Monsoon Forecast: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने मंगलवार को कहा कि देश में जून में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। इस दौरान देश भर में वर्षा 165.4 मिमी की दीर्घकालिक औसत से 108 फीसद से अधिक होने का अनुमान है। इससे अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान नियंत्रण में रहने की उम्मीद है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जून के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। हालांकि, प्रायद्वीपीय भारत के कुछ दक्षिणी हिस्सों और उत्तर-पश्चिम व पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।

आज की ताजा खबर, हिंदी न्यूज Aaj Ki Taaja Khabar, 28 मई 2025 LIVE

आइएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अपेक्षित अच्छी वर्षा के कारण, उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रह सकता है। बादल छाए रहने के कारण मध्य भारत और उससे सटे दक्षिण प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश भागों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

महापात्र ने कहा कि इस मौसम में मानसून कोर जोन में सामान्य से अधिक (लंबी अवधि के औसत का 106 फीसद से अधिक) बारिश होने की संभावना है। मानसून कोर जोन में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आस-पास के इलाके शामिल हैं। इस क्षेत्र में अधिकतर बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है और यह क्षेत्र कृषि के लिए काफी हद तक मानसून की बारिश पर निर्भर करता है।

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इसके अलावा उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश होने की संभावना है, जबकि पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के आसपास के इलाकों, पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़ीशा के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है।

पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ अलग-अलग क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।

मौसम विभाग के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 मई को केरल पहुंचा है, जो 2009 के बाद से भारत में इसका सबसे पहला आगमन था। इसी तरह मुंबई में मानसून सामान्य तिथि से 16 दिन पहले पहुंचा है और ऐसा 1950 के बाद हुआ है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी उसी तरह पहुंचेगा। आइएमडी के मुताबिक, देश के अन्य हिस्सों में मानसून का आगमन वैश्विक, क्षेत्रीय एवं स्थानीय समेत कई कारकों से तय होता है।

आइएमडी के अनुसार, 50 साल के औसत 87 सेंटीमीटर के 96 से 104 फीसद के बीच की बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है। दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 फीसद से कम वर्षा को ‘कम’, 90 से 95 फीसद के बीच ‘सामान्य से कम’, 105 से 110 फीसद के बीच ‘सामान्य से अधिक’ और 100 फीसद से अधिक वर्षा को ‘अधिक’ वर्षा माना जाता है।

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देश में वर्ष 2024 में मानसून के दौरान 934.8 मिमी बारिश हुई थी, जो औसत का 108 फीसद तथा 2020 के बाद से सबसे अधिक है। इससे पहले 2023 में 820 मिमी यानी औसत का 94.4 फीसद बारिश हुई थी। आइएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 925 मिमी, 2021 में 870 मिमी और 2020 में 958 मिमी बारिश हुई थी।

भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून अहम है। कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 फीसद आबादी की आजीविका में सहयोग प्रदान करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 फीसद का योगदान देता है। मानसून देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए अहम जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी अहम है।

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