Spiritual gathering in Maha Kumbh Mela: प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की लहर लगातार उमड़ रही है। तमाम चुनौतियों के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। महाकुंभ मेला प्रशासन के अनुसार मेला शुरू होने के बाद से अब तक 40 करोड़ से अधिक लोग पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं। यानी योगी आदित्यनाथ सरकार ने जितने श्रद्धालुओं के आने का लक्ष्य रखा था, वह मेले के खत्म होने से 20 दिन पहले ही पूरा हो गया। महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी को शुरू हुआ था और यह 26 फरवरी तक चलेगा। अभी मेले के समापन में तीन सप्ताह से अधिक का समय बाकी है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि श्रद्धालुओं की संख्या 50 करोड़ तक पहुंच सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह एक नया विश्व रिकॉर्ड होगा, जो भारत की आध्यात्मिक आस्था को दुनिया के सामने प्रदर्शित करेगा।

28 जनवरी को मौनी अमावस्या शुरू होने से पहले रात में संगम नोज के पास कुछ श्रद्धालुओं में भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई थी। इस घटना में कई श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई घायल भी हुए थे। इसके बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि इस घटना का असर महाकुंभ की भीड़ पर पड़ेगा और लोग डर के कारण अब प्रयागराज नहीं आएंगे। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। हादसे के बावजूद महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बनी हुई है। आम श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि विशिष्ट लोग, राजनेता, फिल्म कलाकार, साधु-संत और अन्य गणमान्य लोग भी लगातार संगम स्नान और दर्शन के लिए आ रहे हैं।

इस मेले की सबसे खास बात यह है कि यह 144 साल बाद आयोजित किया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा अगला महाकुंभ अब 2169 में आयोजित होगा। यही कारण है कि हर कोई इस ऐतिहासिक और पवित्र अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रयागराज पहुंचने को आतुर है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन और सुरक्षा बल भी पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहे हैं।

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महाकुंभ में हर दिन करीब 25 से 30 लाख लोग पहुंच रहे हैं और पवित्र संगम में स्नान कर रहे हैं। इनमें न सिर्फ भारत के अलग-अलग हिस्सों से आए लोग शामिल हैं, बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों से भी श्रद्धालु इस अद्भुत धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनने आ रहे हैं। विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं को बेहद रुचि से देख रहे हैं और यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा से अभिभूत हो रहे हैं।

अब तक महाकुंभ में ज्यादातर बाहरी श्रद्धालु पहुंचे थे, लेकिन अब स्थानीय लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है। आमतौर पर प्रयागराज और आसपास के लोग तब स्नान के लिए आते हैं, जब बाहरी श्रद्धालुओं की संख्या कुछ कम हो जाती है। लेकिन इस बार श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती भीड़ को देखकर स्थानीय लोग भी पहले ही संगम स्नान के लिए पहुंचने लगे हैं।

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श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने प्रयागराज के सभी माध्यमिक स्कूलों की कक्षाओं को 7 फरवरी से 12 फरवरी तक ऑनलाइन संचालित करने का फैसला किया है। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम छात्रों की सुविधा और भीड़भाड़ से बचने के लिए उठाया गया है। हालांकि, शिक्षक स्कूल पहुंचकर निर्धारित समय के अनुसार प्रयोगात्मक और गृह परीक्षाएं संपन्न कराएंगे।

शाही स्नान संपन्न होने के बाद अब अखाड़ों के संत अपने शिविरों से सामान समेटकर वापस लौटने लगे हैं। हालांकि, आम श्रद्धालुओं की भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। प्रयागराज का मेला क्षेत्र अब भी भक्ति और आस्था से सराबोर है। लाखों श्रद्धालु हर दिन संगम तट पर पुण्य स्नान के लिए पहुंच रहे हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

अब तक 40 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं और मेला खत्म होने से पहले यह संख्या 50 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ, तो यह महाकुंभ इतिहास में दर्ज हो जाएगा और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन का विश्व रिकॉर्ड बना लेगा। प्रयागराज की पवित्र धरती पर आस्था, श्रद्धा और भक्ति का यह महासंगम आने वाले वर्षों तक लोगों के दिलों में बसा रहेगा।