था और उस समय बिहार में लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का शासन था।’
8 फरवरी को जेडीयू की ओर से एक और वीडियो अपलोड किया गया। इस वीडियो की शुरुआत इस लाइन से हुई कि बिहार को ‘जंगल राज’ से निकालकर सुशासन की राह पर लाने वाला नेता। इसमें नीतीश सरकार के विकास कार्यों पर बात की गई।
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इसी तरह एक वीडियो में लालू प्रसाद यादव से जुड़े चारा घोटाले को दिखाया गया और कहा गया, ‘(लालू) जानवरों का चारा भी खा गए।’ ठीक यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी भागलपुर रैली में आरजेडी पर निशाना साधते हुए दोहराई।
बेतिया में 10 जनवरी को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जेडीयू और बीजेपी ने पोस्टर जारी किए, जिसमें ‘जंगल राज का चंपारण’ लाइन और लालू की तस्वीर के साथ डर से चिल्लाती हुई महिला को दिखाया गया। पोस्टर में इसके साथ ही ‘एनडीए का मतलब उन्नति और विकास’ बताया गया जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चमचमाते हाईवे की तस्वीरें थीं।
आरजेडी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने The Indian Express से कहा कि एनडीए का ‘जंगल राज’ वाला प्रचार बताता है कि वे विधानसभा चुनावों को लेकर परेशान हैं। झा ने कहा, ‘वे पिछले 15 सालों से यही सब कह रहे हैं और इससे साफ है कि उनके पास कोई पॉजिटिव एजेंडा नहीं है।’
मनोज झा ने कहा कि जो लोग ‘जंगल राज’ की बात कर रहे हैं, उनकी खुद की डबल इंजन सरकार बिहार के लिए कुछ नहीं कर पाई है। झा ने बिहार में लालू यादव के शासनकाल में हुए सामाजिक परिवर्तन को उठाया। उन्होंने कहा, ‘अगर 1990 के दशक में सबाल्टर्न जागृति नहीं हुई होती तो प्रधानमंत्री अपने ही राजनीतिक दल में इतनी ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाते। हम 2020 में भी इस चुनौती का सामना कर चुके हैं और इससे निपट चुके हैं।’
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जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद कहते हैं कि एनडीए का ‘जंगल राज’ वाला प्रचार सिर्फ आरजेडी द्वारा नीतीश कुमार की उपलब्धियों पर सवाल उठाने का जवाब है। उन्होंने कहा, ‘बिहार में एकतरफा मुकाबला होने जा रहा है क्योंकि हमारे पास पिछले 20 सालों की असीमित उपलब्धियां हैं, बुनियादी सुविधाओं से लेकर नौकरियों और सशक्तिकरण तक। बिहार की तस्वीर एकदम बदल गई है। जब हम जंगल राज की बात करते हैं, तो यह इसलिए होता है क्योंकि विपक्ष हमारी उपलब्धियों को नकारने की कोशिश कर रहा है।’
जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा, ‘अगर वे हमें कानून-व्यवस्था पर लेक्चर देंगे, तो हमें भी उन्हें उनके समय की याद दिलानी होगी। हमारा गठबंधन वोट शेयर के मामले में इतना मजबूत है कि हम ‘जंगल राज’ के मुद्दे पर निर्भर नहीं हैं।’ जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि लालू यादव का जिक्र इसलिए होता है क्योंकि वे बिहार का दागदार इतिहास हैं।
बीजेपी और एनडीए ने जिस तरह का हमला किया है, उससे पता चलता है कि विधानसभा चुनाव में उनके निशाने पर लालू प्रसाद यादव ही रहेंगे। बताना होगा कि नीतीश कुमार साल 2005 से लगातार बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं। वह बीजेपी और आरजेडी की अगुवाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार चला चुके हैं।
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