India-Pak Tensions: पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब देते हुए भारत ने बुधवार तड़के पाकिस्तान में जबरदस्त एयर स्ट्राइक की। भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir) में नौ जगहों पर हमला किया। ये हमले बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद में किए गए हैं।

याद दिलाना होगा कि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कहा था कि वह इसके दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगा। भारतीय सेना की इस कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है। बताना होगा कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीनों सेना प्रमुखों के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ भी बैठक हुई थी।

आईए जानते हैं कि भारतीय सेनाओं की ओर से कब-कब स्पेशल ऑपरेशन किए गए।

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24 फरवरी, 2000 को 24 फरवरी, 2000 के पास लंजोटे गांव में 16 लोगों की हत्या हुई थी। तब गोलीबारी के दौरान गांव के लोग बंकरों में छुपे रहे। मारे गए लोगों के साथ बर्बरता की गई थी और पाकिस्तान का दावा था कि इसमें भारत का हाथ था। जबकि भारत का कहना है कि इन हत्याओं के पीछे भारत का समर्थन करने वाले विद्रोही गुटों का हाथ था और यह बदला जम्मू कश्मीर के डोडा और राजौरी जिलों में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा हिंदुओं की हत्याओं का बदला लेने के लिए किया गया था।

1947 में ब्रिटेन ने भारत की हथियार शक्ति को छीन लिया था। लेफ्टिनेंट जनरल एलपी सिंह बताते हैं कि तब भारत के इंटेलिजेंस ब्यूरो की हालत बेहद खराब हो गई थी और उसके पास खाली रैक और अलमारियों के सिवा कुछ नहीं बचा था क्योंकि इंटेलिजेंस ब्यूरो में सबसे सीनियर पुलिस अफसर कुर्बान अली खान कुछ अहम फाइलों के साथ पाकिस्तान चले गए थे।

तब 1947 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी। इंदिरा गांधी ने मार्च, 1966 में मिजो विद्रोहियों पर हवाई हमले किए थे और आइजोल में दर्जनों लोग मारे गए थे।

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इसके बाद भारत की खुफिया एजेंसी Research and Analysis Wing ने अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित किया। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत ने गुप्त युद्ध चलाया था और मेजर जनरल सुरजीत सिंह उबान ने Establishment 22 की अगुवाई की थी।

1980 के दशक में जब खालिस्तानी आतंकवाद बहुत बढ़ गया तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने खालिस्तानी आतंकवादियों को हथियार देना शुरू किया। तब राजीव गांधी ने जवाबी कार्रवाई की। हार्दिक खुफिया एजेंसी RAW ने दो ग्रुप बनाए। इनमें से पहले ग्रुप को Counter Intelligence Team-X और दूसरे को Counter Intelligence Team-J के नाम से जाना जाता था।

पहले ग्रुप का काम पाकिस्तान को निशाना बनाना था जबकि दूसरे का काम खालिस्तान गुटों पर हमला करने का। जब खालिस्तानी आतंकवादी भारत के शहरों पर हमला करते थे तो इसका जवाब लाहौर और कराची में जवाबी हमलों से दिया जाता था।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) अजित डोभाल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने खालिस्तानी आतंकवादी सुरजीत सिंह पेंटा के नेटवर्क में घुसपैठ की। वह अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर में गए थे और वहां फर्जी विस्फोटक लगा दिए थे। ऐसा यह तय करने के लिए किया गया था कि जब 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर शुरू हुआ तो पेंटा इसे उड़ा ना सके।

डोभाल ने 1980 के दशक में मिजो विद्रोही समूहों के नेटवर्क में घुसपैठ की और शांति समझौते पर जोर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री आई के गुजराल के कार्यकाल के दौरान RAW ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक अभियान बंद कर दिए थे।

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म्यांमार में भारतीय सेना ने 1999 और 2006 में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाए। 2009 में इसने भूटान से पूर्वोत्तर के विद्रोहियों को खदेड़ दिया। भारत की इंटेलिजेंस सर्विस ने नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी काफी काम किया।

1999 में मेजर कप्तान सौरभ कालिया और पांच सिपाहियों को पाकिस्तानी सैनिकों ने अगवा कर लिया था और उनके शवों के साथ बर्बरता की थी तो जनवरी 2020 में नीलम नदी के पार भारत ने सात पाकिस्तानी सैनिकों को पकड़ लिया था।