जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का ऐलान कर दिया गया है। याद दिलाना होगा कि चार दिन पहले ही राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे संघर्ष में 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। विपक्षी दल लगातार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे थे।
इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कब-कब किस राज्य में और किस प्रधानमंत्री के शासन में कितनी बार राष्ट्रपति शासन लगा।
किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन संविधान के आर्टिकल 356 के तहत लगाया जाता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर उसे सीधे केंद्र के प्रशासन के अधीन कर दिया जाता है। आर्टिकल 356 को तब लागू किया जाता है जब किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था फेल हो जाती है या कोई आपातकाल जैसी स्थिति बन जाती है।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों को ही साधारण बहुमत से इसे मंजूरी देनी होती है। 1950 में संविधान में अनुच्छेद 356 के शामिल होने के बाद मणिपुर और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है। लोकसभा सचिवालय की ओर से प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में 10-10 बार जबकि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में 9-9 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। कुल मिलाकर, 1950 से अब तक 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में 134 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।
1977 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में आपातकाल की दो साल की अवधि के दौरान 14 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 1977 के लोकसभा चुनावों में जब मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार बनी तो उसने 9 राज्य सरकारों को भंग कर दिया। इसके बाद 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आईं तो उन्होंने भी इन्हीं 9 राज्यों की सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। इसके लिए अलग-अलग वजहों को आधार बनाया गया।
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1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के चलते छह राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन रहा है। जम्मू-कश्मीर में 4,668 दिन (12 साल 9 महीने) और पंजाब में 3,878 दिन (10 साल 7 महीने) तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा। इन दोनों राज्यों में बार-बार आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों की वजह से राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। पुडुचेरी में 2,739 दिन (7.5 साल) तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा, जो तीसरा सबसे लंबा समय है। सबसे ताजा मामले में 2021 में पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन लगा था, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार विश्वास मत हार गई थी।
उत्तर प्रदेश में 1,690 दिन (4 साल 7 महीने) और मणिपुर में 1,511 दिन (4 साल 1 महीने) तक राष्ट्रपति शासन रहा। उत्तराखंड में 44 दिन (2016 में) राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
1950 से अब तक, कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकारों ने 88 बार राष्ट्रपति शासन लगाया, जिसकी कुल अवधि 22,037 दिन रही। बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने केंद्र में अपने लगभग 16 सालों के शासन में 16 बार राष्ट्रपति शासन लगाया, जिसकी औसत अवधि 180 दिन रही।
भारत के अब तक प्रधानमंत्रियों में से केवल एक- आईके गुजराल ऐसे थे जिन्होंने अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया। इंदिरा गांधी के लगभग 16 सालों के कार्यकाल में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 51 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया और यह कुल 12,943 दिनों का था।
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जवाहरलाल नेहरू सबसे लंबे समय तक (लगभग 17 साल) सेवा करने वाले पीएम थे। उनके शासन में सात बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। जनता पार्टी की सरकार के प्रधानमंत्री चरण सिंह (1979-80) और जनता दल के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (1990-91) का कार्यकाल एक-एक साल से कम रहा लेकिन उनके शासन में 5-5 बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी 6 साल तक प्रधानमंत्री रहे और उनके कार्यकाल में भी 5 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
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