म्यांमार और थाइलैंड में भूकंप की वजह से भारी तबाही हुई है। कई बड़ी इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं, कई सड़कें पूरी तरह तबाह हुई हैं, सैंकड़ों लोग लापता भी बताए जा रहे हैं। अब भूकंप तो भारत में भी आते हैं, कई बार आ चुके हैं, कुछ बड़े तो कुछ छोटे। लेकिन एक डर लोगों के मन में बना रहता है- अगर कोई बड़ा भूकंप आया तो क्या करेंगे? क्या भारत किसी बड़े भूकंप के लिए तैयार है? सरकार ने क्या कोई कदम उठाए हैं?
भारत का 59 फीसदी हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है, यहां भी नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच में कुल 159 भूकंप आ चुके हैं। Bureau of Indian Standards (BIS) ने भारत को भूकंप के लिहाज से 4 जोन में बांट रखा है, इसे Seismic Zone भी कहा जाता है।
भारत में वैसे तो कई मौकों पर भूकंप आए हैं, लेकिन दो सबसे भीषण माने जाते हैं। उनमें कई लोगों की जान गई थी, इमारतों को भारी नुकसान हुआ था।
अब भारत की तमाम सरकारों को इस बात का अहसास है कि देश में एक तेज तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। ऐसे में कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण के लिए 2014 तक अगर सिर्फ 80 Seismic Observatories रहती थीं, 2025 तक वो आंकड़ा बढ़कर 168 हो चुका है। इसी तरह पूरे देश में Earthquake Early Warning System शुरू करने की तैयारी है। उत्तराखंड में तो साल 2021 में ही Earthquake Early Warning System आ चुका है। जो भी इसकी फाइडिंग होती है, उसे BhuDEV (Bhukamp Disaster Early Vigilante) ऐप पर भेजा जाता है।
अब एक तरफ तकनीक के सहारे भूकंप के खतरों से बचने की कोशिश है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। इसी वजह से NDMA ने इस साल मार्च में ही ‘आपदा का सामना’ नाम से एक जागरूकता अभियान शुरू किया था। इसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। इसी तरह साल 2016 में पीएम मोदी ने भी भूकंप की गंभीरता को समझा था और एक 10 प्वाइंट एजेंडा तैयार किया था। तब 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए इन कदमो को जरूरी माना गया था। इस लिस्ट में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम शुरू करने से लेकर बीमा पॉलिसी में बड़े बदलाव करना तक शामिल था।
वैसे समय-समय पर लोगों के लिए भी गाइडलाइन जारी की जाती है। 2019 में Home Owner’s Guide के जरिए लोगों को इस बारे में बताया गया था कि आखिर कैसे अपने घर का निर्माण करें जिससे किसी बड़े भूकंप के समय रक्षा हो सके। इसी तरह 2021 में भी Simplified Guidelines आई थीं, तब मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स के लिए सुरक्षा के स्टैंडर्ड काफी विस्तार से बताए गए थे।