Maharashtra Special Public Security Bill: महाराष्ट्र की विधानसभा में एक ऐसा बिल पास किया गया है जो राज्य सरकार के मुताबिक, वामपंथी उग्र संगठनों की कथित गैरकानूनी गतिविधियों पर रोकथाम के लिए लाया गया है। विपक्ष ने इस बिल को लेकर चिंता जताई है। बिल का नाम Maharashtra Special Public Security Bill है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस बिल का इस्तेमाल राजनीतिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ नहीं किया जाएगा लेकिन विपक्ष इसके दुरुपयोग की आशंका को लेकर आवाज उठा रहा है।
एनसीपी (शरद पवार) के विधायक रोहित पवार, शिवसेना (UBT) के भास्कर जाधव वरुण सरदेसाई, कांग्रेस के विश्वजीत कदम ने कहा कि इस संबंध में बनाई गई समिति के सभी सुझावों को बिल में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बिल में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों जैसे ‘वामपंथी उग्रवाद’ (Left wing Extremism) और गैरकानूनी गतिविधियों (Unlawful Activities) की परिभाषा को लेकर चिंता व्यक्त की।
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कांग्रेस के विधायक नाना पटोले ने कहा कि विपक्ष की ओर से इस बिल को लेकर 12 हजार सुझाव और आपत्तियां दी गई थी लेकिन इसमें से सिर्फ तीन को ही स्वीकार किया गया। रोहित पवार ने कहा कि वामपंथी उग्र विचारधारा (Left Wing Extremist Ideology) की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है और जब पहले से ही कानून मौजूद हैं तो नए कानून की क्या जरूरत है?
विपक्ष के सवालों के जवाब में सीएम फडणवीस ने कहा, ‘यह बिल उन संगठनों के खिलाफ है जो लोगों को भारतीय संविधान को उखाड़ फेंकने के लिए उकसा रहे हैं। यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए है। यह भाकपा या माकपा जैसी वामपंथी पार्टियों के खिलाफ नहीं है। हम उनका सम्मान करते हैं, भले ही हमारी विचारधाराएं अलग हों। यह उन संगठनों के खिलाफ है जिनका उद्देश्य हमारे देश की संस्थाओं को ध्वस्त करना है। उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।’
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सीएम फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में माओवादियों की गतिविधियां कम हुई हैं और उनका असर सिर्फ चार जिलों से घटकर दो तहसीलों में रह गया है और जल्द ही इसे भी खत्म कर दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने ‘अर्बन माओवाद’ को लेकर चेताया। असहमति और उग्रवाद के बीच अंतर को बताते हुए फडणवीस ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को विरोध करने का अधिकार है और हिंसा जैसे मामलों में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधान लागू होंगे न कि नया कानून।
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