Delhi Chunav Result 2025: दिल्ली चुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं, वो पूरी तरह अप्रत्याशित हैं। जिस आम आदमी पार्टी ने एक नई तरह की राजनीति की शुरुआत की थी, जिसने दिल्ली को बदलने का दम भरा था, उसी पार्टी से उखाड़ फेंका गया है। ऐसे हालात बने हैं कि अरविंद केजरीवाल खुद नई दिल्ली सीट से हार गए, मनीष सिसोदिया हार गए, सत्येंद्र जैन भी अपनी सीट गंवा बैठे। अब इतना सबकुछ हुआ यानी कि बीजेपी ने कुछ तो सही किया, कुछ तो ऐसा हुआ कि जनता ने उनके पक्ष में वोट किया।

अब वैसे तो बीजेपी की इस बड़ी जीत के कई कारण हैं, लेकिन एक ऐसा फैसला है जिसे गेमचेंजर माना जा रहा है। यह फैसला भी दिल्ली में वोटिंग से 100 घंटे पहले का रहा। एक तरफ दिल्ली का चुनाव रहा तो दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया था देश का आम बजट। एक ऐसा बजट जहां पर 2014 के बाद सबसे बड़ा ऐलान हुआ। 12 लाख तक की इनकम पर नो टैक्स की घोषणा कर दी गई। अब इसी फैसले ने सारे समीकरण बदल डाले, ऐसा इशारा एग्जिट पोल ने भी दिखा दिया था, सारे जानकार भी ऐसा मानने लगे।

असल में दिल्ली में मिडिल क्लास वोटरों ने बीजेपी के पक्ष में एक लहर पैदा कर दी। जिस मिडिल क्लास को किसी भी पार्टी से कुछ नहीं मिल रहा था, आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस तक सिर्फ पिछड़े समाज, मुस्लिम और दूसरी जातियों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही थी, इस मिडिल क्लास को कोई नहीं देख रहा था। लेकिन इस बार बीजेपी ने इसी मिडिल क्लास को साध लिया। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि दिल्ली में जो बीजेपी के पक्ष में माहौल बना है, इसमें मिडिल क्लास ने एक अहम रोल निभाया है।

अगर बात पूरे देश की हो तो दिल्ली सबसे ज्यादा पर कैपिटा इनकम के मामले में तीसरे नंबर पर आता है। उससे आगे सिर्फ तेलंगाना और हरियाणा है। दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय 167.5% चल रही है। दिल्ली का जो इकोनॉमिक सर्वे भी पेश किया गया था, उसमें बताया गया था कि राजधानी में वर्तमान में प्रति व्यक्ति आय 4.61 लाख चल रही है। एक आंकड़ा यह भी बताता है कि दिल्ली में मिडिल क्लास की आबादी 45 फीसदी के करीब बैठती है, यह भी नेशनल एवरेज से ज्यादा है जो वर्तमान में 31% आंकी गई है।

PEOPLE RESEARCH ON INDIAS CONSUMER ECONOMY की रिपोर्ट कहती है, दिल्ली का मिडिल क्लास 5 लाख से 30 लाख के बीच में कमा रहा है। CSDS लोकनीति की रिसर्च बताती है कि दिल्ली के 71 प्रतिशत लोगों ने खुद को मिडिल क्लास बताया था। यहां भी 28 फीसदी करीब तो वो लोग रहे जो HIGH MIDDLE CLASS वाले हैं और 44 फीसदी के करीब वो जो खुद को LOW MIDDLE CLASS बताते हैं। यहां भी 73% लोग दिल्ली में प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। ये सारे आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली का जो मिडिल क्लास वोटर है, वो 12 लाख वाले इनकम ब्रैकिट में आता है।

अब इसी मिडिल क्लास को वोटिंग से ठीक पहले मैसेज चला गया कि एक पार्टी ने ऐसा ऐलान किया है जिससे उनका पैसा बच रहा है, जिससे उन्हें सीधा फायदा हो रहा है। इसी फैसले ने वोटों को पूरी तरह स्विंग कर दिया। जो मिडिल क्लास विकल्प के आभाव में केजरीवाल के साथ जा रहा था, इस बार उसने बढ़ चढ़कर बीजेपी का समर्थन किया। सी वोटर का अगर सर्वे देखा जाए तो पता चलता है कि नतीजे से 10 पहले तक भी मुकाबला काफी काटे का था, लेकिन वहां आम आदमी पार्टी को एक ऐज थी।

लेकिन 1 फरवरी के बाद से ही बाजी पूरी तरह पलट गई, ऐसा माहौल बन चुका था कि आम आदमी पार्टी कहीं तो फंस गई और बीजेपी ने कहीं तो ज्यादा गेन किया है। अब नतीजे बता रहे हैं कि बीजेपी ने काफी गेन किया, उसने मिडिल क्लास का वोट हासिल किया, उसने जाति-धर्म से ऊपर उठकर उस जनसमर्थन को जुटाया जो सिर्फ अपनी जिंदगी में बदलाव चाहता था। अब यह मिडिल क्लास वाला दांव आने वाले चुनावों में भी एक बड़े एक्सपेरिमेंट के तौर पर देखा जाएगा। वैसे बीजेपी जीती, लेकिन आप हारी तो उस पर आपदा तो बड़ी आई है। उसके पांच बड़े कारण यहां जानें