स्कूलों में स्टूडेंट्स के फोन का इस्तेमाल एक बड़ी समस्या बन गई है। ज्यादातर स्कूलों में बच्चों के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने पर बैन रहता है। वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टूडेंट्स के स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने पर अलग राय दी है। अदालत ने शुक्रवार को कहा कि स्कूल जाने वाले छात्रों द्वारा स्मार्टफोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध अवांछनीय और अव्यवहारिक दृष्टिकोण है। शिक्षा विभाग (डीओई) ने स्कूल परिसर में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
स्कूलों में छात्रों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग पर गाइडलाइन जारी करते हुए जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा, “स्कूल में स्मार्टफोन के अंधाधुंध उपयोग और दुरुपयोग से उत्पन्न होने वाले हानिकारक प्रभावों को कम किए बिना, यह अदालत इस बात पर विचार करती है कि स्मार्टफोन कई लाभकारी उद्देश्यों की पूर्ति भी करते हैं, जिसमें माता-पिता और बच्चों के बीच समन्वय बनाए रखना भी शामिल है, जो छात्रों की सुरक्षा और संरक्षा में इजाफा करता है।”
अगस्त 2023 में, शिक्षा निदेशालय ने एक एडवाइजरी जारी कर दिल्ली के सभी स्कूलों के परिसर में कक्षाओं और पढ़ाई के दौरान मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, अदालत ने कहा कि एडवाइजरी में स्कूलों में स्मार्टफोन के दुरुपयोग को रोकने के लिए व्यापक निर्देश दिए गए हैं। अपने दिशा-निर्देशों में अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि नीतिगत तौर पर छात्रों को स्कूल में स्मार्टफोन ले जाने से नहीं रोका जाना चाहिए लेकिन इसके उपयोग को रेगुलेट और निगरानी में रखा जाना चाहिए।”
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इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जहां स्मार्टफोन की सुरक्षा का प्रबंध करना संभव है वहां छात्रों को स्कूल में प्रवेश करते समय अपने स्मार्टफोन जमा करने और घर लौटते समय उन्हें वापस लेने की व्यवस्था होनी चाहिए। अदालत ने सिफारिश की है कि क्लास में स्मार्टफोन का उपयोग प्रतिबंधित होना चाहिए और स्कूल के सामान्य क्षेत्रों के साथ-साथ स्कूल वाहनों में भी स्मार्टफोन पर कैमरों और रिकॉर्डिंग सुविधा का उपयोग प्रतिबंधित होना चाहिए।
अदालत के आदेश में कहा गया है कि स्कूलों को छात्रों को जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार, डिजिटल शिष्टाचार और स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में शिक्षित करना चाहिए और छात्रों को यह परामर्श दिया जाना चाहिए कि स्क्रीन समय और सोशल मीडिया पर अत्यधिक व्यस्तता से एंजाइटी, ध्यान में कमी और साइबर-क्राइम की स्थिति पैदा हो सकती है।
अपनी गाइडलाइन में, हाईकोर्ट ने रेखांकित किया है कि सुरक्षा और समन्वय और कनेक्टिविटी के लिए स्मार्टफोन के उपयोग की अनुमति देनी चाहिए लेकिन मनोरंजन/मनोरंजक उपयोग के लिए स्मार्टफोन के उपयोग की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि स्कूल में स्मार्टफोन के उपयोग को रेगुलेट करने और निगरानी करने की नीति अभिभावकों, शिक्षकों और विशेषज्ञों के परामर्श से बनाई जानी चाहिए ताकि एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित किया जा सके जो सभी संबंधित पक्षों की जरूरतों और चिंताओं को संबोधित करे।
अदालत ने सुझाव दिया है कि नीति में स्कूल में स्मार्टफोन के इस्तेमाल के नियमों के उल्लंघन के लिए पारदर्शी, निष्पक्ष और लागू करने योग्य परिणाम तय किए जाने चाहिए ताकि अत्यधिक कठोर बने बिना लगातार इस्तेमाल सुनिश्चित किया जा सके। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स