महाराष्ट्र सरकार की बहुप्रचारित ‘लाड़की बहन योजना’ पर आर्थिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री संजय शिरसाट ने सोमवार को पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि फिलहाल इस योजना के तहत भुगतान को 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग पर पहले से ही भारी वित्तीय बोझ है और ऐसे में अतिरिक्त राशि जारी करना कठिन है।
शिरसाट ने यह स्पष्ट किया कि योजना को बंद नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसे यथावत जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह सच है कि आर्थिक स्थिति के कारण 2,100 रुपये देना अभी संभव नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम योजना से पीछे हट रहे हैं। यह योजना जारी रहेगी और सरकार वादा निभाने की दिशा में प्रयासरत है।”
यह पहली बार है जब महायुति गठबंधन के किसी मंत्री ने चुनावी वादे को लेकर सरकार की असमर्थता स्वीकार की है। विधानसभा चुनाव के दौरान महायुति नेताओं ने दावा किया था कि वे ‘लाड़की बहन योजना’ के तहत महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देंगे, जबकि फिलहाल उन्हें 1,500 रुपये मिलते हैं।
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शिरसाट ने सरकार के भीतर वित्तीय संसाधनों के बंटवारे को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “मेरे विभाग के करीब 3,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। मैंने एक महीने पहले मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि वे इस मुद्दे पर संवेदनशीलता से विचार करें और नियमों के अनुसार धनराशि जारी करें। मैंने यह बात लिखित में दी है और वित्त मंत्री अजीत पवार से भी व्यक्तिगत रूप से बात की है।”
मंत्री ने 3 मई को उस निर्णय की भी आलोचना की, जिसमें अजीत पवार के नेतृत्व वाले वित्त विभाग ने ‘लाड़की बहन योजना’ के लिए सामाजिक न्याय विभाग से लगभग 400 करोड़ रुपये की राशि को पुनः आवंटित किया था। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इसी तरह धन का डायवर्जन होता रहा, तो कई महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित होंगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह योजना के विरोध में नहीं हैं, बल्कि इसके पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना दलितों और अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण रही है और महायुति को सत्ता में लाने में भी इसकी अहम भूमिका रही।
गौरतलब है कि जुलाई 2024 में शुरू की गई इस योजना के तहत उन महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह की सहायता दी जाती है, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। सरकार ने विधानसभा चुनावों के दौरान इस राशि को बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन मार्च में पेश बजट में इस वृद्धि का कोई उल्लेख नहीं किया गया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तब कहा था कि सरकार इस पर काम कर रही है, लेकिन योजना को टिकाऊ बनाए रखने के लिए वित्तीय अनुशासन भी जरूरी है। फिलहाल लाभार्थियों को अप्रैल से 1,500 रुपये मिलते रहेंगे।