दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने पर बैन लगाने के फैसले पर दिल्ली सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। सरकार का कहना है कि अभी इसे लागू करना जल्दबाजी होगा। दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से अनुरोध किया है कि 1 जुलाई 2025 से लागू होने वाले आदेश को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए। इस सबके बीच वाहनों पर इस बैन के लिए लगभग 10 साल तक केस लड़ने वाले वकील ने कहा कि प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत पहले, 2018 में आ चुका था पर इसे लागू नहीं किया गया।
2014 में, दिल्ली के वकील वर्धमान कौशिक ने राजधानी में वायु प्रदूषण के बढ़ते संकट को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का दरवाजा खटखटाया था। एक दशक की लड़ाई और एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद, पेट्रोल और डीजल वाहनों पर यह प्रतिबंध मुश्किल से तीन दिन तक चला।
कौशिक के अनुसार, प्रतिबंध आदेश का खराब कार्यान्वयन अदालतों की खुली अवहेलना है। कौशिक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “वाहन प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत पहले, 2018 में आ चुका था और इसे लागू नहीं किया गया।” कौशिक ने कहा, “यह कोई नया नियम नहीं है। लाइफ-स्पैन खत्म हो चुके वाहनों के लिए ये नियम लंबे समय से हैं। इस फैसले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में केवल कुछ ही वाहन जब्त किए गए हैं।
कौशिक ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि प्रतिबंध मध्यम वर्ग को गलत तरीके से निशाना बनाता है। उन्होंने कहा, “जो लोग कार खरीद सकते हैं और एयर-कंडीशन वाले कमरों में बैठ सकते हैं, वे अपनी कार को अच्छी कीमतों पर नहीं बेच पाने पर रो रहे हैं। उनकी राय मायने नहीं रखनी चाहिए। बड़ी आबादी जो कार खरीदने में सक्षम नहीं है, वह वायु प्रदूषण का खामियाजा भुगतती है।”
वकील ने कहा कि वाहनों की उम्र नहीं बल्कि उत्सर्जन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उम्र एक वैध प्रॉक्सी है। “भले ही पर्यावरण मंत्री द्वारा सुझाए गए अनुसार आयु सीमा को अलग रखा जाए, लेकिन तथ्य यह है कि (भारत मानक) बीएस III या बीएस IV वाहन हमेशा बीएस VI वाहन की तुलना में कहीं अधिक प्रदूषणकारी होंगे। सरकार को इस मोड़ पर निर्णय लेने की जरूरत है।”
अप्रैल 2015 में कौशिक की याचिका पर कार्रवाई करते हुए एनजीटी ने राजधानी की सड़कों से पुराने वाहनों को हटाने के लिए कानूनी आधार तैयार किया था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। आदेश में कहा गया था, “एनसीआर के परिवहन विभाग तुरंत घोषणा करेंगे कि NGT के आदेश के अनुसार 10 साल से अधिक पुराने सभी डीजल वाहन और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन एनसीआर में नहीं चलेंगे।”
यह प्रतिबंध 1 जुलाई 2025 से लागू हो गया। वहीं, गुरुवार को सीएक्यूएम को लिखे एक पत्र में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि इस समय प्रतिबंध लागू करना संभव नहीं होगा और तत्काल कार्यान्वयन, समय से पहले और संभावित रूप से प्रभावशाली नहीं हो सकता है। दिल्ली सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना हुई है।