Freebies Politics Delhi Maharashtra Budget: दिल्ली चुनाव के जनादेश ने पूरे देश को कई बड़े संकेत दिए हैं। सबसे बड़ा संकेत तो यह रहा कि राजनीतिक दल सिर्फ रेवड़ियों के जरिए अब सत्ता में बरकरार नहीं रह सकते हैं। इससे ज्यादा जरूरी अब यह है कि बुनियादी सुविधाएं दी जाएं, अच्छी सड़क-साफ पानी पर जोर दिया जाए। लेकिन क्योंकि अरविंद केजरीवाल कई दूसरे मोर्चों पर फेल रहे, नतीजा यह रहा कि उन्हें अपनी सीट तो गंवानी ही पड़ी, आम आदमी पार्टी भी सत्ता से बेदखल हो गई।
अब एक तरफ दिल्ली में रेवड़ियों का जलवा फीका पड़ा है तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में महायुति के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो चुकी हैं। असल में इस समय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपनी कई उन योजनाओं को जारी नहीं रख पा रहे हैं जहां पर सबसे ज्यादा फ्री का तड़का लगा हुआ था। बाते चाहे बुजुर्गों को तीर्थ स्थल पर ले जाने की हो या फिर महिलाओं के खाते में पैसे डालने की, इस समय राज्य का बजट ऐसा बिगड़ा है कि कुछ योजनाओं पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी गई है।
अब जानकारी के लिए बता दें कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना पिछले साल जून में शुरू की गई थी। ऐसा माना गया कि उस चुनाव ने भी महायुति की जीत में एक अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब वही योजना बड़ी सिरदर्दी बन चुकी है। आर्थिक विभाग के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि सरकार अपने खर्च कम करने पर जोर दे रही है। इसी वजह से कई योजनाओं की समीक्षा की जा रही है और उन्हें कुछ वक्त के लिए रोका भी जा सकता है।
वैसे यह मुद्दा भी इस वजह से उठा है क्योंकि राज्य सरकार अयोध्या जाने के लिए 25 करोड़ का फंड नहीं जुटा पाई है। इसी योजना के तहत बुजुर्गों का एक जत्था अयोध्या जाना था, लेकिन उसमें लगातार देरी हो रही है। यह अलग बात है कि इस योजना को सुपरवाइज कर रहे राज्य के सोशल वेलफेयर कमिश्नर ओम प्रकार ने दो टूक कहा है कि महाकुंभ की वजह से अयोध्या की 13 ट्रिप में देरी हुई है। महाकुंभ के बाद तारीखों पर मुहर लगा दी जाएंगी। इसके बाद पुरी ट्रिप की भी तैयारी होनी है।
वैसे इस समय महाराष्ट्र में सिर्फ तीर्थ योजना को लेकर ही पैसों की दिक्कत नहीं आई है, शिव भोजन थाली योजना, अनंदचा शिधा योजना को लेकर भी ऐसी खबरें आ रही हैं। एक योजना के जरिए गरीबों को खाने की थाली दी जाती है तो वहीं दूसरी योजना के तहत जरूरी राशन मिलता है।
आंकड़े तो यह भी बताते हैं कि पिछले साल अकेले जुलाई से अक्टूबर के बीच में तीर्थ योजना के तहत 6424 बुजुर्गों को अयोध्या ले जाया गया था, लेकिन चुनावी जीत के बाद से महायुति की सरकार सिर्फ 800 लोगों के एक जत्थे को बिहार के गया भेज पाई है। अभी अयोध्या के लिए 13 ट्रिप प्लान की गई हैं, एक पुरी के लिए भी तैयार है, लेकिन अभी के लिए सबकुछ रुका हुआ है।
अब बात अगर दिल्ली की करें तो यहां भी अरविंद केजरीवाल का ज्यादा फोकस फ्री की योजनाओं पर रहा। इसका असर दिल्ली की आर्थिक हालत पर भी पड़ा। आंकड़ों ने खुद इस बात की तस्दीक कर दी थी कि आप सरकार ने सब्सिडी पर जबरदस्त खर्च किया था।
बात अगर दिल्ली की मुफ्त बिजली योजना की करें तो सालाना इस पर केजरीवाल की सरकार 3600 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी। जो पानी पर सब्सिडी देने की बात होती है, उस पर भी सालाना 500 करोड़ तक का खर्च आ रहा था। इसके ऊपर महिलाओं को जो फ्री बस सेवा दी गई है, उस पर भी सरकार के खजाने से हर साल 440 करोड़ रुपये निकल रहे थे।
अब इन फ्री की योजनाओं से एक तरफ वोट तो मिल रहे थे, लेकिन आरबीआई के ही आंकड़े बता रहे हैं कि राजधानी कर्ज में डूबती जा रही है। बात अगर साल 2020 की करें तो दिल्ली पर 3,631 करोड़ रुपये का कर्ज था, यह 2021 में बढ़कर 9,464 करोड़ तक चला गया। इसके बाद 2022 में आंकड़ा सीधे 15,689 करोड़ दर्ज किया गया। दिल्ली चुनाव की दूसरी खबरों के लिए यहां क्लिक करें