High Court To Gujarat Govt: गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कानून-व्यवस्था की याद दिलाते हुए कहा कि इसको बनाए रखना उसका कर्तव्य है। साथ ही हाई कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वडोदरा के एक हिंदू बहुल इलाके में अपनी कानूनी रूप से स्वामित्व वाली दुकान से व्यापार करने में एक मुस्लिम व्यापारी के सामने आ रही समस्या का समाधान करें।
जस्टिस एच.डी. सुथार की पीठ का यह आदेश याचिकाकर्ता ओनाली ढोलकावाला के लिए राहत लेकर आया है। ढोलकावाला ने आरोप लगाया था कि उन्हें उनकी खुद की दुकान खोलने से लगातार रोका जा रहा है, क्योंकि कुछ स्थानीय लोग मुस्लिम व्यापारी को इलाके में व्यापार नहीं करने देना चाहते।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ढोलकावाला ने 2016 में चंपानेर दरवाजा के पास दो हिंदू भाइयों से कानूनी रूप से दुकान खरीदी थी, लेकिन यह क्षेत्र ‘गुजरात अशांत क्षेत्र अधिनियम, 1991’ के अंतर्गत आता है, जो संपत्ति लेन-देन को नियंत्रित करता है और यह कोई जमीन जायदाद खरीदने के लिए कलेक्टर की पूर्व अनुमति अनिवार्य है। उन्होंने हाईकोर्ट की मदद से 2020 में बिक्री दस्तावेज़ रजिस्टर्ड करवाया था।
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इसके बावजूद, इलाके के कुछ लोगों ने मुसलमान को संपत्ति बेचने का विरोध करते हुए इसका रद्दीकरण मांगते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनका दावा था कि मुस्लिम को संपत्ति देने से इलाके में आबादी का संतुलन बिगड़ जाएगा और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है।
हालांकि, फरवरी 2023 में हाईकोर्ट ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया और दो याचिकाकर्ताओं पर 25-25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि वे ‘संपत्ति के कानूनी स्वामी को उसके अधिकार से वंचित करने का प्रयास कर रहे हैं’। इसके बाद भी, स्थानीय निवासियों ने ढोलकावाला को दुकान खोलने नहीं दिया और दुकान के गेट पर मलबा फेंककर बाधा पहुंचाई।
इस पर ढोलकावाला को एक बार फिर हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा। उन्होंने याचिका में पुलिस सुरक्षा की मांग की ताकि वह दुकान की मरम्मत करा सकें और अपना कारोबार शुरू कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि कई बार स्थानीय पुलिस से मदद मांगी, लेकिन उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला।
कोर्ट ने इस पर स्पष्ट शब्दों में कहा कि व्यक्ति को उसकी कानूनी रूप से खरीदी गई संपत्ति का उपयोग करने से रोकना संविधान और कानून का उल्लंघन है। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उसका वैध हक दिलाए। वहीं, बुलडोजर न्याय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर CJI बीआर गवई ने कहा कि सरकारें जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती हैं।