Khalistani Leader Amritpal Singh: खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह ने हाल ही में अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उसे संसद के मौजूदा सत्र में शामिल होने की अनुमति दी जाए। अमृतपाल सिंह ने अपने वकील के जरिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर यह मांग की है। अमृतपाल सिंह को इस बात का डर है कि संसद से लगातार गैर हाजिर रहने की वजह से उसे लोकसभा सीट गंवानी पड़ सकती है।

अमृतपाल सिंह ने पिछले लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब सीट से चुनाव जीता था लेकिन जेल में होने की वजह से उसे संसद के सत्र में भाग लेने का मौका नहीं मिला। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, संसद में अमृतपाल सिंह की उपस्थिति अब तक केवल 2% है।

बताना होगा कि अमृतपाल सिंह अप्रैल, 2023 से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है और उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत देशद्रोह के आरोप हैं। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि सिर्फ संसद सत्र में शामिल न हो पाने की वजह से अमृतपाल सिंह की संसद की सदस्यता खत्म हो सकती है? आइए जानते हैं कि इस बारे में कानून क्या कहता है?

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आर्टिकल 101(4) के अनुसार, ‘यदि कोई सांसद बिना अनुमति के लगातार 60 दिनों तक संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं होता है तो उसकी सीट को रिक्त घोषित किया जा सकता है।’ हालांकि, यह 60 दिन केवल वही दिन हैं, जब संसद की बैठक हो रही हो। जिन दिनों में संसद स्थगित (prorogued) रहती है या लगातार चार दिनों से अधिक के लिए स्थगित कर दी जाती है, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाता।

इसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि गैर हाजिरी की गिनती सिर्फ उन दिनों की होगी जब संसद की वास्तविक बैठक होती है।

उदाहरण के लिए, अमृतपाल सिंह ने अब तक केवल एक बार लोकसभा सत्र में भाग लिया है, जब उसने जुलाई में शपथ ली थी। इसके बाद से ही वह असम की जेल में बंद है और अब तक वह करीब 50 बार संसद सत्र से गैर हाजिर रहा है।

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इस मामले में लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य का बयान काफी अहम है। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बातचीत में बताया कि उन्हें एक भी ऐसा मामला याद नहीं है जिसमें आर्टिकल 101(4) का इस्तेमाल किया गया हो और इससे किसी सांसद को अपनी सीट गंवानी पड़ी हो।

आर्टिकल 101(4) में ‘सदन की अनुमति के बिना’ शब्द काफी महत्वपूर्ण है। यदि कोई सांसद लंबे समय तक गैर हाजिर रहता है, तो वह ‘संसद की बैठकों से सांसदों की अनुपस्थिति पर समिति’ (Committee on Absence of Members from the Sittings of the House) को पत्र लिखकर अनुमति मांग सकता है। यह संसदीय समिति इस तरह के मामलों को देखती है।

समिति उसके पास आने वाले हर आवेदन पर अपनी सिफारिश देती है। इसके बाद इसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है। आम तौर पर, गैर हाजिरी के आवेदन बहुत कम ही खारिज किए जाते हैं।

पीडीटी आचार्य ने बताया कि बतौर सांसद अमृतपाल सिंह को जेल में होने का हवाला देकर इस संसदीय पैनल को अपनी बात लिखने और गैर हाजिर रहने की अनुमति मांगने का पूरा हक है। वह यह हवाला दे सकता है कि क्योंकि वह जेल में है और उसे जमानत नहीं मिल रही है इसलिए वह संसद से गैर हाजिर है।

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इससे पहले भी जो सांसद जेल में बंद रहे हैं उन्हें छुट्टी मिलती रही है। अपनी बीमारी का या परिवार में किसी सदस्य की बीमारी का हवाला देकर कई सांसद छुट्टी मांग चुके हैं और उन्हें छुट्टी दे दी गई है। जैसे 2023 में बसपा सांसद अतुल राय ने संसद की लगातार 23 बैठकों में गैर हाजिर रहने की अनुमति मांगी थी क्योंकि वह उस दौरान जेल में थे। तब उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया था।

फिर वही सवाल अहम है कि क्या सिखों के लिए अलग देश यानी खालिस्तान का समर्थन करने वाले अमृतपाल सिंह की सीट वाकई खतरे में है?

अगर कोई सांसद 60 दिनों से अधिक समय तक गैर हाजिर रहता है तो संसद को उसकी सीट को ‘रिक्त’ घोषित करना होता है, इसका सीधा मतलब है कि इस सीट पर मतदान कराना होगा। ऐसे मामलों में किसी सांसद की सदस्यता जाने की संभावना बहुत कम होती है। इसलिए सिर्फ संसद सत्र में शामिल न हो पाने की वजह से अमृतपाल की सदस्यता खत्म होने की संभावना नहीं है।