Manipur News: 10 विधायकों ने बुधवार को मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए 40 से ज्यादा विधायकों का समर्थन होने का दावा किया। इन सभी खबरों के बीच, केंद्र सरकार के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि निकट भविष्य में राष्ट्रपति शासन को हटाए जाने के कोई भी आसार नहीं है। केंद्र और मणिपुर राज्य मशीनरी दोनों के लिए फिलहाल सबसे पहली प्राथमिकता तो यही है कि यहां पर शांति लौटे। कोई भी राजनीतिक आंदोलन इसको पटरी से उतार सकता है।
राज्य के पूरे घटनाक्रम के जानकार एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘न तो बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व और न ही केंद्र सरकार अभी सरकार बनाना चाहती है। इसकी संभावना बहुत कम है।’ मणिपुर में काफी लंबे वक्त से कुकी और मैतई समुदाय के बीच में संघर्ष छिड़ा हुआ है। केंद्र सरकार ने फरवरी के महीने में राष्ट्रपति शासन लागू किया था।
मुलाकात को लेकर बाद में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने जोर देकर कहा कि यह केवल शिष्टाचार भेंट थी। राज्य के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘बीजेपी में अनुशासन की संस्कृति है। केंद्रीय नेतृत्व तय करता है कि पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा। हमें उसका पालन करना होगा।’ बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘शीर्ष नेतृत्व से हस्तक्षेप करने और विधायकों से बात करने की उम्मीद है। नेतृत्व विधायकों की हताशा को समझता है।’
सरकार गठन के लिए राज्यपाल से मिले 10 NDA विधायक
मणिपुर में शांति कम स्पीड से आगे बढ़ रही है। राज्य में हाल के दिनों में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद में एक नया दौर देखने को मिला है। केंद्र सरकार इसमें आने वाली समस्याओं को लेकर चिंतित है। राष्ट्रपति शासन के तीन महीनों में केंद्र सरकार की तरफ से कई सारे कदम उठाए गए हैं। इसमें पहला तो यह था कि जिस – जिसने हथियार लूटे थे उन्हें वापस करने को कहना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मैतेई और कुकी क्षेत्रों के बीच फिर से आवाजाही शुरू करने के लिए 8 मार्च तक की डेडलाइन तय की थी। हालांकि इसमें कुछ समस्याएं आ गई हैं।
कुकी संगठनों की ठंडी प्रतिक्रिया के बावजूद केंद्र सरकार को भरोसा है कि वह सही रास्ते पर है। घटनाक्रम से वाकिफ एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘वास्तव में राज्य में सरकार केंद्र और उसकी कोशिशों के लिए और भी ज्यादा परेशानियां पैदा कर सकती हैं।’ एक बीजेपी नेता ने कहा कि अभी तक सभी हथियार भी जमा नहीं किए गए हैं। शायद अभी भी 3,000 फायर आर्म्स मौजूद हैं।
बीजेपी नेताओं का यह भी कहना है कि इस बात की बहुत ही कम गांरटी है कि जो विधायक सरकार बनाने का दावा करने के लिए साथ आए हैं, वे अपने मतभेदों को अलग रख पाएंगे। उदाहरण के लिए पहली समस्या मुख्यमंत्री का चयन होगा। एक सूत्र ने कहा, ‘हमें सर्वसम्मति की संभावना नहीं दिखती।’ दूसरी सबसे बड़ी समस्या एन बीरेन सिंह होंगे। एक नेता ने बताया कि कुकी की मुख्य मांग यह है कि बीरेन को बाहर रखा जाए। नेता ने कहा, ‘तो हम उनकी भागीदारी के साथ सरकार कैसे बना सकते हैं।’ राज्य में शांति कायम करने के लिए केंद्र कर रहा प्रयास पढ़ें पूरी खबर…