Udaipur Files Movie: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर रोक (Udaipur Files Release Ban) लगा दी। कोर्ट ने यह रोक तब तक के लिए लगाई है, जब तक केंद्र सरकार (Central Government) इसके कंटेंट पर कोई फैसला नहीं ले लेती।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट का यह आदेश तीन याचिकाओं पर पारित किया गया, जिनमें से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Jamiat Ulema-e-Hind President Maulana Arshad Madani) द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल तेली (Kanhaiya Lal Teli Murder Udaipur) की हत्या पर आधारित फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। यह फिल्म 11 जुलाई यानी शुक्रवार को रिलीज होने वाली थी।
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को फिल्म की जांच के लिए सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा 6 के तहत अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार स्वप्रेरणा से या किसी फिल्म प्रमाणपत्र के विरुद्ध किसी पीड़ित व्यक्ति द्वारा दायर आवेदन पर इस शक्ति का प्रयोग कर सकती है। इस मामले में कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने इस उपाय का सहारा नहीं लिया था।
हालांकि पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप करना अनुचित नहीं है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए।
आदेश में कहा गया, ‘हम याचिकाकर्ता को दो दिनों के भीतर केंद्र सरकार से संपर्क करने की अनुमति देते हैं और यदि याचिकाकर्ता केंद्र सरकार से संपर्क करते हैं, तो वे अंतरिम उपायों के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं। जब याचिकाकर्ता एक पुनरीक्षण याचिका के साथ केंद्र सरकार से संपर्क करते हैं, तो उस पर विचार किया जाएगा और उत्पाद को अवसर देने के बाद एक सप्ताह की अवधि के भीतर निर्णय लिया जाएगा।’
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि फिल्म के खिलाफ अंतरिम राहत की प्रार्थना पर भी विचार किया जाएगा। पीठ ने निर्देश दिया कि इस बीच फिल्म की रिलीज पर रोक रहेगी।
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न्यायालय ने आदेश दिया कि चूंकि हम याचिकाकर्ता को अधिनियम की धारा 6 के तहत संशोधन का उपाय अपनाने से रोक रहे हैं, इसलिए हम प्रावधान करते हैं कि फिल्म की रिलीज पर रोक रहेगी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि फिल्म सांप्रदायिक विद्वेष भड़का सकती है और सीबीएफसी द्वारा दिए गए प्रमाणन पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
सीबीएफसी ने बुधवार को कोर्ट को बताया था कि फिल्म से कुछ आपत्तिजनक हिस्से हटा दिए गए हैं। इसके बाद अदालत ने निर्माता को निर्देश दिया था कि वह मामले में पेश हुए वकीलों – मदनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सीबीएफसी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा के लिए फिल्म और ट्रेलर की स्क्रीनिंग की व्यवस्था करें। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर सुनवाई हुई। पढ़ें…पूरी खबर।