शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज वर्तमान में चल रहे महाकुंभ के लिए प्रयागराज में हैं। भगदड़ के बाद उन्होंने श्रद्धालुओं से कुंभ क्षेत्र में कहीं भी डुबकी लगाने की अपील की थी, उन्होंने कहा था कि इसके लिए कोई विशेष स्थान नहीं है और श्रद्धालुओं से धैर्य रखने का आग्रह किया था।

महाकुंभ के बीच शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का एक वीडियो व्यापक रूप से इस दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि प्रयागराज में यूपी पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया।

जांच के दौरान हमने पाया कि यह एक पुराना वीडियो था जिसे झूठे दावों के साथ साझा किया जा रहा था।

एक्स यूजर रितेश सिंह ने वायरल वीडियो शेयर किया।

सनातन धर्म का ध्वज लिए शंकराचार्य जी पर इस कदर लाठीचार्ज।घोर निन्दनीये कर्म है ये। हिन्दू रक्षा के नाम पर राजनीति करनेवालों के मुँह में दही जम गया है क्या।#Sankracharya#KumbhMela2025 #PrayagrajMahakumbh2025 pic.twitter.com/gbVQxhN1iA

अन्य उपयोगकर्ता भी इसी तरह के दावों के साथ वीडियो साझा कर रहे हैं।

अमृतकाल में सनातन का प्रचार शंकराचार्य पर लट्ठ का प्रहार (लाठीचार्ज )कहाँ हैं हिन्दू रक्षा के नाम पर खून खराबा करने वाले ❓ @07Eldho @1mani1pbi @Brijesh77956738 @ShadowSakshi @shubhshaurya1 pic.twitter.com/L6VtUGl5Gt

शंकराचार्य जी पर लाठीचार्ज… इतनी अभद्रता तो देश के इतिहास में कभी नही हुई…#shankaracharya pic.twitter.com/y7UzFUGdEh

sensetive content अमृतकाल में ,मोदी ,योगी के खिलाफ शंकराचार्य को बोलना महंगा पड़ गया। शंकराचार्य पर लट्ठ का प्रहार (लाठीचार्ज ) pic.twitter.com/6GkOCrtoCn

हमने गूगल कीवर्ड सर्च करके जांच शुरू की।

इससे हम फर्स्ट इंडिया न्यूज पर वही वीडियो मिला, जिसमें पुलिस संतों पर लाठियां बरसाती दिख रही थी। वीडियो में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज भी थे।

वीडियो का शीर्षक था (अनुवाद): वाराणसी में पुलिस द्वारा संतों पर लाठीचार्ज, जिसे नौ साल पहले अपलोड किया गया था।

विवरण में कहा गया था: संघर्ष गंगा नदी में गणेश विसर्जन के मुद्दे पर शुरू हुआ। लोगों ने पुलिस पर पत्थर फेंके। भगदड़ के बीच चौराहे पर अफरा-तफरी मच गई। लाठीचार्ज में 15 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस और पीएसी ने शुरू में लोगों को चौराहे खाली करने की चेतावनी दी थी। लोग विरोध में नारे लगाने लगे। पुलिस ने मौके से करीब 25 लोगों को गिरफ्तार किया।

हमें 2021 की रिपोर्ट्स भी मिलीं, जिनमें अखिलेश यादव ने संतों पर लाठीचार्ज के लिए शंकराचार्य से माफी मांगी थी।

हमें इस घटना की कई वीडियो रिपोर्ट्स मिलीं।

2015 में, वाराणसी में पुलिस ने भगवान गणेश की मूर्तियों को गंगा में विसर्जित करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया था। लाठीचार्ज में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और कई अन्य धार्मिक नेता घायल हो गए थे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था।

निष्कर्ष: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और कई अन्य धार्मिक नेताओं पर 2015 में वाराणसी में हुए लाठीचार्ज का वीडियो प्रयागराज में महाकुंभ के हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है। वायरल दावा झूठा है।