गुजरात में स्थानीय निकाय चुनावों में नियमों के उल्लंघन पर सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जाना कोई नई बात नहीं है। आमतौर पर यह कार्रवाई दो से अधिक जैविक संतान होने पर होती है। लेकिन इस बार एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें भाजपा की पार्षद पर झूठा हलफनामा देने का आरोप लगा है।
झालोद नगरपालिका की वार्ड नंबर 6 से निर्वाचित पार्षद अमीना सुक्रम मालीवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपने घर में कार्यशील शौचालय होने की गलत जानकारी दी। लीला गरासिया, जो चुनाव में बतौर स्वतंत्र उम्मीदवार थीं और हार गई थीं, ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायत मिलने के बाद झालोद तालुका के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) एके भाटिया ने नगरपालिका के मुख्य अधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं। गरासिया का आरोप है कि मालीवाड़ ने चुनाव लड़ते समय क्षेत्र के एक अन्य निवासी के घर को अपना दिखाने के लिए जाली दस्तावेजों का सहारा लिया।
गुजरात सरकार ने 2014 में ग्राम पंचायत अधिनियम में संशोधन करके यह नियम लागू किया था कि जिला, तालुका और ग्राम पंचायत चुनावों में भाग लेने वाले उम्मीदवारों के पास अपने घर में शौचालय होना अनिवार्य होगा। बाद में, 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह नियम नगर पालिकाओं और नगर निगमों में भी लागू किया गया, जिसे गुजरात उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।
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इस मामले में एसडीएम एके भाटिया का कहना है कि शिकायत की जांच के लिए मुख्य अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं। जांच के निष्कर्ष के आधार पर कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल पार्षद अमीना मालीवाड़ ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। अब देखना होगा कि जांच में क्या सामने आता है और इस पर प्रशासन की अगली कार्रवाई क्या होगी।