इस समय पाकिस्तान से तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क चुनौतियों के बीच भारत से निर्यात और अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का परिदृश्य बन रहा है। 19 मई को प्रकाशित ‘एसएंडपी ग्लोबल इंडिया रिसर्च चैप्टर’ की रपट के मुताबिक वैश्विक व्यापार में बदलाव से भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर होगा। हाल ही में प्रकाशित देश के वैश्विक व्यापार के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्तवर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल में वस्तु निर्यात में नौ फीसद और सेवा निर्यात में 15 फीसद का इजाफा हुआ है।
अप्रैल में करीब 74 अरब डालर का निर्यात हुआ है। पिछले वित्तवर्ष 2024-25 में भारत ने कुल 825 अरब डालर का रेकार्ड निर्यात किया था। हाल ही में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की विश्व आर्थिक परिदृश्य से जुड़ी रपट के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वर्ष 2025 के अंत तक भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा 2028 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
इस रपट के मुताबिक वर्ष 2025 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ कर 4.187 ट्रिलियन डालर हो जाएगा और यह जापान की जीडीपी 4.186 ट्रिलियन डालर से अधिक होगी। ऐसे में जापान को पीछे करते हुए भारत अपनी पांचवीं बड़ी जीडीपी के दर्जें को पार कर चौथी बड़ी आर्थिकी वाला देश बन जाएगा। यह भी कहा गया है कि विकास की ऊंची दर से भारत की जीडीपी 2028 में बढ़ कर 5.584 ट्रिलियन डालर हो जाएगी और भारत जर्मनी को पीछे छोड़ कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि चुनौतियों के बीच आगे बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था की साख भी बढ़ रही है।
इस समय जब दुनिया के कई देशों की आर्थिकी गोते लगा रही है, तब भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। यदि हम इस समय देश की आर्थिक तस्वीर को देखें, तो पाते हैं कि अप्रैल 2025 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 2.09 लाख करोड़ रुपए स्तर पर पहुंच गया, जो अभी तक का सर्वाधिक राजस्व है। पिछले वर्ष 2024-25 में जीएसटी और आयकर संग्रहण रेकार्ड ऊंचाई पर रहा है। हाल ही में वित्तमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को दिए गए एक दस्तावेज में कहा है कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत बनाई जा रही है। सरकारी ऋण के बेहतर प्रबंधन से भारत का राजकोषीय घाटा भी नियंत्रित है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का मानना है कि भारत चुनौतियों के बीच नई संभावनाओं वाला देश है और यह वैश्विक व्यापार को बढ़ाने वाला इंजन बन सकता है।
वित्तमंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक व्यापार युद्ध के दौर में नीतिगत चुस्ती और दीर्घकालीन नजरिए से वैश्विक व्यापार चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी स्थिति मजबूत है। निवेशकों का विश्वास बना हुआ है। अर्थव्यवस्था व्यापक आर्थिक विवेक से प्रबंधित की जा रही है। उद्यमियों को नीतिगत स्थिरता उपलब्ध कराई जा रही है। वैश्विक वित्तीय और आर्थिक संगठनों का मानना है कि चालू वित्तवर्ष में भारत की विकास दर 6.5 फीसद रहेगी।
पाकिस्तान से तनाव और अमेरिका के थोपे गए शुल्क के बीच भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ा है। भारत अपने स्थानीय और घरेलू बाजार से किसी भी आर्थिक झटके का सामना करते हुए आगे बढ़ने की संभावना रखता है। इस समय छह महत्त्वपूर्ण आधार भारत की घरेलू आर्थिकी को मजबूती दे रहे हैं। इनमें घटती महंगाई, घटती ब्याज दर, अच्छा मानसून, बढ़ता शेयर बाजार, मध्यवर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति और अमेरिकी शुल्क से मुकाबला करने की भारत की कूटनीतिक रणनीति शामिल है।
महंगाई दर घटने से विकास को गति मिल रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा महंगाई अप्रैल 2025 में घट कर 3.16 फीसद पर आ गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों-फलों, दालों और अन्य प्रोटीन युक्त वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण दर्ज की गई है। उपभोक्ता खुदरा महंगाई मार्च में 3.34 फीसद थी, जबकि अप्रैल 2024 में यह 4.83 फीसद थी। जुलाई 2019 में यह 3.15 फीसद थी। अप्रैल में खाद्य महंगाई दर घट कर 1.78 फीसद रही, जो मार्च में 2.69 फीसद और पिछले साल अप्रैल में 8.7 फीसद थी।
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इसी तरह मार्च 2025 में थोक महंगाई दर घट कर 2.05 फीसद के स्तर पर आ गई। लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रहने के बाद देश में महंगाई नीचे आने के पीछे एक प्रमुख कारण बेहतर कृषि उत्पादन भी है। वर्ष 2024-25 में प्रमुख फसलों के उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ पैदावार में पिछले साल से करीब 6.8 और रबी उत्पादन में करीब 2.8 फीसद अधिक बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इससे गेहूं, चावल और मक्के की फसल का उत्पादन रेकार्ड स्तर पर पहुंच सकता है।
साथ ही अन्य खाद्यान्नों तथा मोटे अनाज, तुअर और चने का उत्पादन भी रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच सकता है। अच्छा मानसून भी कृषि विकास को नई ऊंचाई देते हुए दिखाई दे सकेगा। पिछले दिनों भारत मौसम विभाग ने इस साल मानसून के दौरान औसत से पांच फीसद अधिक वर्षा का अनुमान जताया है। इससे ग्रामीण भारत सहित पूरे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
फिर भी, सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कुछ और बातों पर ध्यान देना लाभप्रद होगा। भारत में आत्मनिर्भरता की नीति और ‘वोकल फार लोकल’ मंत्र को बढ़ाना होगा। इससे स्थानीय और घरेलू बाजार तेजी से आगे बढ़ेंगे। जीएसटी में सरलता, निवेश के लिए अधिक अनुकूल माहौल, कुशल बुनियादी संरचना, ‘लाजिस्टिक’ लागत में कमी, गतिशक्ति योजना का तेज क्रियान्वयन, व्यवसाय करने की प्रक्रिया की सरलता जैसे रणनीतिक कदमों से भारत के घरेलू बाजार की चमक बढ़ाई जा सकेगी। अब शुल्क संरक्षण के बजाय वैश्विक प्रतिस्पर्धा, अनुसंधान व विकास पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
कृषि तथा श्रम सहित अन्य सुधारों के क्रियान्वयन पर ध्यान देना होगा। देश को अधिक डिजिटल महारत हासिल करनी होगी। चूंकि अमेरिका ने चीन से अपने देश में आने वाले उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगा दिया है, ऐसे में भारत की ओर चीनी सामान की ‘डंपिंग’ शुरू हो गई है। इसे देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय उद्यमियों की घरेलू बाजार में चीनी सामान की ‘डंपिंग’ को लेकर चिंताओं पर ध्यान देना होगा। ऐसे विभिन्न रणनीतिक कदमों से ही भारत की आर्थिकी और मजबूत बनेगी।
उम्मीद है कि भारत अतंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के मुताबिक इस वर्ष दुनिया की चौथी बड़ी आर्थिकी और 2028 में तीसरी बड़ी आर्थिकी बन कर विश्व के आर्थिक आकाश में चमकते हुए दिखाई देगा। साथ ही, एक आर्थिक महाशक्ति बनते हुए भारत सैन्य शक्ति के साथ आतंक और साजिश रचने वालों का विनाश करने वाले दुनिया के सबसे अहम देश के रूप में रेखांकित हो सकेगा।