BJP Kerala Politics: उत्तर भारत में अच्छी कामयाबी हासिल करने के बाद बीजेपी की नजर अब देश के दक्षिणी राज्यों पर है। दक्षिण में पार्टी केरल और तमिलनाडु पर ज्यादा ध्यान दे रही है। इन दोनों ही राज्यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। पिछले कुछ सालों में बहुत ताकत लगाने के बाद भी बीजेपी को केरल और तमिलनाडु में कोई बहुत बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई है। लेकिन इस बार पार्टी मजबूत तैयारी के साथ और सोच-समझकर ही आगे बढ़ने जा रही है।

हाल ही में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तमिलनाडु आए थे और उन्होंने एक बार फिर एनडीए के पुरानी सहयोगी दल AIADMK के साथ गठबंधन का ऐलान किया था।

बीजेपी के एक सीनियर नेता ने The Indian Express से कहा, “पार्टी अन्नामलाई की आक्रामक राजनीति को जारी रखेगी लेकिन अब यह अब DMK के खिलाफ होगी न कि AIADMK के खिलाफ। तमिलनाडु में AIADMK हमारी स्वाभाविक सहयोगी है और इसके नेता पलानीस्वामी (पूर्व मुख्यमंत्री) हमारे नेता होंगे।”

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बीजेपी ने AIADMK के खिलाफ हमलावर रहने वाले पूर्व अध्यक्ष के. अन्नामलाई की जगह शांत स्वभाव के माने जाने वाले नैनार नागरेंद्रन को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर यह साफ कर दिया था कि वह AIADMK के साथ ही आगे बढ़ना चाहती है।

एक और दक्षिणी राज्य केरल में पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चल रही है। यहां पार्टी हिंदुओं के साथ-साथ ईसाई समुदाय के वोटों को भी अपने साथ लाना चाहती है। केरल में मुस्लिम और ईसाई समुदाय की कुल आबादी 45% के आसपास है। बीजेपी को केरल में मुस्लिम वोटों से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है इसलिए पार्टी का फोकस हिंदू मतों के साथ-साथ ईसाई समुदाय पर भी है।

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केरल में बीजेपी ने राजीव चंद्रशेखर को अध्यक्ष बनाया है। अध्यक्ष बनने के बाद से ही राजीव चंद्रशेखर ने ईसाई समुदाय के अलग-अलग संप्रदायों के चर्च के नेताओं के साथ लगातार बैठक की है। बीजेपी ने केरल के जिलों में जो नई टीम बनाई है, उसमें ओबीसी, एससी-एसटी के साथ ही ईसाई समुदाय का भी को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।

बीजेपी के ईसाई समुदाय से नजदीकी बढ़ाने से निश्चित रूप से राज्य में सरकार की अगुवाई कर रही सीपीएम और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस चिंतित है। केरल में बीजेपी सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चलते हुए विकास और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठा रही है।

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