दिल्ली के मजनू का टीला में एक हर्ब ट्रेडर इंटरपोल के रडार पर है। जानकारी के मुताबिक, जड़ी-बूटी व्यापारी अंतरराष्ट्रीय बाघ तस्कर है। कागजों पर, 46 वर्षीय ताशी शेरपा, दिल्ली के मजनू का टीला में हर्ब ट्रेडर था। हालांकि, इंटरपोल का मानना ​​है कि शेरपा एक जाने-माने इंटरनेशनल टाइगर ट्रैफिकर और आपराधिक गिरोह का प्रमुख सदस्य था जो भारत, भूटान, नेपाल और चीन के बीच बाघों की तस्करी करता था।

24 जनवरी 2024 को मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने भारत-नेपाल सीमा के पास दार्जिलिंग के पास से शेरपा को गिरफ्तार किया था। पिछले महीने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट फिरोज अख्तर ने शेरपा को पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। वह फिलहाल होशंगाबाद जिला जेल में बंद है। इंटरपोल के एक निदेशक डेविड काउंटर ने अब मध्य प्रदेश सरकार से संपर्क कर शेरपा के फाइनेंशियल रिकॉर्ड, बिजनेस डीटेल्स और इंटरोगेशन रिकॉर्ड मांगे हैं। काउंटर ने शेरपा से जुड़े आपराधिक नेटवर्क की जांच के लिए इंटरपोल के समर्थन की भी पेशकश की।

स्पेशल टाइगर स्ट्राइक फोर्स द्वारा की गई जांच से पता चला है कि शेरपा वन्यजीव तस्करी नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कड़ी था जो बाघों और पैंगोलिन को निशाना बनाता था और उनके अंगों की तस्करी चीनी बाजारों में करता था। अदालती दस्तावेजों से पता चलता है कि शेरपा का तस्करी गिरोह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, सिक्किम, नेपाल और चीन के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था।

अदालती दस्तावेजों के अनुसार, यह नेटवर्क पहली बार 13 जुलाई, 2015 को पुलिस के रडार पर आया जब हाथियों पर गश्त कर रहे महावत मनीराम और गन्नू ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के करीमत क्षेत्र में 10 व्यक्तियों को देखा। महावतों ने हाथियों पर सवार समूह का पीछा किया लेकिन वे भाग गए। उनके छोड़े गए सामानों से एक महत्वपूर्ण सबूत मिला, एक बैग में तीन पैंगोलिन की खोपड़ियां।

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21 अगस्त 2015 को दस गिरफ्तारियाँ हुईं जिसके बाद कई लोगों ने कबूल किया कि नेटवर्क कितना फैला हुआ है। आरोपियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड से जांचकर्ताओं को जेई तमांग और उसके साथी लाचुंगपा यांगचेन का पता चला जो टाइगर स्ट्राइक फोर्स के अनुसार, “वन्यजीव अंगों के अंतरराष्ट्रीय व्यापारी और एक बड़े रैकेट के सरगना हैं।” 29 अक्टूबर, 2015 को तमांग की गिरफ़्तारी से इस ऑपरेशन में शेरपा की भूमिका उजागर हुई। तमांग ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसका व्यवसाय जड़ी-बूटियां बेचने से जुड़ा था पर वह अवैध रूप से बाघ की खाल, हड्डियाँ, पैंगोलिन के शेल और लाल चंदन भी खरीदता और बेचता था।”

एमपी स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स के प्रमुख रितेश सिरोथिया ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “शेरपा ने देश में वन्यजीव अंगों की तस्करी का सबसे बड़ा धंधा शुरू किया। उसने 2010 में अपना धंधा शुरू किया और मध्य प्रदेश, यूपी, दिल्ली, सिक्किम, नेपाल और चीन में अपना नेटवर्क बनाया। वह मजनू का टीला से इस नेटवर्क का संचालन कर रहा था और बाघ और पैंगोलिन के अंग बेच रहा था। हमने इस मामले में 30 लोगों को गिरफ्तार किया है और उसकी गिरफ्तारी 29वीं गिरफ्तारी थी।” इस मामले में 36 आरोपी शामिल थे। अभियोजन पक्ष के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 29 को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं।

मामले के बाद अदालत में पेश किए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि अकेले नर्मदापुरम में वन्यजीवों के शिकार के 308 मामले दर्ज किए गए और मध्य प्रदेश में बाघों के शिकार के 171 मामले दर्ज किए गए। वर्तमान में, अवैध शिकार के कारण मध्य प्रदेश में केवल 785 बाघ बचे हैं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स