Modi Omar Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जेड मोड़ टनल का उद्घाटन कर इंफ्रास्ट्र्क्चर को नया बूस्त देने का काम किया है। लेकिन बूस्ट सिर्फ विकास को नहीं मिला है बल्कि कहना चाहिए कई सियासी समीकरण भी साधे गए हैं। पीएम के एक दौरे ने कई मुद्दों पर चर्चा शुरू कर दी है। मोदी का नया लुक तो वायरल हुआ ही है, इसके साथ-साथ सीएम उमर अब्दुल्ला के साथ दिखी नई केमिस्ट्री ने भी कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है। सवाल उठ रहा है कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी में कोई डील होने वाली है? सवाल यह भी कि क्या पूर्ण राज्य पाने के लिए उमर अब मोदी के करीब आना चाहते हैं?

असल में सोमवार को रैली को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आपने (प्रधानमंत्री मोदी) अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर श्रीनगर में अपने कार्यक्रम के दौरान 3 बहुत महत्वपूर्ण बातें कहीं। आपने कहा कि आप दिल की दूरी और दिल्ली से दूरी को खत्म करने पर काम कर रहे हैं और यह वास्तव में आपके काम से साबित होता है… उस दौरान आपने जम्मू कश्मीर के लोगों से कहा था कि बहुत जल्द चुनाव होंगे और लोगों को अपने वोट के जरिए अपनी सरकार चुनने का मौका मिलेगा। आपने अपनी बात रखी और 4 महीने के भीतर चुनाव हुए। इसके ऊपर उमर ने सीमा पर जो शांति स्थापित हुई, उसके लिए भी पीएम मोदी को क्रेडिट दे दिया।

अब उमर जब यह सारी बातें बोल रहे थे, दोनों हाथों से तालियां बजा पीएम मोदी भी उनका अभिनंदन करते रहे। इसके बाद जब उनका बोलने का मौका आया, उन्होंने भी सीएम का जिक्र कर ही दिया। उन्होंने अपने इस दौरे को सीधे-सीधे सीएम उमर की एक सोशल मीडिया पोस्ट से जोड़ दिया। असल में जेड मोड़ टनल की कई खूबसूरत तस्वीरें उमर ने शेयर की थीं, उन्हीं का जिक्र कर पीएम मोदी ने कहा कि उस वजह से मैं यहां आने को काफी अधीर था। अब यह कोई पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी और सीएम उमर अब्दुल्ला की ऐसी सियासी केमिस्ट्री दिखी हो।

जब उमर ने सीएम बनने के बाद एक मैराथन में हिस्सा लिया था, जब उन्होंने कश्मीर को विकास की राह पर ले जाने के उदेश्य से दौड़ लगाई थी, पीएम मोदी ने भी उनकी दिल खोलकर बधाई दी। जब दिल्ली में दोनों नेता मिले, पीएम ने इसका जिक्र किया था। अब उस एक तारीफ के बाद जब पीएम मोदी कश्मीर आए, उनके स्वागत में उमर ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़ी बात यह रही कि पीएम मोदी की रैली में भीड़ अच्छी रहे, इसकी जिम्मेदारी एनसी कार्यकर्ताओं ने ले रखी थी। उनकी तरफ से बसों में भरकर लोग दूर गांव से लाए गए थे। यह बताने के लिए काफी है कि कोई सियासी खिचड़ी पक रही है।

अब यहां पर एक बात समझना जरूरी है, उमर की सबसे बड़ी जरूरत जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य को दर्जा मिलने वाली मांग है। यह मांग ना राज्य सरकार पूरी कर सकती है, ना ही विपक्ष प्रदर्शन कर इसे पूरा करवा सकता है। इस एक मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के साथ की जरूरत है, यहां केंद्र मतलब पीएम मोदी है। ऐसे में उमर अब्दुल्ला को इस बात का अहसास है कि पीएम मोदी से अच्छे संबंध बनाकर अपनी इस मांग को पूरा किया जा सकता है। यह बात सही है कि अगर ऐसा हो जाता है तो उस स्थिति में क्रेडित दोनों केंद्र और राज्य सरकार को मिलेगा, ऐसा इसलिए क्योंकि एनसी ने अपने घोषणा पत्र में स्टेटहुड का वादा कर रखा है, वहीं पीएम मोदी ने दर्जा वापस देने का वादा कर रखा है।

इसी वजह से इस एक मांग को लेकर उमर विपक्ष के साथ रहते-रहते भी केंद्र के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। यहां पर एक दिलचस्प बात यह भी है कि एनसी और बीजेपी पहले भी गठबंधन में रह चुके हैं, ऐसा नहीं है कि कोई कसम खा रखी है कि कभी साथ नहीं आएंगे। जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, एनसी ना सिर्फ एनडीए का हिस्सा थी बल्कि उमर ने विदेश राज्य मंत्री के रूप में भी अहम भूमिका भी निभाई थी। ऐसे में अब जब फिर तारीफ हो रही है, एक दूसरे को बधाई दी जा रही है, अटकलें तो लग रही हैं कि क्या कोई खेल होने वाला है, क्या कोई नया समीकरण जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बनता दिख सकता है?

वैसे एक बात और समझने लायक है, इस समय जम्मू-कश्मीर और राजधानी दिल्ली की हालत थोड़ी एक समान है। दोनों को ही पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला हुआ है और केंद्र सरकार पर उनकी निर्भरता भी है। लेकिन फर्क इस बात में है कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के साथ काफी तल्ख रिश्ते रखे हैं, एलजी वीके सक्सेना के साथ तकरार तो हर दूसरे दिन जारी है। इस वजह से दिल्ली में कई विकास योजनाएं बाधित हो जाती हैं, ज्यादा समय आरोप-प्रत्यारोप में निकल जाता है। लेकिन उमर सियासी रूप से काफी समझदार हैं, उन्हें पता है कि घोषणा पत्र के वादे पूरे करना ज्यादा जरूरी है और वो तभी संभव है जब केंद्र के साथ तालमेल बैठाया जाए। इसके ऊपर अगर उनके कार्यकाल के दौरान ही पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया, यह उनके लिए एक बड़ी सियासी जीत होगी।

अब उमर के लिए सियासी जीत हो सकती है, लेकिन इंडिया गठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं जा रहे हैं। सीएम उमर के बयान साफ इशारा कर रहे हैं कि इंडिया गठबंधन में तो सबकुछ ठीक नहीं है। वे तो सफाई मांगने लगे हैं कि स्पष्ट होना चाहिए कि इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा के लिए था या फिर आगे भी इसे जारी रखा जाएगा, उन्होंने बातचीत के आभाव का मुद्दा भी उठाया था। अब एक तरफ ऐसा रुख और दूसरी तरफ पीएम मोदी के सामने निष्पक्ष चुनाव के लिए तारीफ करना, यह दोनों बातें एक दूसरे से काफी जुड़ी दिखाई देती हैं। असल में राहुल गांधी ने तो चुनाव की निष्पक्षता पर सबसे पहले सवाल उठाया था, ईवीएम का रोना तो विपक्ष के कई नेताओं ने किया।

एक अकेले उमर अब्दुल्ला ऐसे नेता रहे जिन्होंने ‘ईवीएम रोने’ को गलत बताया और अब तो एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने निष्पक्ष चुनाव के लिए पीएम मोदी की तारीफ की। इसी वजह से सवाल उठने लाजिमी हैं कि क्या एनसी और बीजेपी में कोई डील हो सकती है? वैसे भी कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में कमजोर है, उसके बिना भी उमर के पास बहुमत है, ऐसे में क्या सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अब बीजेपी के साथ जाया जा सकता है? आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर की राजनीति कितने और कैसे रंग दिखाती है, यह देखना दिलचस्प होगा। वैसे इंडिया गठबंधन की और दूसरी चुनौतियों के बारे में जानना है तो यहां क्लिक करें