इन दिनों कृत्रिम मेधा (एआइ) से संबंधित कई रपटों में कहा जा रहा है कि जहां भारत की नई पीढ़ी के लिए देश ही नहीं, दुनियाभर में एआइ से जुड़ी नौकरियों में अवसर बढ़ रहे हैं, वहीं करोड़ों युवाओं को इससे संबंधित नौकरियों के लिए पेशेवर के रूप में तैयार करने की बड़ी चुनौती भी है। हाल ही में प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पेरिस में आयोजित ‘एआइ एक्शन शिखर सम्मेलन 2025’ की सह अध्यक्षता करते हुए कहा कि हालांकि दुनिया में यह आशंका है कि एआइ की वजह से नौकरियां खत्म होंगी, लेकिन इतिहास गवाह है कि प्रौद्योगिकी के कारण नौकरियां खत्म नहीं होतीं, बल्कि उसकी प्रकृति बदल जाती है और नई तरह की नौकरियां सृजित होती हैं। इसलिए हमें एआइ संचालित भविष्य के लिए अपने लोगों को दक्ष बनाते हुए नए काम के तरीकों के लिए उन्हें तैयार करने के वास्ते निवेश करने की जरूरत है।

इसमें कोई दो मत नहीं कि भारत की नई पीढ़ी एआइ से संबंधित कार्यों में लगातार अपना योगदान बढ़ा रही है। ‘ओपन एआइ’ के मुख्य कार्यकारी सैम आल्ट मैन का मानना है कि कृत्रिम मेधा के लिए दुनिया में भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। वहीं गूगल के मुख्य कार्यकारी सुंदर पिचाई के मुताबिक भारत एआइ के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। माइक्रोसाफ्ट को भी लगता है कि गणित में दक्ष भारत की नई पीढ़ी के लिए एआइ क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।

इस समय जहां भारत की नई पीढ़ी देश के विकास में बड़ा योगदान दे रही है, वहीं उसने पूरी दुनिया में छाप छोड़ी है। नई पीढ़ी सेवा निर्यात से विदेशी मुद्रा की बड़ी कमाई करने वाली आर्थिक शक्ति के रूप में भी उभरती दिखाई दे रही है। यह बात भी अहम है कि एआइ सहित दक्ष मानव संसाधन के सरल और किफायती रूप से उपलब्ध होने के कारण भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां तेजी से अपने केंद्र खोल रही हैं।

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विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) सम्मेलन 2025 के तहत प्रकाशित रपट ‘भविष्य की नौकरियां’ में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक 17 करोड़ एआइ संचालित नई नौकरियां पैदा होंगी, जबकि 9.2 करोड़ परंपरागत नौकरियां समाप्त होने का अनुमान है। इससे 7.8 करोड़ अधिक नई नौकरियां पैदा होंगी। दक्षता वाली नई नौकरियों को रफ्तार मिलेगी और इससे दुनिया भर में उद्योगों और व्यवसायों को नया रूप मिलेगा। इस रपट में कहा गया है कि जहां भारत में नियोक्ताओं का मानना है कि सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों को अपनाने से उनके परिचालन में बदलाव आएगा। विश्व स्तर पर एआइ कौशल की मांग में तेजी आई है।

ऐसी मांग के मद्देनजर भारत और अमेरिका अग्रणी हैं। ऐसे में, सबसे तेजी से जिन नौकरियों की मांग होगी, उनमें एआइ डेटा विशेषज्ञ और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ तथा साइबर सुरक्षा प्रबंधन विशेषज्ञ शामिल हैं। ये सभी नौकरियां वैश्विक रुझानों के साथ निकटता से जुड़ी हुई हैं। इन सबके मद्देनजर भारत दुनिया के सबसे बड़े कुशल कामगार वाले देशों में शामिल है। साथ ही, आगामी दशक में दुनिया के एक चौथाई नए दक्ष कामगारों का केंद्र भी भारत बन सकता है।

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आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में रेखांकित हुआ है कि दुनिया भर में एआइ का उपयोग तेजी से बढ़ रहा और एआइ के तेजी से उपयोग के लिए भारत तैयार हो रहा है। इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि वर्ष 2021 और 2022 के बीच वैश्विक स्तर पर दिए गए एआइ पेटेंट की संख्या में 62.7 फीसद की वृद्धि हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, निश्चित रूप से भारत में भी सेवाप्रधान अर्थव्यवस्था के कारण एआइ के प्रभावों को लेकर चिंताएं ज्यादा हैं। इस परिप्रेक्ष्य में कर्मचारियों के बीच, आइआइएम, अहमदाबाद के विशेष सर्वेक्षण में पाया गया है कि 68 फीसद कर्मचारियों को उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में एआइ द्वारा उनकी नौकरी आंशिक रूप से या पूरी तरह से स्वचालित हो जाएगी। वहीं लगभग 40 फीसद कर्मचारियों का मानना है कि एआइ उनके परंपरागत कौशल को बेमानी बना देगा। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर 7.5 करोड़ नौकरियां जोखिम में हैं।

कई अन्य सर्वेक्षण भी दुनिया भर में पारंपरिक नौकरियों के लिए संभावित खतरों का संकेत देते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2025 की यह टिप्पणी भी अहम है कि मजबूत संस्थागत ढांचे और रणनीतिक योजना के साथ, एआइ एक संकट के रूप में नहीं, बल्कि न्यायसंगत आर्थिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकता है, जो भारत को तेजी से स्वचालित होती दुनिया में आगे बढ़ने की स्थिति में लाएगा। सर्वेक्षण ने यह भी रेखांकित किया कि प्रौद्योगिकी को हमेशा श्रम को विस्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि इसके बजाय कार्यबल की उत्पादकता बढ़ाने में इसका उपयोग किया जा सकता है।

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इसमें कोई दो मत नहीं कि भारत देश और दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं में दक्षता का विकास कर रहा है। उनका कौशल बढ़ा रहा है। वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में देश के युवाओं को दक्ष बनाने और भारत को वैश्विक कौशल केंद्र बनाने की दिशा में सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं। तीन नई कौशल विकास योजनाओं का एलान किया गया है। इन योजनाओं के तहत खासतौर पर एआइ, आइटी, साइबर सुरक्षा और अन्य नई तकनीकों में करीब पांच लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह भी अहम है कि सरकार के इंडिया एआइ मिशन का एक बड़ा उद्देश्य एआइ सहित अन्य दक्षता वाले मानव संसाधन के परिप्रेक्ष्य में देश-विदेश की मांग को पूरा करना है। यह मिशन भारत की युवा आबादी को देखते हुए खासतौर से महत्त्वपूर्ण है।

यूरोप, जापान और अन्य कई विकसित और विकासशील देशों की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। ऐसे में भारत के लिए विदेशों में भी अपने दक्ष युवाओं के लिए बड़े अवसर हैं। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ आव्रजन और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इन समझौतों के तहत भारत, जापान, इजराइल, आस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, रूस, मारीशस, ब्रिटेन, रोमानिया और इटली जैसे देशों में अपने दक्ष युवाओं को भेज रहा है।

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नए डिजिटल दौर में देश की एआइ दक्ष नई पीढ़ी की देश और दुनिया में लगातार मांग बढ़ रही है। ऐसे में, हमें नई पीढ़ी की दक्षता बढ़ाने के लिए उन्हें और अधिक प्रेरित करना होगा। इसके लिए नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें देश के कोने-कोने में विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े हुए क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाने के लिए कई गुना प्रयास करने होंगे। हम उम्मीद करें कि सरकार दुनिया की सर्वाधिक युवा आबादी वाले भारत में नई पीढ़ी को एआइ दक्ष बनाने के लिए कदम तेजी से बढ़ाएगी। यह भी उम्मीद करें कि नई एआइ पीढ़ी देश की आर्थिक तस्वीर संवारने की संभावनाओं को साकार करते हुए भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।