UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस हाशिए पर हैं लेकिन उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ गठबंधन का फायदा मिला था। पार्टी ने यूपी की 6 लोकसभा सीटें अपने नाम की लेकिन उसके बाद विधानसभा उपचुनाव (Assembly Elections) में सीट शेयरिंग को लेकर हुए विवाद के बाद सपा-कांग्रेस (SP-Congres) के बीच टकराव की खबरें आती रहती हैं। दूसरी ओर कांग्रेस अपना संगठन मजबूत करने की कोशिश में है, जिसके चलते यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में खत्म हो सकता है।

दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रदेश, जिला, शहर और ब्लॉक समितियों को भंग कर दिया था और उस फैसले के एक महीने बाद पार्टी ने यूपी में सभी स्तरों पर अपनी इकाइयों को पुनर्गठित करने के लिए बड़े पैमाने पर कवायद शुरू की है।

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पिछले एक सप्ताह से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, कांग्रेस कमेटी के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। ये नेता शहर, जिला और राज्य स्तर पर पार्टी समितियों के प्रस्तावित पुनर्गठन पर चर्चा करने के लिए प्रत्येक जोन के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अलग-अलग मुलाकात कर रहे हैं।

कांग्रेस यूपी में पार्टी संगठन के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न स्तरों पर नई टीमों का हिस्सा बनने के इच्छुक उम्मीदवारों की योग्यता का मूल्यांकन करने के लिए एक तंत्र तैयार किया है।

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कांग्रेस नेतृत्व ने वरिष्ठ AICC और राज्य नेताओं पूर्व उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (UPCC) अध्यक्षों वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों और यहां तक ​​कि कई हालिया चुनावों के प्रत्याशियों को शामिल करते हुए एक व्यापक पैनल का गठन किया है, जो ऐसे उम्मीदवारों के आवेदनों का मूल्यांकन करने के अलावा उनसे बातचीत भी करेगा।

पैनल के सदस्यों में पांडे, राय, प्रत्येक जोन के प्रभारी AICC सचिव, सलमान खुर्शीद, राज बब्बर, निर्मल खत्री, बृजलाल खबरी और अजय कुमार लल्लू जैसे पूर्व UPCC प्रमुख और पीएल पुनिया और केएल शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। UPCC ने राज्य को अवध, पूर्वी यूपी, पश्चिमी यूपी, प्रयागराज, ब्रज और बुंदेलखंड और कानपुर सहित छह क्षेत्रों में विभाजित किया है।

कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि इस कवायद को पार्टी के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी (जो रायबरेली से सांसद भी हैं) और प्रियंका गांधी द्वारा हाल ही में दिल्ली में यूपीसीसी नेताओं से मुलाकात के बाद अंतिम रूप दिया गया। सूत्रों ने बताया कि इसका उद्देश्य सभी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर नेतृत्व तैयार करना है, जो जमीनी स्तर पर सक्रिय रहेगा और नेतृत्व द्वारा निर्धारित पार्टी रोडमैप को क्रियान्वित करने के लिए तैयार रहेगा।

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कांग्रेस का यह कदम पार्टी के इंडिया गठबंधन में सहयोगी सपा के साथ संबंधों में समय-समय पर देखे जाने वाले तनाव के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण है। 2024 के लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। जब उन्होंने राज्य की 80 सीटों में से 43 सीटें हासिल की थीं, जबकि एनडीए को 36 सीटें ( भाजपा को 33) मिलीं थीं। सपा ने 37 और कांग्रेस 6 सीटें मिली थीं।

बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में अयोध्या में मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को होने वाले उपचुनाव में सपा को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इस सीट पर सपा और सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है।

पिछले साल नवंबर में नौ विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर सपा से मतभेद के बीच कांग्रेस ने भी इनसे दूरी बनाए रखी और सपा को अपना समर्थन दिया। हालांकि, इन उपचुनावों में सपा को झटका लगा और बीजेपी ने इनमें से सात सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें सपा की दो मौजूदा सीटें भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।