BJP National President Latest News: ऐसा माना जा रहा था कि अप्रैल के आखिर में बीजेपी को उसका नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के चलते शायद इसमें कुछ और वक्त लगेगा। बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल जून में पूरा हो चुका था और तब से वह एक्सटेंशन पर हैं। जेपी नड्डा मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाल रहे हैं।

बीजेपी का संविधान कहता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए यह जरूरी है कि आधे से ज्यादा राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाना चाहिए। कुल 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 14 में बीजेपी के नए अध्यक्षों का ऐलान हो चुका है जबकि उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में अभी भी पार्टी नया प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना पाई है।

इस बीच, बीजेपी की तमाम राज्यों की इकाइयां ऑपरेशन सिंदूर को लेकर तिरंगा यात्रा के आयोजन में जुटी हुई हैं। बीजेपी के सूत्रों ने माना है कि कई राज्य इकाइयों में आपसी झगड़ों की वजह से प्रदेश अध्यक्ष का चयन लटका हुआ है।

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मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना है लेकिन पार्टी के कुछ विधायकों ने राज्य सरकार पर हमला किया है। बीजेपी के सीनियर नेता बताते हैं कि सरकार और मंत्रियों के खिलाफ बढ़ती शिकायतों की वजह से यहां हालात अच्छे नहीं हैं और यह शिकायतें शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद ही चीजों को सुलझाया जा सकता है और इसलिए पार्टी के लिए नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना आसान नहीं है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और वह एक्सटेंशन पर हैं।

गुना से बीजेपी के विधायक पन्ना लाल शाक्य ने स्थानीय प्रशासन को लेकर पक्षपात का आरोप लगाया है जबकि शिवपुरी से विधायक देवेंद्र जैन ने भ्रष्टाचार की बात कही है। विधायक चिंतामणि मालवीय को पार्टी कारण बताओ नोटिस जारी कर चुकी है। मालवीय ने मोहन यादव सरकार की आलोचना की थी।

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प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर ऐसा ही मामला गुजरात में भी दिखाई देता है। बीजेपी के एक सांसद ने बताया कि पार्टी नेतृत्व इस बात का फैसला नहीं कर पाया है कि उसे मौजूदा अध्यक्ष सीआर पाटिल जैसा नेता चाहिए या फिर कोई लो प्रोफाइल चेहरा। पाटिल केंद्रीय जल शक्ति मंत्री भी हैं।

राजकोट में बीजेपी के संगठन प्रभारी धवल दवे ने पार्टी के पदों में नियुक्ति पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था। साबरकांठा में बीजेपी के एक नेता भूपेंद्र सिंह जाला का नाम पोंजी घोटाले से जुड़ा था और राज्य सरकार के मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के दो बेटों को मनरेगा से जुड़े घोटाले में गिरफ्तार किया गया था।

एक बेहद अहम राज्य उत्तर प्रदेश में भी पार्टी अभी तक अपना नया अध्यक्ष नहीं चुन पाई है। राज्य से आने वाली बीजेपी के एक सांसद ने बताया, “ऐसा लगता है कि शीर्ष नेतृत्व दुविधा की स्थिति में है। एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और उनकी स्वीकार्यता है और इसे नकारा नहीं जा सकता, वहीं दूसरी ओर कई प्रभावशाली नेता जिनमें से ज्यादातर ओबीसी वर्ग से हैं, वे शीर्ष स्तर पर बदलाव की मांग कर रहे हैं और इन्हें भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”

बीजेपी सांसद ने बताया कि बीजेपी ओबीसी वर्ग को निराश करने का जोखिम नहीं ले सकती क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में यह तबका बीजेपी के साथ खड़ा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने बीजेपी के खिलाफ ओबीसी कार्ड का इस्तेमाल किया था और इससे पार्टी को नुकसान हुआ था।

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पश्चिम बंगाल में भी नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन करना पार्टी के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और कुछ साल पहले पार्टी में आए विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के बीच झगड़ा पार्टी के भीतर एक बड़ा मुद्दा है। यहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार मोदी सरकार में मंत्री भी हैं।

तेलंगाना बीजेपी में भी अंदरूनी लड़ाई चल रही है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी केंद्र सरकार में मंत्री हैं और उन्हें जल्द बदला जा सकता है लेकिन पार्टी के सूत्रों का कहना है कि ऐसा करना नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय कुमार तेलंगाना की राजनीति में लौटना चाहते हैं। एटाला राजेंद्र का नाम भी चर्चा में है लेकिन पार्टी के ही कुछ नेता उन्हें “बाहरी” बताकर खारिज कर रहे हैं।

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