पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले का जवाब सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत ने कूटनीतिक और जलनीति के स्तर पर भी कठोर कदम उठाए। ‘वॉटर स्ट्राइक’ से लेकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक भारत ने 13 दिनों में आतंक के हर स्रोत को चुनौती दी। यह कहानी सिर्फ जवाब की नहीं, बल्कि रणनीति, चेतावनी और राष्ट्रीय संकल्प की है। यह 13 दिनों की वो टाइमलाइन है, जिसने भारत की नीति और पाकिस्तान की नींद दोनों को बदल डाला।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले की सुरम्य पहलगाम बैसरन घाटी में दोपहर 2 बजे के आसपास अचानक गोलियों की आवाजें गूंजने लगीं। पांच सशस्त्र आतंकवादियों ने 70 राउंड से ज्यादा फायरिंग की। इस हमले में 26 लोग मारे गए। इसमें 25 हिंदू पर्यटक और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। आतंकियों ने एम 4 कार्बाइन और एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया। हमला बेहद योजनाबद्ध था। स्थानीय लोगों और पोनी हैंडलर्स की बहादुरी ने 11 घायलों की जान बचा ली। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए पर्यटकों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया।
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का आधिकारिक दौरा बीच में छोड़ दिया और दिल्ली लौटते ही एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ आपात बैठक बुलाई। पूरे देश में आक्रोश की लहर फैल गई। एयर इंडिया और इंडिगो ने श्रीनगर से दिल्ली-मुंबई के लिए विशेष उड़ानों की घोषणा की ताकि पर्यटक सुरक्षित लौट सकें। पंजाब, दिल्ली, जम्मू समेत कई राज्यों में हाई अलर्ट जारी किया गया।
पहलगाम हमले के दो दिन बाद, 24 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सेना प्रमुख, गृह मंत्री और विदेश मंत्री मौजूद रहे। बैठक में पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने की रणनीति तय की गई, जिसमें सैन्य और कूटनीतिक विकल्पों पर सहमति बनी। इसके बाद ही ‘वॉटर स्ट्राइक’ और संभावित सैन्य कार्रवाई जैसे कठोर कदमों की रूपरेखा तय की गई।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मामले की जांच संभाली। शुरुआती जांच में सामने आया कि हमले में शामिल 5 पाकिस्तानी आतंकियों की मदद 14 स्थानीय सहयोगियों ने की थी। कश्मीर के 80 पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। सुरक्षा बलों ने संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी।
पाकिस्तान ने हमले की औपचारिक निंदा की, लेकिन साथ ही स्वतंत्र जांच की मांग भी रखी, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। चीन और मलेशिया ने पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया। भारत ने दो टूक कहा—”अब शब्द नहीं, कार्रवाई होगी।”
भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने के लिए सिंधु जल संधि (1960) को निलंबित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया – “भारत का पानी अब भारत के ही काम आएगा।” भारत ने चिनाब नदी के बहाव को 90% तक घटा दिया और पश्चिम की ओर नदियों पर नए जलविद्युत प्रोजेक्ट्स शुरू कर दिए। पाकिस्तान ने इस कदम को ‘वॉटर वॉर’ करार दिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शोर मचाया।
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भारत ने पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित किया, सीमा सील कर दी और व्यापार व वीजा सेवाएं बंद कर दीं। जवाब में पाकिस्तान ने भी शिमला समझौता निलंबित कर दिया और भारतीय विमानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दिया।
एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना की तैनाती बढ़ा दी गई। सीमा पर सैन्य हलचल बढ़ गई। रडार, आर्टिलरी और एंटी-एयर सिस्टम अलर्ट पर रखे गए। खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकवादी शिविरों की लोकेशन पिन-पॉइंट की।
6 मई की रात भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। वायुसेना ने PoK और पाकिस्तान में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल एयरस्ट्राइक की। सटीक तकनीक और इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर इन ठिकानों को तबाह किया गया। यह कार्रवाई 2016 के उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हमले से कहीं अधिक व्यापक और आक्रामक थी।
पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय फाइटर जेट मार गिराए, हालांकि भारत ने इसका खंडन किया। दोनों देशों के बीच सीमाओं पर गोलीबारी शुरू हो गई। 2021 की संघर्षविराम संधि टूटने के कगार पर आ गई। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन समेत कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की। ऑस्ट्रेलिया ने कश्मीर और भारत-पाक सीमा क्षेत्र के लिए यात्रा चेतावनी जारी की। भारत ने देशभर में आपातकालीन सुरक्षा ड्रिल शुरू की, वहीं पाकिस्तान में स्कूल बंद कर दिए गए और सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी गई।
भारत के इस जवाब ने स्पष्ट किया कि अब सिर्फ बयानबाजी नहीं, हर आतंकी हमले का ठोस और रणनीतिक जवाब मिलेगा। जहां 2019 में पुलवामा का बदला बालाकोट से लिया गया था, वहीं 2025 में पहलगाम का बदला पानी और बम दोनों से लिया गया।
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‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह भारत की एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का प्रतीक था—जहां पानी को भी हथियार बनाया गया और कूटनीति से लेकर हवाई हमला तक हर स्तर पर जवाब दिया गया।
भारत के लिए यह सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक नए सुरक्षा दृष्टिकोण की शुरुआत थी। सीमाओं के पार छिपे आतंकी ठिकानों को खत्म करना अब सिर्फ चुनावी वादा नहीं, एक स्थायी नीति बन गई है। पाकिस्तान की निंदा, सिंधु जल समझौते का निलंबन और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ – इन तीन कदमों ने दुनिया को बता दिया कि भारत अब सहन नहीं करेगा। पहलगाम का बदला 13 दिन में पूरा हुआ, लेकिन इसके असर आने वाले वर्षों तक महसूस किए जाएंगे।