अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन के समीप पिछले महीने हवाई अड्डे पर उतर रहे यात्री विमान से एक हेलिकाप्टर के टकराने के कारण विमान में सवार सभी चौंसठ लोगों की जान चली गई। हादसे के बाद विमान दो-तीन टुकड़ों में टूट कर पास ही पोटोमैक नदी में जा गिरा। नदी में बर्फीला पानी जमा था। टक्कर के बाद अगर कुछ यात्रियों के जीवित बचने की संभावना रही भी होगी, तो ठंडे बर्फीले पानी में उनके डूबने के कारण खत्म हो गई। अमेरिका के विगत पचीस वर्ष के इतिहास में यह सबसे भीषण विमान दुर्घटना है। कंसास के विचिटा से आ रहे विमान के उतरने का समय पूर्वनिर्धारित था। उस समय विमान में अमेरिकी और रूसी नागरिक सवार थे। अमेरिकी एअरलाइंस के मुख्य कार्यकारी के अनुसार उन्हें कोई जानकारी नहीं कि सैन्य हेलिकाप्टर विमान के मार्ग में क्यों आया।
पिछले एक माह के दौरान दुनिया में यह तीसरी विमान दुर्घटना है। दुर्घटनाओं से दुनिया भर के विमानन उद्योग और इसमें कार्यरत कर्मचारियों की दायित्वहीनता सामने आती है। ऐसी स्थिति में देश-दुनिया के विमानन सेवाओं और उनके प्रबंधन के प्रति कई शंकाएं उभरती हैं। अमेरिका में अभी की और एक माह पूर्व दक्षिण कोरिया की, दोनों घटनाएं हवाई अड्डे पर विमानों के उतरने के दौरान घटी हैं। ऐसी घटनाएं अप्रत्याशित हैं। इन परिस्थितियों में दो ही आशकाएं हो सकती हैं। या तो इन हादसों के पीछे कोई साजिश थी या फिर विमानों के उतरने के दौरान विमान के संबंधित कर्मचारियों ने अपने दायित्वों का पालन नहीं किया।
इससे पहले 29 दिसंबर, 2024 को दक्षिण कोरिया में एक यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस विमान में कुल 181 लोग सवार थे। मुआन हवाई अड्डे पर उतरते हुए उसमें आग लगी और देखते ही देखते 179 लोगों की मौत हो गई। उस घटना के चार दिन पहले 25 दिसंबर को अजरबैजान एअरलाइंस का एक विमान कजाखस्तान के अक्तौ हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। विमान में सवार 69 में से 38 लोगों ने अपने प्राण गंवा दिए। इसी दौरान कनाडा का एक विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इस घटना के प्रत्यक्ष चलचित्र, लोगों के शव और क्षतिग्रस्त विमान के अंश उपलब्ध हैं, जिनके आधार पर दुर्घटना के कारणों की जांच की जा सकती है। आज तक ऐसे विमान और इनके यात्रियों का कुछ पता नहीं चल सका है। यह आधुनिकता, प्रगति और विज्ञान पर सवाल है।
अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 28 जून, 1856 से लेकर के 14 जुलाई, 1897 तक कुल पांच वायु वाहन (यान या हाइड्रोजन गुब्बारा) दुर्घटनाग्रस्त या अदृश्य हुए थे। इसके बाद वर्ष 1901 से 1919 तक कुल 13 वाहनों की दुर्घटना हुई। इनमें ग्यारह लोग रहस्यमय ढंग से अदृश्य हुए। इसी सदी में 1920 और 1939 के बीच हुई 49 विमान दुर्घटनाओं में मरे ज्यादातर का पता नहीं चल पाया था। जैसे-जैसे दुनिया में वैज्ञानिक, औद्योगिक, यांत्रिक और प्रौद्योगिकी में उन्नति होती रही, उसी गति से वायुयान दुर्घटनाग्रस्त होते या अदृश्य होते रहे। वर्ष 1940 और 1959 की अवधि में 75 विमान आकाश में गायब हो गए।
वर्ष 2000 से 2019 के बीच कुल 18 घटनाओं में 295 लोगों की जानें गईं। इस अवधि में आठ मार्च 2014 को मलेशिया एअरलाइंस के बोइंग 777-200 ईआर की दुर्घटना भी शामिल है। वर्ष 2019 तक यह सबसे बड़ी विमान दुर्घटना थी। इसमें 239 लोग सवार थे, जिनका आज तक कुछ भी पता नहीं चला। इस घटना के बारे में ये प्रामाणिक तथ्य है कि यह विमान आस्ट्रेलिया के पश्चिम में हिंद महासागर के ऊपर से गायब हो गया था। हालांकि घटना के बहुत दिनों बाद विमान के कुछ अवशेष अवश्य प्राप्त हुए थे, लेकिन विमान अब भी अदृश्य हैं। इसके बाद दो अप्रैल 2022 को फ्रांस से उड़ा एक विमान अत्यधिक घने बादलों में गायब हो गया। उसमें दो लोग सवार थे।
जहां तक दो बड़ी विमान दुर्घटनाओं की बात है, तो उनमें मलेशियाई बोइंग और दक्षिण कोरिया के यात्री विमान के साथ हुर्इं घटनाएं सबसे बड़ी और भयावह हैं। इनमें क्रमश: 239 और 179 लोगों ने अपने प्राण गंवाए। पूंजीपतियों के स्वामित्व वाले अनेक निजी विमान भी यहां-वहां समुद्र के ऊपर, किसी दुर्गम पहाड़ या सघन वनों के ऊपर आकाश में रहस्यमय परिस्थितियों में दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। भारतीय और विदेशी वायुसेनाओं के भी कई विमान आसमान में रहस्यमय ढंग से गायब हो गए।
यही नहीं आकाश में समुद्र से ऊपर एक निश्चित दूरी पर उड़ने वाले अनेक विमान अत्यंत रहस्यमयी परिस्थितियों में अदृश्य हो चुके हैं। ऐसे रहस्यों का डेढ़-दो सदियां बीतने के बाद भी आज तक उद्घाटन नहीं हो सका है। आधुनिक एवं नवोन्नत आधुनिक उपकरणों के साथ वर्षों तक ऐसे गायब विमानों को ढूंढने के अनेक अभियान भी चलाए गए। अनेक देशों ने पारस्परिक खोज अभियान भी चलाए, मगर अंतत: सब विफल रहे। आज जब लगभग पूरा विश्व आकाश-मार्ग से परिवहन का अग्रणी माध्यम बना हुआ है, तो विमानों के गायब होने और दुर्घटनाग्रस्त होने की बढ़ती घटनाएं आकाशीय परिवहन के प्रति शंकाएं बढ़ाती हैं। इन परिस्थितियों में विमान यात्रा दिनोंदिन असुरक्षित होती जा रही है।
देश-दुनिया की विमानन कंपनियों और विमान एवं विमान से संबंधित उपकरण बनाने वाली कंपनियों को व्यापक स्तर पर यह प्रयास अवश्य करना चाहिए कि वे रहस्यमय ढंग से गायब होने वाले विमानों का प्रामाणिक कारण खोजें। विमान हादसों के कारण का पता लगाएं। ऐसे कारणों पर स्थायी रोक लगाने के उद्देश्य से वैमानिकी अभियंत्रण से लेकर विमानन प्रबंधन पर पुनर्विचार हो। इसके लिए विमानन उद्योग की आरंभ से लेकर अंतिम गतिविधि का दैनिक रख-रखाव और निगरानी तो आवश्यक है ही, साथ ही विमानों के कल-पुर्जे बनाने वाली देशी-विदेशी कंपनियों के लिए भी कठोर नियम-कानून बनें ताकि विमानों के कल-पुर्जे पूरी तरह त्रुटिहीन, बाधारहित एवं हर प्राकृतिक और कृत्रिम समस्या से सुरक्षित हों। विमानन सामग्री के विनिर्माण में लगी हुई कंपनियों के कर्मचारियों और प्रबंधन पर वैमानिकी परिवहन को सुरक्षित बनाए रखने का सबसे बड़ा दायित्व है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकारों और उड्डयन मंत्रालयों को विमान सामग्री के विनिर्माण में जुटी कंपनियों के साथ संवाद और कार्य मूल्यांकन को नियमित बनाए रखना होगा।
विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने और दुर्घटनाओं में निर्दोष लोगों की मौत दुखद है। इससे भी अधिक कष्ट तब होता है, जब पता चलता है कि विमान सहित उसमें सवार कई सौ लोग रहस्यमय ढंग से गायब हैं। विडंबना यह कि विमान जहां से गायब हुआ था, उस भूगोल बिंदु से लेकर हर संभव दिशा में वर्षों तक देशी-विदेशी सहयोग से आधुनिक साजो-सामान के साथ खोज अभियान चलाने के बाद भी न तो विमान का और न ही उसमें सवार यात्रियों का पता चल पाता है। वैमानिकी परिवहन में यह बहुत प्रतिकूल स्थिति है। इस पर नियंत्रण अत्यंत जरूरी है। सुरक्षित विमान यात्रा दुनिया की हर सरकार का दायित्व है। विमान यात्रियों का भरोसा कायम रखने के लिए यह आवश्यक है।