दिल्ली में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पुनरुद्धार के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा इस पहल के लिए निर्धारित समय-सीमा के अनुसार, महत्वाकांक्षी यमुना रिवरफ्रंट परियोजना (Yamuna Riverfront Project) अगले साल 30 जून तक पूरी हो जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, विभिन्न बाढ़ क्षेत्र परियोजनाओं को जोड़ने वाले साइकिल ट्रैक का पहला चरण इस साल 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाना है।

दिल्ली चुनाव के दौरान यमुना की सफाई और उसके डूब क्षेत्र को बहाल करना एक बड़ा चुनावी मुद्दा था। भाजपा ने दावा किया था कि पिछली आप सरकार हज़ारों करोड़ खर्च करने के बावजूद नदी की सफाई नहीं कर पाई। इसने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो नदी की सफाई की जाएगी और गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर रिवरफ्रंट विकसित किया जाएगा। इसी कड़ी में पिछले दो महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों ने नदी की सफाई के संबंध में अलग-अलग बैठकें की हैं।

इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार, सराय काले खां के पास तत्कालीन मिलेनियम पार्क बस डिपो के स्थल पर विकसित किया जाने वाला रिवरफ्रंट 200 मीटर की दूरी पर बनेगा। 25 हेक्टेयर क्षेत्र में एक सेंट्रल पियाज़ा, एक टोपियरी पार्क, सुंदर नर्सरी की तर्ज पर एक स्थानीय शॉपिंग सेंटर, दो पार्किंग क्षेत्र और एक नदी सैरगाह बनाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, पियाज़ा (चौक) में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और बैठने की जगह, फव्वारे, मूर्तियां और उद्यान होंगे।

पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स

रिवरफ्रंट परियोजना, वजीराबाद और ओखला बैराज के बीच 22 किलोमीटर लंबे नदी क्षेत्र के पुनर्विकास की डीडीए की योजना का हिस्सा है। इस योजना को 11 परियोजनाओं में विभाजित किया गया है। इनमें से पांच, जैसे कि असिता ईस्ट और कालिंदी अविरल पहले ही विकसित हो चुकी हैं जबकि बाकी पर अभी काम चल रहा है।

साइकिल लिंक प्रस्ताव, जिसे सभी मौजूदा बाढ़ के मैदान परियोजनाओं को जोड़ने के लिए बनाया गया है, पश्चिमी तट पर 21 किलोमीटर लंबा और पूर्वी तट पर 30 किलोमीटर लंबा होगा। अधिकारियों ने कहा कि साइकिल ट्रैक को नदी के दोनों किनारों पर ग्रीन मोबिलिटी कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। अधिकारियों ने अभी तक यह विवरण नहीं दिया है कि परियोजना का कितना हिस्सा जिसे पांच महीने में पूरा किया जाना है, ट्रैक के चरण 1 के अंतर्गत आता है।

एक अधिकारी ने इंडियन एक्स्प्रेस से कहा, “परियोजनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। अंतिम योजना उन सभी को जोड़ने की है लेकिन यह बहुत चुनौतीपूर्ण है, न केवल इसलिए क्योंकि बाढ़ के मैदान के कई हिस्सों पर अतिक्रमण है बल्कि इसलिए भी क्योंकि अन्य मौजूदा परियोजनाएं इसके रास्ते में आ सकती हैं।” लोक निर्माण विभाग मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने मई में डीडीए अधिकारियों के साथ बैठक में सभी बाढ़ क्षेत्र परियोजनाओं को जोड़ने पर चर्चा की थी। पढ़ें- देशभर के मौसम का हाल