बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों का यह दायित्व है कि वे नागरिकों के मन में यह विश्वास पैदा करें कि कानून का उल्लंघन और उसके क्रियान्वयन का विरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह टिप्पणी कोर्ट ने ठाणे नगर निगम (टीएमसी) की उस विफलता पर की, जिसमें वह कसारवडवली इलाके में एक अनधिकृत मस्जिद को ध्वस्त करने में असफल रहा।
मस्जिद का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट ने अदालत को सूचित किया कि वे विध्वंस का विरोध नहीं करेंगे, जिसके बाद हाईकोर्ट ने टीएमसी को निर्देश दिया कि रमजान के पवित्र महीने के समापन के तुरंत बाद, 14 अप्रैल तक विध्वंस की शेष प्रक्रिया पूरी की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि टीएमसी के वकील की यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती कि भीड़ के विरोध के कारण विध्वंस कार्य पूरा नहीं हो सका। न्यायमूर्ति अजय एस. गडकरी और न्यायमूर्ति कमल आर. खता की पीठ ने 10 मार्च को दिए आदेश में कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी व्यक्ति, समूह या संस्था को कानून का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसे मामलों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों का कर्तव्य है कि वे संबंधित व्यक्तियों को कानून का पालन करने के लिए बाध्य करें।
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यह आदेश न्यू श्री स्वामी समर्थ बोरिवडे हाउसिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर पारित किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक मस्जिद और प्रार्थना कक्ष अवैध रूप से याचिकाकर्ता की जमीन पर बनाए गए हैं, जो टीएमसी के अधिकार क्षेत्र में आता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कुणाल द्वारकादास ने दलील दी कि 2013 से गाजी सलाउद्दीन रहमतुल्ला हूले उर्फ परदेशी बाबा ट्रस्ट ने उनकी जमीन पर अवैध कब्जा कर विवादित ढांचा खड़ा कर लिया। टीएमसी के सहायक आयुक्त ने 27 जनवरी को ट्रस्ट को 15 दिनों के भीतर संरचना हटाने का आदेश दिया था, अन्यथा कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
20 फरवरी को हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि विध्वंस की प्रक्रिया जारी है, लेकिन 4 मार्च को टीएमसी ने बताया कि भक्तों के विरोध के कारण यह कार्य अधूरा रह गया। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और टीएमसी अधिकारियों के आचरण की आलोचना की। अदालत ने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी अवैध संरचना के निर्माण को रोकने के लिए टीएमसी ने समय रहते क्या कदम उठाए। वरिष्ठ अधिवक्ता राम आप्टे ने 10 मार्च को कोर्ट को आश्वस्त किया कि रमजान के बाद चार सप्ताह में विध्वंस पूरा कर लिया जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है।