Milkipur Bypoll 2025: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। इस सीट पर बीजेपी ने सपा के अजित प्रसाद के सामने बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को चुनावी रण में उतारा है। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, लेकिन इससे पहले यहां दो बार हुए उपचुनाव में उसे हार का मुंह देखना पड़ा था। इन दोनों ही चुनावों में सपा को जीत हासिल हुई थी।
मिल्कीपुर में साल 1998 और साल 2004 में उपचुनाव हुआ था। 1998 में राज्य में बीजेपी की सरकार थी और उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब सपा के विधायक मित्रसेन यादव सांसद चुने गए थे, उनके इस्तीफे के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी। 1998 में यहां हुए उपचुनाव में सपा ने रामचंद्र यादव और बीजेपी ने डॉ. बृजभूषण मणि त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा था।
उपचुनाव के बाद जब परिणाम घोषित हुए तो बीजेपी को बड़ा झटका लगा। राज्य में सरकार होने के बाद भी बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. बृजभूषण मणि त्रिपाठी चुनाव हार गए। उन्हें सपा के रामचंद्र यादव ने 4132 वोटों से चुनाव हराया।
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मिल्कीपुर में दूसरा उपचुनाव साल 2004 में सपा की सरकार के दौरान हुआ। तब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। यह उपचुनाव समाजवादी पार्टी के विधायक आनंद सेन यादव के बीएसपी में शामिल होने की वजह से हुआ। मिल्कीपुर उपचुनाव 2004 में सपा ने एक बार फिर से रामचंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया जबकि आनंद सेन यादव बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े। इस उपचुनाव में सपा ने बीएसपी को करीब 35000 वोटों से हराया।
मिल्कीपुर में साल 2022 में हुए विधानसभा उपचुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को हराया था। इस चुनाव में अवधेश प्रसाद को 103905 वोट मिले थे जबकि बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 90567 वोट हासिल हुए थे। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर में बाबा गोरखनाथ ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने 86960 वोट हासिल हुए थे जबकि सपा के अवधेश प्रसाद को 58684 वोटों से संतोष करना पड़ा था।
अवधेश प्रसाद साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या संसदीय सीट से चुनाव जीते हैं। उनके इस्तीफे के बाद मिल्कीपुर में उपचुनाव करवाया जा रहा है। वह साल 2012 में भी सपा के टिकट पर मिल्कीपुर से विधायक चुने गए थे। तब उन्होंने बसपा के पवन कुमार को बड़े अंतर से हराया था जबकि बीजेपी तीसरे नंबर पर रही थी। बीजेपी इससे पहले यहां सिर्फ 1991 में विधानसभा चुनाव जीती थी। इस चुनाव में हार-जीत का अंतर बेहद कम था। मिल्कीपुर में 1993 में सीपीआई, 1996 और 2002 में सपा जबकि साल 2007 में बसपा ने जीत दर्ज की थी।