Hyderabad University Land Auction Controversy: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र पिछले कई दिनों से तेलंगाना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार जिस 400 एकड़ जमीन पर आईटी पार्क बनाना चाहती है, छात्र इसे पर्यावरण के खिलाफ मान रहे हैं, उनका दावा है कि इस प्रक्रिया में कई पेड़ काटे जाएंगे, यहां तक कहा गया है कि वन संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचेगा। एब अस बीच हैदराबाद यूनिवर्सिटी के 18 छात्रों ने भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
इन छात्रों तीन बड़ी मांगें हैं- पहली- पुलिस का कैंपस से जाना, दूसरी- लोकतंत्र का फिर स्थापित होना और तीसरी- ऑक्शन की प्रक्रिया को रोकना। इंडियन एक्सप्रेस ने विरोध कर रहे कुछ छात्रों से बात की तो उनका आरोप रहा कि कैंपस को एक ओपन जेल बना दिया गया है। ना फोन निकालने की इजाजत है और ना ही तस्वीर क्लिक की जा सकती है। जोर देकर बोला गया है कि जब तक कैंपस से आखिरी बुलडोजर नहीं हट जाता, प्रदर्शन जारी रहने वाला है।
प्रदर्शन कर रहे अनुग्रह ने भी बातचीत के दौरान बताया है कि उन्हें इस बात का अहसास है कि कितने बड़े नेक्सस के खिलाफ इस लड़ाई को लड़ा जा रहा है। यहां तक कहा जा रहा है कि कॉलेज प्रशासन का भी इस नेक्सस को सहयोग मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सीएम रेड्डी जो दावा कर रहे हैं कि यह एक इंडस्ट्रियल लैंड है, यह बात गलत है। यह हमारे लिए पर्यावरण, संस्कृति के लिहाज से बहुत जरूरी है। हम जानते हैं कि यह एक बड़ी कानूनी लड़ाई है, ऐसे में कैंपस के बाहर से भी सिविल सोसाइडी का समर्थन हासिल करने का प्रयास है। हम सभी एकजुट हैं और इस आंदोलन को और ज्यादा मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में बवाल
एक और छात्र आदित्य ने इस आंदोलन को लेकर कहा कि 13 मार्च से ही प्रदर्शन जारी है। अभी एक इंच भी पीछे नहीं हटा जाएगा। जो भी होगा, अब देखा जाएगा। कई दूसरे छात्र भी अभी भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं, उनका कहना है कि प्रशासन के सामने झुका नहीं जाएगा। सोशियोलॉजी में पीएचडी कर रही एक छात्र वेन्नला ने कहा कि तेलंगाना सरकार ने तो बुलडोजर कार्रवाई पर अगले आदेश तक रोक लगाई, लेकिन फिर भी कार्रवाई चलती रही। पुलिस के सामने ही ये सबकुछ हो रहा है, इसी वजह से अब विरोध प्रदर्शन को और तेज कर दिया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने सोमवार को दावा किया कि यह जमीन उसकी है, विश्वविद्यालय की नहीं, जिसके बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का विरोध-प्रदर्शन और उग्र हो गया। हालांकि, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने एक बयान जारी कर कहा कि विवादित भूमि के सीमांकन को अंतिम रूप दे दिया गया है, जो सरकार के दावे के विपरीत है।
भूमि विवाद पर विस्तृत जानकारी देते हुए सरकार ने आरोप लगाया कि कुछ नेता और रियल इस्टेट समूह छात्रों को गुमराह कर रहे हैं। छात्र संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए उक्त भूमि पर प्रस्तावित विकास परियोजनाओं का विरोध किया है। इस विवाद की पूरी कहानी जानने के लिए इस खबर का रुख करें