Defence Projects Wildlife Clearance: चीन से लगने वाले बॉर्डर के लिए भारत ने कई अहम डिफेंस प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। ये प्रोजेक्ट्स पूर्वी लद्दाख से लेकर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। इन प्रोजेक्ट्स में मूल रूप से फॉरवर्ड एविएशन बेस के लिए बुनियादी ढांचा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर मिसाइलों और महत्वपूर्ण सड़क संपर्कों के लिए सुविधाओं का निर्माण आदि शामिल हैं। नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ की स्टैंडिंग कमेटी (SC-NBWL) ने इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है।
यह बैठक 26 जून को हुई और (SC-NBWL) ने 30 से ज्यादा डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन किया और इन सभी को मंजूरी दे दी। इनमें से 26 प्रोजेक्ट लद्दाख में हैं। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने की।
इन प्रोजेक्ट्स के लिए वाइल्डलाइफ बोर्ड की मंजूरी इसलिए जरूरी है क्योंकि ये प्रोजेक्ट काराकोरम वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी और चांगथांग कोल्ड डेजर्ट सैंक्चुरी (लद्दाख), दिबांग वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी (अरुणाचल प्रदेश) और पंगोलखा सैंक्चुरी (सिक्किम) जैसे संरक्षित इलाकों में हैं।
देखना जरूरी होगा कि ये प्रोजेक्ट्स भारत के लिए कितने जरूरी हैं।
(SC-NBWL) ने म्यांमार बॉर्डर के पास अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे के काम को भी मंजूरी दी है। सबसे अहम प्रोजेक्ट दौलत बाग गोल्डी Daulat Beg Oldie (DBO) से Border Personnel Meeting (BPM) हट के बीच सड़क का था। 10.26 किलोमीटर लंबी सड़क बनना है और वह जगह है जहां भारत और चीन की सेना के सीनियर अफसर बॉर्डर से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिलते हैं। यह इलाका समुद्र से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है और यहां सबसे ऊंची हवाई पट्टी भी है।
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रक्षा मंत्रालय ने (SC-NBWL) को बताया था कि इन दोनों के बीच कोई सड़क नहीं है जबकि दूसरी ओर चीन ठोस सड़क बना रहा है।
काराकोरम सैंक्चुरी में तिब्बती हिरन, शापो, जंगली याक, भरल, हिम तेंदुआ, हिमालयी ग्रे भेड़िया, लिंक्स और मार्मोट रहते हैं। दिबांग सैंक्चुरी तेंदुए और बाघ का घर है जबकि एशियाई काला भालू, अन्य जीवों के साथ पंगोलखा सैंक्चुरी में रहता है।
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इसके अलावा बाकी जिन अहम प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है, उनमें तोपखाना रेजिमेंट के सैनिकों के लिए आवास, एक फील्ड अस्पताल, श्योक में फॉरवर्ड एविएशन बेस के लिए विमानन बुनियादी ढांचे का निर्माण और कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के उपकरणों का पता लगाने के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे का निर्माण आदि हैं। इसके अलावा सियाचिन क्षेत्र के लिए भी अहम मंजूरी दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परतापुर का प्रोजेक्ट सियाचिन ग्लेशियर में उड़ान गतिविधियों के लिए अहम होगा।
(SC-NBWL) ने पूर्वोत्तर में LAC के साथ बुनियादी ढांचे के लिए मालिन-बलुआ-कपुड़ा सड़क को मंजूरी, सिक्किम में पाक्योंग जिले के पंगोला में एक सीमा चौकी और ऋषि-रोंगली-कुपुप सड़क सुधार को मंजूरी दी गई है।
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