युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा ही देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। वे ही देश का वर्तमान, भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। हमारे राष्ट्र के लिए कई परिवर्तन, विकास, समृद्धि और सम्मान लाने में युवा सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। इतना ही नहीं समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है।

इतिहास गवाह है कि आज तक दुनिया में जितने भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, चाहे वे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक रहे हों, उनके मुख्य आधार युवा ही रहे हैं। युवाओं का एक समृद्धिशाली इतिहास है। आदिगुरु शंकराचार्य से लेकर गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने युवावस्था में ही धर्म और समाज सुधार का बीड़ा उठाया था।

पुनर्जागरण काल में राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ विवेकानंद जैसे युवा विचारकों ने धर्म एवं समाज सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया। इतिहास ने युवाओं की शक्ति का प्रभाव देखा है। जिस कार्य में युवा अपना सक्रिय योगदान देते हैं, उसमें विजय हमेशा हमारी ही होती है। उदाहरण के तौर पर भारत की आजादी में अनेक युवाओं ने अपना सहयोग दिया। कई युवाओं ने बलिदान तक दिया। परिणाम स्वरूप हमारा देश ब्रिटिश राज को खत्म करने में कामयाब हुआ।

युवाओं ने इस प्रकार अनेक ऐतिहासिक बदलाव किए हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि हमारे पास युवा संसाधन के रूप में अपार संपदा है और यदि समाज के इस वर्ग को सशक्त बनाया जाए, तो हम बहुत जल्द ही महाशक्ति बनने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया है। विकसित भारत की इस संकल्पना को साकार रूप देने में युवा आबादी की अहम भूमिका होगी। यदि वर्तमान भारत की बात की जाए, तो यह दुनिया का सबसे युवा देश है।

जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक भारत में पच्चीस वर्ष तक की आयु वाले युवा कुल जनसंख्या का पचास फीसद हैं। जनसंख्या का इतना बड़ा हिस्सा राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका निभाता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यानी देश अपने भविष्य के उस सुनहरे दौर के करीब है, जहां उसकी अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों को छू सकती है।

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यही कारण है कि भारत को दुनिया भर में उम्मीद की नजरों से देखा जा रहा है। स्पष्ट है कि यह न केवल वर्तमान, बल्कि निकट भविष्य में भी अत्यंत प्रभावी युवा शक्ति वाले देश के रूप में उपस्थित रहेगा। हमारी यही युवा शक्ति भारत का भविष्य बनेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शक्ति प्रदान करेगी।

हमारे युवा न केवल कुल आबादी का बड़ा हिस्सा हैं, बल्कि आने वाले समय में सामाजिक-राजनीतिक, आर्थिक विकास का संकेत भी देते हैं। चूंकि, युवा किसी भी देश के सबसे अधिक उत्पादक कामकाजी वर्ग होते हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि युवाओं की बड़ी आबादी की मदद से भारत जल्द ही दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह बात भी सौ फीसद सच है कि बिना खनिज संसाधन के किसी देश का विकास हो सकता है।

मगर यह भी सत्य है कि बिना मानव संसाधन के देश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हम जापान का ले सकते हैं, जिसने खनिज संसाधनों के अभाव के बावजूद अपने मानव संसाधन के दम पर विकास की नई इबारत लिखी और आज वह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

यदि भारत के राज्यों की बात की जाए, तो बिहार, छत्तीसगढ़ और ओड़ीशा जैसे राज्य तमाम संसाधनों के बावजूद पिछड़े हुए हैं, जबकि केरल और कर्नाटक जैसे राज्य विकास के मामले में आगे हैं। यदि शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास में निवेश कर मानव संसाधन को मानव पूंजी में तब्दील कर दिया जाए, तो निश्चय ही भविष्य में इसका बेहतर प्रतिफल मिलेगा।

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जब हम बात करते हैं कि हमारे युवा देश को बदल सकते हैं, तो क्या हम यह सोचते हैं कि वह कौन सा युवा है जो देश बदलेगा! वह युवा जो रोजगार के लिए दर-दर भटक रहा है? वह युवा जिसकी प्रतिभा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है? वह युवा जो देश में अपनी प्रतिभा को उचित सम्मान न मिलने पर विदेशी कंपनियों में नौकरी हासिल कर देश छोड़ कर चले जाने के लिए विवश हैं? या फिर वे युवा जिनके हाथों में डिग्रियां तो हैं, लेकिन विषय से संबंधित व्यावहारिक ज्ञान का सर्वथा अभाव है? वे साक्षर तो हैं, लेकिन शिक्षित नहीं। आज बहुत से ऐसे विकसित और विकासशील राष्ट्र हैं, जहां युवाओं की ऊर्जा व्यर्थ हो रही है।

कई देशों में शिक्षा के लिए जरूरी आधारभूत संरचना की कमी है, तो कहीं बेरोजगारी जैसे हालात हैं। इन स्थितियों के बावजूद युवाओं को एक उन्नत और आदर्श जीवन की ओर अग्रसर करना वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है।

यह सच है कि जितना योगदान देश की प्रगति में कल-कारखानों, कृषि, विज्ञान और तकनीक का है, उससे कहीं बड़ा और महत्त्वपूर्ण योगदान स्वस्थ और शक्तिशाली युवाओं का होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ युवाओं से ही राष्ट्र को मजबूती मिलती है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हम युवाओं को सशक्त बनाएं। जिससे वह शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, कौशल विकास, सामुदायिक संपर्क और राजनीति एवं प्रशासन में अपनी भागीदारी बढ़ा कर समाज में उचित स्थान पा सकें।

देश की युवा शक्ति ही समाज और देश को नई दिशा देने का सबसे बड़ा औजार है। वह अगर चाहे तो इस देश की तस्वीर बदल सकती है। अपने हौसले और जज्बे से समाज में फैली विसंगतियों, असमानता, अशिक्षा और अपराध आदि बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेंक सकती है। लेखक अर्नाल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक ‘सरवाइविंग द फ्यूचर’ में नौजवानों को सलाह देते हुए लिखा है, ‘मरते दम तक युवावस्था के जोश को कायम रखना।’

बहरहाल, बरसों से विकास के बावजूद, युवा आज भी तरक्की की दौड़ में काफी चुनौतियां झेल रहे हैं। फिर चाहे शिक्षा हो, रोजगार हो या फिर स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां। इसलिए नया भारत बनाते हुए हमें युवा पीढ़ी के सपनों को टूटते-बिखरते हुए नहीं रहने देना है, बल्कि देश के निर्माण में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना होगा। क्योंकि युवा अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगे हैं। कुछ युवा जरूर अपवाद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है, क्योंकि समाज में व्याप्त कई समस्याओं पर कार्य कर युवा दूसरों के लिए एक आदर्श बन सकते हैं।

युवा अपने देश का भविष्य होते हैं तथा उस देश की प्रगति और विकास में उनकी प्रमुख भूमिका होती है। कोई दो मत नहीं कि हमारे युवा भी देश के विकास में महत्त्वपूर्ण अंग हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में युवाओं को सम्मिलित करना आवश्यक है।