Pahalgam Tourist Place: पहलगाम में आतंकी हमले के बाद में टूरिस्टों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गई है। इसी बीच अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी पूरी कैबिनेट दो दिनों के लिए राजधानी श्रीनगर से बाहर पहलगाम और गुलमर्ग के टूरिस्ट रिसॉर्टों का दौरा करेगी। ऐसा इस वजह से किया जा रहा है ताकि लोगों का भरोसा बढ़ सके और वह वापस लौटकर टूरिस्ट प्लेस का दौरा करें।
मंगलवार को जम्मू-कश्मीर कैबिनेट और टॉप सिविल और पुलिस अधिकारी श्रीनगर के सिविल सचिवालय में नहीं, बल्कि पहलगाम के एक रिसॉर्ट में मिलेंगे। यह मीटिंग पहलगाम आतंकी हमले के करीब एक महीने से ज्यादा वक्त के बाद में हो रही है। सीएम के सलाहकार नासिर असलम वानी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जाहिर है, अगर हम इन जगहों पर नहीं जाएंगे, तो कौन जाएगा।’
नासिर असलम वानी ने आगे कहा, ‘इस बैठक के दो उद्देश्य हैं। पहला तो यह है कि हम इन दूर-दराज की जगहों पर जाएं और जमीन से सीधी जानकारी हासिल करें और दूसरा यह है कि वर्तमान हालात में यह बहुत ही जरूरी हो जाता है कि हम वहां पर लोगों में भरोसा पैदा करने के लिए जाएं।’ मु्ख्यमंत्री अब्दुल्ला इस मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे। इसमें मुख्य सचिव अटल डुल्लू भी शामिल होंगे। सीएम और उनकी पूरी कैबिनेट पहलगाम में टूरिज्म सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स से भी मुलाकात कर सकते हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से टूटी आतंक की रीढ़
बुधवार को नॉर्थ कश्मीर के गुलमर्ग में भी एक टूरिस्ट प्लेस पर इसी तरह की मीटिंग होने वाली है। इसमें कश्मीर के आईजीपी वीके बिरदी के भी शामिल होने की उम्मीद है। यह मीटिंग ऐसे वक्त में हो रही है जब घाटी में टूरिज्म सेक्टर को काफी नुकसान पहुंचा है। इस सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि तकरीबन 90 फीसदी बुकिंग रद्द हो गई हैं। एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उम्मीद है कि इन मीटिंग से टूरिज्म सेक्टर से जुड़े लोगों के साथ-साथ टूरिस्टों में भी यह भरोसा कायम हो सकेगा कि यहां पर लौटना सेफ है।
दरअसल, शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक के दौरान अब्दुल्ला ने सुझाव दिया था कि सुरक्षा संबंधी आशंकाओं को दूर करने के लिए संसदीय सलाहकार समिति और संसदीय स्थायी समिति और की मीटिंग जम्मू-कश्मीर में आयोजित की जानी चाहिए। ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है जब उमर और उनकी कैबिनेट राज्य की राजधानी से बाहर जा रही हो। मुख्यमंत्री के तौर पर जब उनका पहला कार्यकाल था तो उन्होंने मई 2012 में तंगधार में एलओसी पर कैबिनेट की मीटिंग की थी। पठानकोट से पहलगाम तक- भारत के चार बड़े आतंकी हमले और जवाबी वार की पूरी इनसाइड स्टोरी