प्रयागराज में महाकुंभ के मुख्य अनुष्ठान बुधवार को माघी पूर्णिमा स्नान के समाप्त होने के साथ खत्म हो गए। इसके साथ ही 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद से मेला स्थल पर डेरा डाले हुए 10 लाख से अधिक कल्पवासी अपने घर के लिए रवाना होने लगे हैं। 3 फरवरी को बसंत पंचमी स्नान के बाद अधिकांश अखाड़े पहले ही बाहर निकल चुके हैं। ऐसे में आइये जानते हैं महाकुंभ मेला क्षेत्र और प्रयागराज के कैसे हैं हालात?
मेले की स्थिति के बारे में बात करते हुए उदासीन अखाड़ा (बंधुआ) के महंत धर्मेंद्र दास ने बताया कि 10 अखाड़े 7 फरवरी तक चले गए थे, जबकि शेष तीन अखाड़े गुरुवार शाम तक चले जाएंगे। दास ने कहा कि बड़ा और छोटा उदासीन अखाड़ा तो चले गए हैं लेकिन उदासीन बंधुआ शिवरात्रि तक मेले में रहेंगे जो महाकुंभ का अंतिम दिन है।
कल्पवासियों के रहने वाले सेक्टर 18 और 19 को अगले तीन दिनों में खाली करा दिया जाएगा। सभी अखाड़े सेक्टर 20 में डेरा डाले हुए हैं। एक संगठन के पदाधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विभिन्न धार्मिक संगठनों के शिविर महाकुंभ के समापन तक जारी रहेंगे लेकिन अब तक आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम अब समाप्त होने लगेंगे।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “माघ पूर्णिमा स्नान के बाद ऐसा लगता है कि वापसी शुरू हो गयी है। सुबह तक करीब 5 लाख कल्पवासी निकल चुके हैं, बाकी भी निकल रहे हैं। सुरक्षा, यातायात, निगरानी, प्रशासन समेत सभी व्यवस्थाएं हमेशा की तरह लागू रहेंगी और 26 फरवरी को महाकुंभ के समापन तक जारी रहेंगी।”
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डीजीपी ने कहा कि प्रयागराज में तीर्थयात्री तो आ रहे हैं लेकिन उनकी संख्या में तुलनात्मक रूप से कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सड़क पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा। मेला प्रशासन के अनुसार, मलाक हरहर ( लखनऊ ), मिर्जापुर रोड, रीवा रोड, सहसों (जौनपुर), फाफामऊ (लखनऊ), अंदावा (वाराणसी मार्ग) और कौशाम्बी सहित सभी प्रमुख मार्गों पर यातायात सुचारू रूप से चल रहा है।
यातायात विभाग ने श्रद्धालुओं से प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने और किसी भी मार्ग पर अनावश्यक रुकने से बचने का आग्रह किया है। इस बीच, 16 फरवरी को कुंभ में जलवायु सम्मेलन आयोजित होने वाला है। उत्तर प्रदेश पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग कुंभ की आस्था और जलवायु परिवर्तन पर जलवायु सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सम्मेलन में आध्यात्मिक गुरुओं, पर्यावरणविदों, सामाजिक संगठनों और व्यापारिक नेताओं के साथ पर्यावरण की रक्षा और सुधार के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
उसी दिन तीन दिवसीय पक्षी महोत्सव भी शुरू होगा। अंतर्राष्ट्रीय पक्षी महोत्सव में दुर्लभ भारतीय स्कीमर, फ्लेमिंगो और साइबेरियन क्रेन सहित लगभग 200 पक्षी प्रजातियां शामिल होंगी। आगंतुकों को साइबेरिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान और एक दर्जन से अधिक देशों के प्रवासी पक्षियों की झलक भी देखने को मिलेगी।