Bihar Polls 2025 Domicile Reservation: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक मुद्दा बहुत तेजी से उभर रहा है। यह मुद्दा सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को आरक्षण देने की मांग या डोमिसाइल रिजर्वेशन (Domicile Reservation) का है। 5 जून को कई छात्र संगठनों के कार्यकर्ता पटना में इकट्ठा हुए और उन्होंने सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल रिजर्वेशन की मांग को उठाया।

बिहार में नौकरियों की क्या स्थिति है, डोमिसाइल रिजर्वेशन क्या है, आइए इसे जानते हैं।

डोमिसाइल रिजर्वेशन की मांग करने वालों का तर्क है कि दूसरे राज्यों के उम्मीदवार बिहार के युवाओं की नौकरियां छीन रहे हैं। उनका नारा है “वोट दे बिहारी, नौकरी ले बाहरी”। चूंकि विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से तूल पकड़ रहा है।

नीति आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में बेरोजगारी दर 3.9% है और यह राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 3.2% से ज्यादा है। बिहार ऐसा राज्य है जहां बड़ी संख्या में युवा सरकारी नौकरियों की तैयारी करते हैं लेकिन हाल ही में नौकरियों को लेकर तमाम तरह की गड़बड़ियां भी सामने आती रही हैं।

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डोमिसाइल रिजर्वेशन के तहत किसी राज्य की सरकार उस राज्य के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों या शिक्षण सीटों के एक हिस्से को आरक्षित रखती है। इसका मकसद यही होता है कि स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाए।

छात्रों की मांग के जवाब में राज्य की NDA सरकार का कहना है कि हाल ही में जितनी भी सरकारी परीक्षाएं हुई हैं उनमें बिहार के लोगों की ही भर्ती हुई है। इसके अलावा बिहार सरकार ने दिव्यांगों के लिए सभी सरकारी नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण का भी ऐलान किया है।

दिसंबर 2020 में भी डोमिसाइल रिजर्वेशन का मामला राज्य में उठा था और राज्य सरकार ने डोमिसाइल नियम को कुछ समय के लिए लागू किया था लेकिन जून 2023 में महागठबंधन की सरकार ने इसे वापस ले लिया था। तब यह नियम लागू किया था कि भारत के किसी भी राज्य के लोग बिहार में शिक्षकों के पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।

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अहम सवाल यह उठता है कि बिहार में डोमिसाइल रिजर्वेशन की मांग क्यों उठ रही है? इसके पीछे वजह बिहार की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां हैं। मार्च 2025 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट ‘Macro and Fiscal Landscape of the State of Bihar’ प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार की इकनॉमी मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है।

साल 2022-23 के दौरान राज्य की 49.6% जनसंख्या कृषि क्षेत्र में काम कर रही थी। राज्य में केवल 5.7% लोगों के पास मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की नौकरियां हैं और यह पूरे भारत में सबसे कम प्रतिशत में से एक है। बाकी नौकरियों में Service (26%) और construction क्षेत्र (18.4%) शामिल है।

राज्य में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियां काफी कम हैं और इसलिए भी सरकारी नौकरियां बेहद जरूरी हैं।

बिहार के युवा चाहते हैं कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बिहार के लोगों के लिए 100% आरक्षण हो और ऐसे युवा जिनके पास बिहार का डोमिसाइल सर्टिफिकेट है उन्हें राज्य सरकार की अन्य नौकरियों में 90% आरक्षण मिले। युवाओं का कहना है कि बिहार के पड़ोसी राज्य पहले अपने स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करते हैं जबकि बिहार के युवाओं को बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों से जूझना पड़ता है और इससे बिहार में बेरोजगारी और पलायन बढ़ रहा है।

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इस मामले में तमाम राज्यों की नीतियां अलग-अलग हैं। जैसे उत्तराखंड में Class III and IV की नौकरियां ऐसे उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं जो राज्य में कम से कम 15 साल से रह रहे हैं। महाराष्ट्र में भी कई सरकारी नौकरियां ऐसी हैं जिनके लिए 15 साल का डोमिसाइल और मराठी भाषा बोलने में कुशल होना जरूरी है। नागालैंड, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में कई विशेष संवैधानिक प्रावधान हैं और इस वजह से स्थानीय सरकारी नौकरियों का बड़ा हिस्सा जनजातियों के लिए आरक्षित होता है।

जम्मू और कश्मीर में भी 2019 में विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने से पहले इसी तरह की व्यवस्था थी।

2023 में झारखंड की विधानसभा ने 1932 के भूमि रिकॉर्ड के आधार पर Class III and IV की सभी सरकारी नौकरियों को मूल निवासियों के लिए आरक्षित करने वाला बिल पास किया था हालांकि अभी यह लागू नहीं हो सका है।

इस मामले में कुछ कानूनी रुकावटें भी हैं। संविधान का अनुच्छेद 16(2) रोजगार के मामले में बराबरी की बात कहता है और इसे लेकर जन्म स्थान या निवास के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार राज्य के डोमिसाइल रिजर्वेशन के खिलाफ फैसला दिया है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अभी तक डोमिसाइल रिजर्वेशन को लेकर कोई बयान नहीं दिया है हालांकि पहले पार्टी इसका विरोध कर चुकी है। पिछले महीने जेडीयू के नेता मनीष कुमार वर्मा ने कहा था कि डोमिसाइल रिजर्वेशन की नीति संविधान के खिलाफ होगी और अन्य राज्यों में रहने वाले बिहार के लोगों पर इसका असर हो सकता है क्योंकि अन्य राज्य भी जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं।

वर्मा का कहना था कि सरकार बेरोजगारी को दूर करने के लिए अभियान चला रही है। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इस मांग का समर्थन किया है। तेजस्वी यादव ने तो वादा किया है कि अगर राज्य में आरजेडी की सरकार बनती है तो सभी सरकारी नौकरियों में बिहार के लोगों के लिए 100% आरक्षण की व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

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