उपभोक्ताओं की समस्याओं का निदान तेजी से हो, इसके लिए केंद्र सरकार ने उपभोक्ता आयोग गठित किए हैं। ये आयोग खाली पदों की समस्या से जूझ रहे है, जिससे उपभोक्ताओं को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। लोकसभा की विशेष स्थायी समिति ने इस खाली पदों की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। समिति ने केंद्र सरकार को राज्य व जिला स्तर पर खाली पड़े इन पदों को भरने के आदेश दिए हैं। केंद्र सरकार को स्पष्ट कहा गया है कि वे एक निश्चित समय सीमा के अंदर इन खाली पदों को भरने के काम को पूर्ण करे।
रपट बताती है कि राज्यों में आयोग के अध्यक्ष पद के लिए 36 पद स्वीकृत हैं। इन पदों में से 18 पद (50 फीसद) खाली हैं और सदस्यों के 161 स्वीकृत पदों में से भी केवल सौ पद ही सदस्य कार्यरत हैं। इसी प्रकार जिला स्तर पर 1138 स्वीकृत पद हैं और इनमें से सदस्यों के 433 पद खाली हैं, जो कि कुल 31 फीसद हैं। समिति ने कहा है कि इन पदों की रिक्तियां महत्त्वपूर्ण क्षमता योगदान में अवरोध पैदा करती हैं, जो कि संभावित रूप से उपभोक्ता आयोग (एनसीसी) योजना के उदेश्यों को कमजोर करती है और उपभोक्ता शिकायतों का निपटारा समय पर नहीं हो पाता है।
समिति ने कहा है कि केंद्र सरकार को राज्य व जिला स्तर पर इन रिक्तियों को तेजी से भरना होगा और संसद को इसकी रपट भी पेश करनी होगी। संसद की उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति की अध्यक्ष कनिमोई करुणानिधि ने यह रपट तैयार की है। इसमें खाद्य क्षेत्र की गड़बड़ियों को उजागर किया है। देश भर में करीब 36 राज्य आयोग और लगभग 680 जिला आयोग हैं। तय प्रावधान के तहत उपभोक्ता संरक्षण नियम 2020 में प्रावधान है कि पद खाली होने से कम से कम छह महीने पहले राज्य सरकार नियुक्तियों की प्रक्रिया को शुरू करेगी।
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राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्प लाइन (NCH) के बजट में सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि शिकायतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2020 में केवल 54516 शिकायतें हेल्पलाइन पर आई थीं, जो कि वर्ष 2024 तक बढ़कर 111951 हो गई हैं। रपट में यह भी सामने आया है कि संबंधित विभाग ने वर्ष 2024 – 25 में निधियों का कम इस्तेमाल किया है और यह खर्च केवल 57.26 फीसद ही रहा है। समिति ने विभाग को आबंटित निधियों का सही इस्तेमाल करने और अधिक भाषाओं में आम जनता के लिए सेवाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। इसके अतिरिक्त समिति ने कहा कि निधियों के प्रयोग अड़चन की पहचान की जाए और सुधार के लिए लेखा परीक्षा कराई जाए।
केंद्र सरकार की समिति के मुताबिक बीते वर्षों में उपभोक्ताओं के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन पर मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। उपभोक्ता देशभर से इन हेल्प लाइन पर शिकायत दर्ज कराते हैं और विभाग सत्रह भाषाओं में यह सुविधा उपलब्ध करा रहा है। ये शिकायतें विभाग को वाटसएप, एसएमएस, ईमेल, एनसीएच एप, वेब पोर्टल और उमंग एप के माध्यम से मिली हैं। देश में वर्ष 2017 से लेकर 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि इन शिकायतों की संख्या में तेजी आई है। समिति के मुताबिक इन समस्याओं का निपटारा करने के लिए विभाग 1038 कंपनियों की मदद ले रहा है और कृत्रिम मेधा (एआइ ) को लागू करना शुरू कर दिया है, जिससे इन शिकायतों को भविष्य में तेजी से निपटाया जा सकेगा।