मोदी सरकार 2029 के लोकसभा चुनावों में महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण लागू कर सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लागू करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जिसके तहत अगले चुनाव में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी।

सरकारी सूत्रों ने बताया, “जनगणना की घोषणा हो चुकी है और उसके बाद अन्य कदम उठाए जाएंगे। महिला आरक्षण विधेयक परिसीमन प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। हमारा लक्ष्य अगले चुनाव में इसे लागू करना है।” संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 के अनुसार, सितंबर 2023 में पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण अधिनियम के अधिनियमन के बाद आयोजित पहली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रभावी होगा।

इस महीने की शुरुआत में सरकार ने घोषणा की थी कि जाति गणना के साथ-साथ जनगणना के लिए आंकड़े एकत्र करने की प्रक्रिया अगले साल शुरू होगी और इससे 1 मार्च, 2027 तक देश की जनसंख्या का एक स्नैपशॉट मिलेगा।

अगले लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण को वास्तविकता बनाने के लिए, समय रहते परिसीमन पूरा करना होगा ताकि भारत के चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन के आधार पर 2029 के चुनाव कराए जा सकें। जनगणना के आंकड़े परिसीमन के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आंकड़े उपलब्ध होने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की सीटों को पुनः समायोजित करने और उनकी क्षेत्रीय सीमाओं को पुनः निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।

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दक्षिणी राज्यों में इस बात को लेकर चिंता है कि परिसीमन के कारण “एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य” के संवैधानिक सिद्धांत के अनुरूप लोकसभा में विभिन्न राज्यों को आवंटित सीटों का अनुपात बदल जाएगा, जिससे उत्तरी राज्यों की सीटों में उछाल आएगा, जहां 1971 के बाद से जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, तथा दक्षिणी राज्यों का सापेक्षिक महत्व कम हो जाएगा, जहां इसी अवधि में जनसंख्या दर धीमी रही है। वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा है कि दक्षिणी राज्यों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं का समाधान किया जाएगा तथा शिकायतों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी जाएगी।

अगली जनगणना के बाद परिसीमन के लिए संसद को परिसीमन अधिनियम पारित करना होगा, जिसके तहत परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा जिससे लोकसभा सीटों में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रत्येक जनगणना के बाद सीटों के पुनर्समायोजन का प्रावधान है।

वर्तमान लोकसभा में जनसंख्या के आंकड़े 1971 की जनगणना के अनुसार हैं क्योंकि 1976 में सीटों का परिसीमन 25 वर्षों के लिए स्थगित कर दिया गया था। 2001 में संविधान संशोधन के माध्यम से अगले 25 सालों के लिए स्थगित कर दिया गया था और 2002 में वाजपेयी सरकार ने कहा था कि इससे परिवार नियोजन को प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं, 2026 तक संसद द्वारा एक और संवैधानिक संशोधन पारित नहीं किया जाता है तो परिसीमन पर रोक खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएगी। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स