Delhi MCD Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत हुई थी, और आम आदमी पार्टी से केवल सत्ता ही नहीं गई थीं, बल्कि पार्टी 62 से 22 पर खिसक गई है। अब इसका असर एमसीडी पर भी पड़ता नजर आ सकता है क्योंकि एमसीडी के वार्षिक मेयर चुनाव में बीजेपी अब वहां भी अपनी बढ़त बनाएगी। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी एमसीडी मे भी सिकुड़ सकती है।

2022 के एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत हुई थी। अब तक,नौकरशाही की बाधाओं और बीजेपी के साथ टकराव के कारण आम आदमी पार्टी अपने चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही है। 2022 के एमसीडी चुनावों में आप ने 250 सदस्यीय सदन में 134 सीटों के साथ बहुमत हासिल की थी। बीजेपी 104 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने नौ सीटें हासिल कीं और तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गईं।

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एमसीडी का कार्यकाल उथल-पुथल भरा रहा है, जिसमें आप और बीजेपी दोनों ने आक्रामक तरीके से प्रतिद्वंद्वी पार्षदों को अपने पाले में करने की कोशिश की। एमसीडी दलबदल विरोधी कानून एमसीडी पार्षदों पर लागू नहीं होता, इसलिए लगातार दलबदल ने सदन की संरचना में काफी बदलाव किया है।

पिछले महीने विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी ने अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाकर 120 कर लिया था, जबकि आप की संख्या घटकर 121 रह गई थी। विधानसभा चुनाव के बाद आप के लिए यह संख्या घटकर 118 और बीजेपी के लिए 112 रह गई, जिसमें आप के तीन पार्षद और BJP के विधायक बन गए। AAP के 4 अन्य पार्षदों के BJP में शामिल होने के बाद, आप के पास अब 114 पार्षद हैं, जबकि भाजपा के पास 116 पार्षद हैं।

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अनुमान है कि बीजेपी को आगामी मेयर चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना है। मेयर चुनाव के लिए चुने गए पार्षद, 14 विधायक, सात लोकसभा सांसद (सभी भाजपा) और तीन राज्यसभा सांसद शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत के कारण, 14 मनोनीत विधायकों में से 12 बीजेपी के होंगे, जबकि पहले केवल एक मनोनीत विधायक बीजेपी के पास था।

AAP की 2022 की सफलता 10 चुनावी गारंटियों पर केंद्रित थी, जिसमें दिल्ली के तीन लैंडफिल को खत्म करना, संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और पार्किंग की समस्या का समाधान करना शामिल है। हालांकि, BJP के साथ पार्टी के निरंतर संघर्ष को देखते हुए, ये मुद्दे काफी हद तक अनसुलझे हैं।

बता दें कि 5 करोड़ रुपये से ज़्यादा के प्रस्तावों को मंज़ूरी देने के लिए स्थायी समिति ज़रूरी है। इसके 18 सदस्यों में से 12 एमसीडी ज़ोन से चुने जाते हैं, जबकि छह सदन से चुने जाते हैं। अदालती मामले ने सदन से छह समिति सदस्यों के लिए चुनाव 2023 के मेयर चुनाव के बाद तक के लिए टाल दिया। ऐसे में दोनों पार्टियों को तीन-तीन सीटें मिलीं।

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इसके अलावा वार्ड समिति के चुनाव स्थगित कर दिए गए क्योंकि एलजी द्वारा नियुक्त एल्डरमैन भी इसके निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलजी की नियुक्तियों को बरकरार रखने के बाद, वार्ड समिति के चुनाव सितंबर 2024 में हुए, जिसमें BJP ने 12 में से सात क्षेत्रों में प्रमुख पदों पर जीत हासिल की। ​​इससे स्टैंडिंग कमेटी में उसकी उपस्थिति बढ़कर आप के आठ के मुकाबले नौ हो गई।

एलजी द्वारा नियुक्त 10 पार्षदों ने वार्ड चुनावों में बीजेपी को जीत दिलाने में मदद की, लेकिन वे सदन से स्थायी समिति के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। अंतिम स्थायी समिति सदस्य की नियुक्ति को लेकर लगभग एक साल से चल रही खींचतान के साथ-साथ इसने समिति के गठन और निगम के भविष्य को अधर में लटका दिया है।

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कमलजीत सेहरावत ने पश्चिमी दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्थायी समिति से बाहर निकलकर अपनी सीट के लिए उपचुनाव की जरूरत महसूस की। इसके बाद एलजी के आदेश पर 27 सितंबर को हुए चुनाव का आप पार्षदों ने बहिष्कार किया, जिसके कारण बीजेपी निर्विरोध जीत गई। इससे दोनों पक्षों की ओर से कई अदालती मामले शुरू हो गए थे। दिल्ली की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।