कैबिनेट ने बजट 2025 से पहले आठवें वेतन आयोग को दी मंजूरी दे दी है, जिसे 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाएगा। इस बीच इंडियन रेलवे के कर्मचारियों ने सरकार से नाइट ड्यूटी अलाउंस को लेकर कुछ मांग की है। रेलवे यूनियन का कहना है कि सेफ्टी कैडर एंप्लॉय को उनके वेतन पर ध्यान दिये बिना नाइट ड्यूटी अलाउंस दिया जाये।
सरकार द्वारा गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दिये जाने के बाद रेलवे यूनियनों के एक वर्ग ने सरकार से नाइट ड्यूटी अलाउंस को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने 13 जुलाई, 2020 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया था, जिसके अनुसार अन्य शर्तों के साथ-साथ नाइट ड्यूटी अलाउंस की पात्रता के लिए बेसिक सैलरी की अधिकतम सीमा 43,600 रुपये प्रति माह होगी।
इस बारे में बात करते हुए पूर्वोत्तर रेलवे मेंस कांग्रेस के सहायक महासचिव विवेक मिश्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कार्यालय ज्ञापन ( DoPT OM) के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी का मूल वेतन 43,600 रुपये से अधिक है तो उसके नाइट ड्यूटी अलाउंस की गणना उसकी बेसिक सैलरी को 43,600 रुपये मानकर की जाएगी जो अनुचित और तर्कहीन है।’’
मोदी सरकार ने दी आठवें वेतन आयोग को मंजूरी, सरकारी कर्मचारियों की बढ़ेगी सैलरी
रेलवे बोर्ड ने हालांकि 29 सितंबर, 2020 को एक निर्देश जारी किया था और कहा था कि नाइट ड्यूटी अलाउंस उन कर्मचारियों को ही दिया जायेगा, जो केवल पे लेवल 7 तक हैं। इससे हाई आठ और नौ पे लेवल के कर्मचारियों को अलाउंस का कोई भी लाभ मिलने की संभावना समाप्त हो गई।
विवेक मिश्रा ने कहा, ‘‘रेल मंत्रालय ने भी इस तरह का प्रतिबंध लगाने के लिए कोई तर्क नहीं दिया। यह हतोत्साहित करने वाला है क्योंकि सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की है। मैं डीओपीटी के साथ-साथ रेल मंत्रालय से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि वे इस पहलू पर अलग से विचार करें क्योंकि रेलवे का कामकाज अन्य सरकारी विभागों की तरह नहीं है।’’
यूनियनों के अनुसार, “2020 से पहले, सभी सरकारी कर्मचारियों को उनके पोस्ट, सैलरी की परवाह किए बिना रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच काम करने के लिए अलाउंस मिलता था लेकिन सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के बाद जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने एक कार्यालय ज्ञापन जारी कर अधिकतम सीमा तय कर दी, तो सुरक्षा विभाग के कई कर्मचारी अब एनडीए से वंचित हो गए हैं।’’
नॉर्दर्न रेलवे ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन के महासचिव सुमीर आइमा ने कहा, ‘‘एक स्टेशन मास्टर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक आठ घंटे काम करता है और उसे एनडीए का लाभ मिलता है, क्योंकि वह वेतन स्तर सात में आता है। दूसरी ओर अगर किसी अन्य स्टेशन मास्टर को लेवल 8-9 में प्रमोट किया जाता है, तो उसे समान ड्यूटी घंटे करने के बावजूद लाभ नहीं मिलता, भले ही वह लेवल 7 वाले से अधिक अनुभवी क्यों न हो।’’
अखिल भारतीय रेलगाड़ी नियंत्रक संघ (AITCA) के पूर्व सहायक महासचिव मनोज सिन्हा ने कहा, ‘‘जब वरिष्ठ अधिकारी घर पर सो रहे होते हैं तो ये कर्मचारी लोगों को सुरक्षित रूप से उनके गंतव्य तक पहुंचने में मदद करने के लिए अथक परिश्रम करते हैं। सरकार को रेलवे की कार्यप्रणाली को अन्य विभागों से अलग मानना चाहिए और उसके अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए।’’ देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग
(इनपुट-भाषा)