Who was Robert Oppenheimer: इजरायल ईरान पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है, मकसद- हर कीमत पर उसे एक परमाणु संपन्न देश बनने से रोकना है। पाकिस्तान भारत को आंख दिखाता है, उसकी हिम्मत का कारण- परमाणु बम। कई मौकों पर यूक्रेन रूस के सामने असहाय दिखता है, कारण- कई सालों पहले उसने अपने सारे न्यूक्लियर हथियार सरेंडर कर दिए। लेकिन इन सभी घटनाओं में, इन सभी युद्ध में एक बात समान है, सबसे ज्यादा खतरनाक है- न्यूक्लियर बम या जिसे लोग एटम बॉम्ब भी कहते हैं। कभी आपने सोचा है कि एटम बॉम्ब अस्तित्व में कैसे आया? जिस बम के लिए आज कई देश एक दूसरे से लड़ रहे हैं, आखिर उसकी कहानी क्या है, आखिर उसका आविष्कार किसने किया?

आज की दुनिया ‘फॉदर ऑफ एटॉमिक बम’ के नाम से रॉबर्ट ओपेनहाइमर को जानती है। आज का युवा तो क्रिस्टोफर नोलान की फिल्म Oppenheimer देख वैसे भी उनकी जिंदगी के बारे में काफी कुछ जान चुका है। लेकिन अब जब दुनिया कई सारे युद्ध देख रही है, इस एक वैज्ञानिक के बारे में और ज्यादा जानने की जरूरत है, उस कहानी का सार ही यह निकलेगा- सारे बवाल की जड़ एक आदमी!

रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जन्म 22 अप्रैल 1904 को अमेरिका के न्यू यॉर्क में हुआ था। उनका परिवार सही मायनों में अमीर था, कपड़ों का बेहतरीन व्यापार खड़ा कर रखा था। समाज में उस परिवार की इज्जत थी, एक रुतबा था। लेकिन ओपेनहाइमर के निजी जीवन में वो रुतबा कभी दिखाई नहीं दिया, वे तो एक गुम-सुम से बालक थे, अपने काम से काम रखते थे, ज्यादा बातचीत का शौक नहीं। जिस उम्र में बच्चे खेल-कूद के बारे में सोचते थे, ओपेनहाइमर उस उम्र में पूरी तरह किताबों में घुस चुके थे। बचपन से ही उनका दिमाग तेज था, मात्र 9 साल की उम्र में उन्होंने ग्रीक और लैटिन भाषा की सारी एबीसीडी सीख ली थी।

अब जो बच्चा इतनी कम उम्र में इतना सबकुछ सीख चुका था, उसको लेकर माता-पिता की उम्मीदें भी परवान चढ़ना शुरू हुईं। उन्हें अहसास हो गया था कि ओपेनहाइमर कुछ बड़ा करेगा। इसके रुझान दिखने शुरू भी हो गए थे क्योंकि जिस उम्र में बच्चे अपना करियर तक डिसाइड नहीं कर पाते, ओपेनहाइमर नई-नई खोज कर रहे थे। उन खोज की सारी जानकारी वे न्यूयॉर्क के मिनरेलॉजिकल क्लब में अपनी चिट्ठियों के जरिए दे रहे थे। दिलचस्प बात यह थी कि उस क्लप को ओपेनहाइमर की उम्र का कोई अंदाजा नहीं था, वे तो मानकर चल रहे थे कि कोई बड़ा वैज्ञानिक, कोई महान विद्वान उनके साथ ये सारी जानकारी साझा कर रहा था। लेकिन उनका काम कमाल था, इसी वजह से उन्हें उस क्लब में बाद में कई बार प्रेजेंटेशन दिखाने के लिए भी बुलाया गया।

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कुछ साल और बीते और ओपेनहाइमर ने केमिस्ट्री में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। उसके बाद जर्मनी में यूनिवर्सिटी ऑफ गोटिंगेन से उन्होंने अपनी पीएचडी भी पूरी कर ली। उस समय तक किसी को अंदाजा नहीं था कि ओपेनहाइमर आगे चलकर कोई एटम बम बनाने वाले हैं, वो दुनिया को एक विध्वंसक हथियार देने वाले हैं। लेकिन उनकी पढ़ाई और उनकी रुचि इस चीज की नींव रख चुकी थी। एक वैज्ञानिक का जन्म हो चुका था, दुनिया को कई आविष्कार मिलने वाले थे।

साल 1945 की बात है, तारीख थी 16 जुलाई। ओपेनहाइमर तीन साल तक एक मिशन पर काम कर रहे थे, नाम था- PROJECT Y। इस मिशन के पहले ही डायरेक्टर थे ओपेनहाइमर जिन्होंने तीन साल तक कह सकते हैं अपना खून-पसीना सब लगा दिया था। पतले पहले से थे, लेकिन इस मिशन ने उनकी सेहत पर ऐसा असर डाला कि उनका वजन घटना चला गया। लेकिन उनका उदेश्य बड़ा था, ऐसे में सेहत की चिंता छोड़ वे अपने मिशन पर ध्यान देते रहे। उनकी बायोग्राफी में उस लम्हे के बारे में काफी विस्तार से बताया गया है जब ओपेनहाइमर की सबसे बड़ी अग्नी परीक्षा शुरू होने वाली थी।

असल में जिस प्रोजेक्ट पर ओपेनहाइमर काम कर रहे थे, उन्हें पता था कि ये दुनिया को बदलने वाला होगा। इसकी सफलता नया इतिहास लिखने वाली थी। लेकिन एक असफलता उस इतिहास को कई साल आगे भी ढकेल सकता था। इसी वजह से जब 16 जुलाई 1945 को एटम बम का परीक्षण होना था, ओपेनहाइमर डरे हुए थे, उन्हें सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। लेकिन जैसे ही आसमान में धुएं का एक बड़ा गुबार देखने को मिला, जब एक तेज भूकंप से धरती कांप गई, वे समझ गए थे- इतिहास रच दिया गया, दुनिया को उसका पहला एटम बम मिल गया था।

दुनिया को अपना पहला अटम बम मिला और अमेरिका को जापान के खिलाफ सबसे विध्वंसक खिलौना। जिस हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही की जिक्र आज की किताबों में किया जाता है, जिस पहले एटम बम की बात लगातार होती रहती है, उसकी नींव ओपेनहाइमर ने ही रखी थी। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि 16 जुलाई 1945 को तो ओपेनहाइमर ने पहले एटम बम का परीक्षण किया था, उसके एक महीने बाद अमेरिका ने जापान पर उसका इस्तेमाल किया। लाखों लोगों की जान चली गई, कई आने वाली पुश्तें तबाह हो गईं और एक अलग ही जंग, एक अलग ही होड़ कई देशों के बीच में छिड़ गई। ये जंग थी खुद को परमाणु संपन्न बनाने की, ये जंग थी खुद को एटम बम देने की। शायद ओपेनहाइमर को भी इस बात का अहसास हो गया था कि उन्होंने दुनिया को कितना खतरनाक हथियार दिया है, तभी तो भगवत गीता का एक श्लोक बता उन्होंने कहा था- मैं अब काल हूं जो लोकों (दुनिया) का नाश करता हूं।

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