BY: Devdutt Pattanaik

Brahmi Script History: जब भी हम आवाजों के जरिए कम्युनिकेट करते हैं, इसे स्पीच कहा जाता है। जब भी हम राइटिंग के जरिए कम्युनिकेट करते हैं, इसे स्क्रिप्ट कहा जाता है। इस दुनिया में एक नहीं कई तरह की स्क्रिप्ट हैं। अब क्या वो सारी स्क्रिप्ट इमोजी टाइप में थीं? क्या वो लेटर फॉर्म में थीं? क्या उन्हें हम कॉन्सोनेंट या फिर वोवल माने? यहां लिखने का डायरेक्शन क्या रहता होगा?

बात अगर Mesopotamia के सुमेरिएन्स की करें तो उन्होंने 3300 बीसी में राइटिंग का अविष्कार किया था, तब उन्होंने Cuneiform स्किप्ट का इस्तेमाल किया। इसे मिट्टी की पट्टियों पर कील के आकार के निशान बनाकर लिखा जाता था। Cuneiform स्किप्ट Logographic अंदाज में लिखी जाती थी, इसे आप पिक्चर बेस्ड राइटिंग कह सकते हैं जहां पर तस्वीरों के जरिए बातचीत होती थी। उसके बाद इजिप्ट की Hieroglyphs राइटिंग आई, ये भी Logographic अंदाज में लिखी जाती थी। अब बात चाहे सुमेरिएन्स की करें या फिर Cuneiform स्किप्ट की, ये सब ऊपर से नीचे लिखी जाती थीं। उसके बाद चाइनीस राइटिंग आई, वो भी ऊपर से नीचे लिखते हैं। बाद में जो मिस्र की राइटिंग थी, वो दोनों ही दिशाओं में लिखी जा सकती थी।

क्यूनिफॉर्म लिपि लगभग 2800 बीसी में Syllabary में बदल दी गई थी, इसे शब्दांशीय कहा जाता है। Logographic स्क्रिप्ट काफी सीमित थी, इसी वजह से इसका विस्तार किया गया। आगे चलकर यही क्यूनिफॉर्म लिपि कई दूसरी भाषाओं में इस्तेमाल हुई और फिर Assyria, Babylon और Persia के राजाओं ने भी इसका इस्तेमाल किया। अब इतिहास बताता है कि हड़प्पा ने भी सुमेरिएन्स के साथ व्यापार तो किया लेकिन उनकी क्यूनिफॉर्म लिपि को अपनी संस्कृति के साथ नहीं ढाला। कहा जाता है कि हड़प्पा स्क्रिप्ट भी इमोजी का ही एक सेट होती है, इसे Logographic भी मान सकते हैं, यह अलग बात है कि हर इतिहासकार ऐसा नहीं मानता है। असल में मुहरों पर तो हड़प्पा स्क्रिप्ट को दाएं से बाएं लिखा जाता था। लेकिन जो मुहरों के निशान होते थे, उन्हें बाएं से दाएं पढ़ा गया।

कभी कबार तो स्क्रिप्ट को पहले राइट टू लेफ्ट उकेरा जाता था, फिर इसे लेफ्ट की राइट उकेरा जाने लगा। इस तरह की राइटिंग को Boustrophedon नाम दिया गया।

अब सभी के मन में सवाल आता है कि अल्फाबेट्स और वोवल का अविष्कार किसने किया था? असल में अल्फाबेट्स का अविष्कार 1200 बीसी में Phoenicians ने किया था। लेकिन तब उन्होंने सिर्फ कॉन्सोनेंट का अविष्कार किया था। अब तकनीकी भाषा में सिर्फ कॉन्सोनेंट वाली स्क्रिप्ट को Abjad कहा जाता था। इसके बाद ही हिब्रू और अरामी, और बाद में अरबी और फारसी लिपि का अविष्कार हुआ। ये सभी राइट टू लेफ्ट लिखी जाती थीं। इसका कारण भी यह हो सकता है कि इन्हें पत्थरों पर हथोड़े से उकेरा जाता था।

इसके बाद 800 बीसी में ग्रीक ने वोवेल्स का अविष्कार किया। इन्हें भी लेफ्ट टू राइट ही लिखा जाता है। जब 326 बीसी में अलेक्जेंडर ने आक्रमण किया, तब यह भारत भी आ गए। वोवेल्स (Vowels) वे ध्वनियां या अक्षर हैं जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है, यानी उनके उच्चारण के लिए किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं कॉन्सोनेंट वो ध्वनियां हैं जो होठों को और वोकल कोर्ड को बंद कर निकाली जाती हैं। वहीं जो Syllables होते हैं उन्हें हम कॉन्सोनेंट और वोवल्स का ही संयोजन मानते हैं।

उदाहरण के लिए अंग्रेजी भाषा में 21 कॉन्सोनेंट और 5 वोवल्स होते हैं- A, E, I, O, U। बात जब Nagari स्क्रिप्ट की आती है, इसमें 34 कॉन्सोनेंट और 14 वोवल्स आते हैं। यहां भी संख्या फिक्स नहीं होती है, अलग-अलग भाषाओं में ये अलग भी हो सकती है। इससे यह समझ आता है कि भाषा संस्कृति से पूरी तरह प्रभावित रहती है।

अब यहां समझते हैं कि ब्राह्मी स्क्रिप्ट आखिर क्यों इतनी खास मानी जाती है। ब्राह्मी लिपि को हम इसलिए अलग मान सकते हैं क्योंकि ये वर्णमाला और शब्दांश-विन्यास के बीच आती है। कहा जाता है कि सबसे पहले अशोक के शिलालेखों में इस लिपि की खोज हुई थी। 19वीं सदी के स्कॉलर्स ने इसे ‘Pin-Man’ स्क्रिप्ट बताया था। इस खोज के पांच शताब्दियों बाद बौद्ध ग्रन्थ ललिताविस्तर सूत्र आया। कहा गया कि बचपन में बुद्धा को जो भाषाएं सिखाई गईं, उनमें से एक ब्राह्मी लिपि भी थी। अब क्योंकि ब्राह्मी लिपी को भगवान ब्रह्मा से जोड़ा गया, ऐसे में बाद में मौर्य काल की स्क्रिप्ट को ही ब्राह्मी लिपि माना गया। वैसे दिगंबर जैन पौराणिक कथा के अनुसार तो Tirthankara Rishabhadeva ने सबसे पहले अपनी बेटी को लिखना सिखाया था, उसका नाम ब्राह्मी ही था। ये जानकारी भी हमे आदि पुराण से मिलती है।

(देवदत्त पटनायक एक प्रसिद्ध पौराणिक कथाकार हैं जो कला, संस्कृति और विरासत पर लिखते हैं।)

UPSC स्पेशल आर्टिकल्स पर अपने विचार और सुझाव ashiya.parveen@indianexpress.com पर साझा करें।हमारे UPSC न्यूज़लेटर की सदस्यता लें और पिछले हफ्ते के समाचार संकेतों से अपडेट रहें।हमारे टेलीग्राम चैनल – इंडियनएक्सप्रेस यूपीएससी हब से जुड़कर यूपीएससी के लेटेस्ट लेखों से अपडेट रहें और हमें इंस्टाग्राम और एक्स पर फॉलो करें।