हाई कोर्ट जज जस्टिस यशवंत वर्मा इस समय विवादों में चल रहे हैं, जब से उनके घर से अधजले नोटों के बंडल मिले हैं, कई सवाल खड़े हो चुके हैं। अभी के लिए सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिली है, जांच पूरी होने तक उन पर कोई FIR दर्ज नहीं होगी, लेकिन एक नई तरह की बहस ने भी जन्म लिया है। सोशल मीडिया पर कई लोग सवाल पूछ रहे हैं- आखिर एक जज की सैलरी कितनी होती है, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज की सैलरी में कितना अंतर होता है? एक बहस इस बात को लेकर भी है- क्या भारत के वकील सुनवाई करने वाले जज से भी ज्यादा पैसा कमाते हैं?
भारत सरकार में डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की एक वेबसाइट है। उसमें स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है- एक जज की कितनी सैलरी रहती है, उन्हें कौन-कौन से फायदे मिलते हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी, इस बारे में भी विस्तार से बताया गया है। वेबसाइट के मुताबिक भारत में एक हाई कोर्ट के जज की सैलरी प्रति माह 2.25 लाख रहती है। इसे दूसरे शब्दों में कहें तो एक जज को रोज के 7500 रुपये मिलते हैं। वहीं हाई कोर्ट के जो चीफ जस्टिस होते हैं, उन्हें महीने के 2.50 लाख रुपये मिलते हैं।
उसी वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि रिटायरमेंट के बाद भारत के एक हाई कोर्ट जज को 13.50 लाख रुपये की प्रति वर्ष पेंशन मिलती है, इसे महीने के लिहाज से 1.12 लाख रुपये कहा जाएगा। इसके ऊपर एक हाई कोर्ट जज को अपनी सर्विस पूरी करने के बाद ग्रेच्युटी के रूप में 20 लाख रुपये दिए जाते हैं। अब इसके अलावा भी देश में हाई कोर्ट के जजों को कई दूसरे पर्क दिए जाते हैं।
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उदाहरण के लिए उन्हें फर्निशिंग भत्ता मिलता है, असल में जजों का जो सरकारी आवास होता है, उसके रख-रखाव के लिए उन्हें 6 लाख रुपये का भत्ता दिया जाता है। इसी तरह सामाजिक आयोजनों से जुड़े खर्चों के लिए भी अलग से 27 हजार का भत्ता दिया जाता है। इसके ऊपर गाड़ी, ड्राइवर, स्टाफ जैसी सुविधाएं तो हर जज को मिलती ही हैं। अब हाई कोर्ट के जज से भी ज्यादा सैलरी भारत में सुप्रीम कोर्ट के जज की होती है।
भारत में चीफ जस्टिस की सैलरी महीने की 2.80 लाख रुपये रहती है, 2018 से पहले तक यह आंकड़ा 1 लाख हुआ करता था। इसी तरह जो सुप्रीम कोर्ट के जज के होते हैं, उन्हें अब 2.50 लाख रुपये प्रति महीने के मिलते हैं, यह आंकड़ा पहले 90 हजार हुआ करता था। वहीं भारत के जो चीफ जस्टिस होते हैं, रिटायर होने के बाद उन्हें अपनी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा बतौर महीने की पेंशन मिलता है, सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जजों के लिए भी यह नियम रहता है।
वैसे जजों की सैलरी तो फिक्स चल रही है, लेकिन भारत के जो वकील होते हैं, उनका संघर्ष अलग है। जो नए वकील हैं, वो कई बार पाई-पाई के लिए भी मोहताज रह जाते हैं, वहीं जो सीनियर एडवोकेट होते हैं, वो एक-एक केस की सुनवाई के लिए 1 लाख से 5 लाख तक चार्ज करते रहते हैं। इसी तरीके से भारत के जब दिग्गज वकीलों की बात आती है, इस लिस्ट में चाहे हरीश साल्वे का जिक्र हो या फिर कपिल सिब्बल का, तो आंकड़ा 10 से 15 लाख भी एक सुनवाई के लिए रहता है। ऐसे में एक सीनियर एडवोकेट जो लोकप्रिय हो, उसकी सैलरी किसी भी एक जज से ज्यादा रहने वाली है।