2030 तक देश के कई बड़े शहरों में गर्मी और बारिश का कहर और बढ़ने वाला है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली समेत मुंबई, चेन्नई, सूरत, ठाणे, हैदराबाद, पटना और भुवनेश्वर में अगले कुछ सालों में भीषण हीटवेव का खतरा दोगुना हो सकता है। यानी अब गर्मी केवल मई-जून तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि मानसून के दौरान भी लोगों को झुलसाती गर्मी झेलनी पड़ सकती है।

यह रिपोर्ट ‘तूफान का सामना करना: गर्म होते जलवायु में मानसून का प्रबंधन (Weathering the Storm: Managing Monsoons in a Warming Climate)’ नाम से आई है, जिसे एसरी इंडिया (Esri India) और अंतरराष्ट्रीय विकास परामर्श समूह आईपीई ग्लोबल ने मिलकर जारी की है। रिपोर्ट को जलवायु विशेषज्ञ अविनाश मोहंती और कृष्ण कुमार वासव ने तैयार किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि लंबे समय तक चलने वाली गर्म हवाओं के कारण न सिर्फ लू का खतरा बढ़ेगा, बल्कि बारिश भी अनियमित और जोरदार होगी। भारत के करीब 80 फीसदी जिलों में 2030 तक मानसून के दौरान भारी बारिश और हीटवेव दोनों एक साथ देखने को मिल सकते हैं।

दिल्ली में तो इस साल मई-जून में राजधानी में कई बार लू चली है। लेकिन आने वाले दिनों में मानसून के मौसम में भी तापमान सामान्य से ज्यादा बना रह सकता है। ऐसे में लोगों को गर्मी और भारी बारिश की दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। एसरी इंडिया के अनुसार, अब ये हालात केवल गर्मियों तक सीमित नहीं रहेंगे। मानसून के दौरान भी तापमान में खतरनाक बढ़ोतरी हो रही है। इससे लगातार तेज गर्मी और मूसलाधार बारिश का खतरनाक मेल तैयार हो रहा है।

आज का मौसम

रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देशभर में हीटवेव के दिनों में 2.5 गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा, अत्यधिक बारिश की घटनाओं में 43% तक इजाफा हो सकता है। यानी एक तरफ तेज गर्मी तो दूसरी ओर अचानक तेज बारिश — दोनों ही हालात जलवायु परिवर्तन की वजह से बिगड़ते जा रहे हैं।

विश्लेषण में ये भी बताया गया है कि पिछले 30 सालों (1993-2024) के दौरान मार्च से सितंबर तक हीटवेव वाले दिनों में 15 गुना तक बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ पिछले 10 सालों में ही ऐसी घटनाएं 19 गुना बढ़ी हैं। इससे साफ है कि अब हालात तेजी से बदल रहे हैं और हमें इन खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

दिल्ली समेत देश के 72% टियर-I और टियर-II शहरों में गर्मी और बारिश के इन खतरों के साथ-साथ तूफान, बिजली गिरने और ओलावृष्टि जैसी घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो सकती है। खासकर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में खतरा और भी ज्यादा रहेगा।

गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के करीब 75% जिलों को अगले पांच साल में लगातार गर्मी और अनियमित बारिश का सामना करना पड़ सकता है। ये सभी इलाके अब जलवायु परिवर्तन के सबसे संवेदनशील हॉटस्पॉट बनते जा रहे हैं।

रिपोर्ट में आगे ये सुझाव भी दिया गया है कि देश में जलवायु जोखिम को समझने के लिए एक ‘क्लाइमेट रिस्क ऑब्जर्वेटरी’ यानी जलवायु जोखिम वेधशाला बनाई जानी चाहिए। इससे हर इलाके का बारीकी से जोखिम आकलन किया जा सकेगा और समय रहते अलर्ट जारी किए जा सकेंगे। साथ ही सरकार को ऐसे आर्थिक उपाय भी तैयार करने होंगे जिससे आम लोगों पर पड़ने वाले आर्थिक असर को भी संभाला जा सके। मौसम के बारे में और जानकारी के लिए पढ़ें दिल्ली में कब होगी बारिश? लू और भीषण गर्मी को लेकर मौसम विभाग का रेड अलर्ट