Indian Census: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने घोषणा की कि जनगणना की प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी और यह दो फेज में होगी। पहला फेज जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और पहाड़ी इलाकों में शुरू होगा। देश के बाकी हिस्सों को कवर करते हुए दूसरा फेज 1 मार्च 2027 से आयोजित किया जाएगा।
सीसीपीए ने आगामी जाति जनगणना की मंजूरी दी थी। इसके करीब एक महीने के बाद केंद्र ने कहा कि जाति जनगणना के साथ जनगणना एक्सरसाइज 1 मार्च 2027 से शुरू होगा। यह जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में दो फेज में होगा। प्रेस के स्टेटमेंट में कहा गया, ‘जातियों की गणना के साथ-साथ दो फेज में जनगणना-2027 आयोजित करने का फैसला लिया गया है। जनगणना-2027 के लिए मार्च 2027 के पहले दिन होगी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के लिए अक्टूबर 2026 के पहले दिन होगी।’ जनगणना का प्रोसेस अधिसूचना जारी होने के साथ शुरू हो जाता है। जनगणना कराने की अधिसूचना 16 जून 2025 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी।
जनगणना में पूछे जाएंगे ऐसे सवाल
इस साल 20 अप्रैल को जाति गणना की घोषणा के दौरान केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाना चाहिए। यह दिखाता है कि सरकार समाज और देश के मूल्यों और हितों के लिए प्रतिबद्ध है।’ केंद्र सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त में आया था जब कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया था।
भारत में आखिरी जनगणना की बात की जाए तो यह साल 2011 में हुई थी। जनगणना 10 साल में होती है और यह साल 2011 तक 15 बार हो चुकी है। 2021 में होने वाली जनगणना कोरोना महामारी की वजह से टाल दी गई थी। वहीं अब जाति जनगणना पर गौर करें तो इसका मतलब है कि जनगणना के दौरान जाति-आधारित डेटा इकट्ठा करना। जाति जनगणना के पीछे का विचार सामान्य जनगणना प्रोसेस के दौरान जाति से संबंधित सवालों को शामिल करना है। 90 साल बाद जनगणना में फिर से जाति की वापसी पढ़ें पूरी खबर…