Delhi-NCR Earthquake News in Hindi: दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस हुए है, रिक्टर स्केल पर तीव्रता मात्र 4 दर्ज की गई। इस भूकंप का केंद्र धौलाकुंआ के पास था जहां इससे पहले भी ऐसे झटके महसूस हो चुके हैं। अब सभी के मन में सवाल आ रहा है कि जब भूकंप की तीव्रता सिर्फ 4 थी, तो झटके इतने तेज कैसे लगे? आखिर इतनी तेज आवाज क्यों आई? अब जानकारों ने इसका स्पष्ट कारण बता दिया है।
असल में भूकंप की गहराई जब कम होती है, तो आसपास के इलाकों में झटके ज्यादा तेज महसूस होते हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर भूकंप की गहराई कम होगी तो नेपाल में आए भूकंप के झटके सिर्फ पूर्वोत्तर तक के राज्यों में महसूस होंगे, वहां धरती तेज हिलेगी, लेकिन दिल्ली में झटके कम होंगे। वही दूसरी तरफ अगर भूकंप की गहराई ज्यादा होगी तो उससे ज्यादा दूर तक के इलाके चपेट में आएंगे। तब पूरी संभावना है कि नेपाल में आए भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस होंगे।
बिहार में भूकंप
अब इस केस में हुआ यह है कि दिल्ली-एनसीआर में भूकंप की तीव्रता 4 थी, लेकिन गहराई मात्र 5 किलोमीटर। अब क्योंकि गहराई इतनी कम रही, इस वजह से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को ही यह झटके बहुत तेज लगे। बाकी राज्यों से ऐसी खबर नहीं आई, कई जगह तो लोगों को अहसास तक नहीं हुआ। राहत की बात यह रही कि कम गहराई के साथ तीव्रता भी कम रही, इस वजह से तेज झटकों के बाद भी तबाही नहीं हुई। लेकिन अगर कम गहराई के साथ भूकंप की तीव्रता थोड़ी ज्यादा होती, काफी नुकसान हो सकता था।
यहां पर समझने वाली बात यह भी है कि दिल्ली-एनसीआर का इलाका भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है। जानकार पहले ही कह चुके हैं कि भविष्य में दिल्ली में एक बड़ा भूकंप आ सकता है, जैसी यहां की भौगोलिक स्थिति है, उसे देखते हुए नुकसान भी काफी ज्यादा होगा। अभी भी कई बिल्डिंग उस लिहाज से भी कमजोर हैं जो किसी तेज भूकंप को सहन कर सकें।
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं और जब दबाव ज्यादा बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। वैसे इस बार के भूकंप के लोगों के रिएक्शन वायरल हो गए हैं, उनकी आपबीती जानने के लिए यहां क्लिक करें