देश में बन रही रोप वे योजनाओं के लिए जल्द नए नियम व मानक तैयार होंगे। इन मानकों में तकनीकी मानक, प्रमाणीकरण, निर्माण और उसकी सुरक्षा से संंबंधित नियम व उपबंध होंगे। रोप-वे परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। महानिदेशक (डीजी) समिति के अध्यक्ष होंगे। इसके अतिरिक्त छह विभागों के प्रमुखों को समिति में बतौर सदस्य शामिल किया गया है। आदेशों की सूचना देश के सभी मुख्य सचिवों व केंद्र शासित प्रदेशों को भी इस बाबत आदेश भेजी है।

यह एक उच्चस्तरीय तकनीकी समिति होगी जो कि आने वाले दिनों में रोप-वे परियोजनाओं की राह को आसान बनाने में मदद करेगी। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के मुताबिक, समिति के सदस्य में मुख्य अभियंता सड़क परिवहन और रोप-वे योजना की जानकारी रखने वाले अधिकारी, रोप-वे परियोजना से संबंधित मानक तय करने वाले अधिकारी, राज्यों से संबंधित अधिकारी, केंद्र सरकार के नामित तीन अधिकारी, चार औद्योगिक क्षेत्र व रोप-वे से संबंधित अधिकारी और रोप-वे सुरक्षा आयुक्त को इसमें शामिल किया गया है। केंद्र सरकार ने इस तकनीकी समिति को स्वतंत्र तौर पर सलाहकार रखने की भी छूट दी गई है। यह दल मिलकर रोप वे परियोजनाओं को बढ़ाने के लिए मानक तय करेगा ताकि यात्रियों की सुरक्षा के लिए सबसे आसान और सुगम साधन बनाया जा सके।

केंद्र सरकार ने हाल ही में देश के पहाड़ी राज्यों में परिवहन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए रोप-वे परियोजना की योजना को मंजूरी दी थी। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया गया है कि मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त को आयुक्त रोप वे सुरक्षा तंत्र बनाया जाएगा। केंद्र सरकार ने 2022 के बजट में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम-पर्वतमाला की घोषणा की थी। नैशनल हाईवे लाजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) द्वारा कार्यान्वित इस पहल का लक्ष्य पांच वर्षों के भीतर 1,200 किलोमीटर तक 250 से अधिक रोपवे परियोजनाएं विकसित करना है।

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बिजली महादेव (हिमाचल प्रदेश) धोसी हिल (हरियाणा), महाकालेश्वर मंदिर (मध्य प्रदेश), संगम प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), शंकराचार्य मंदिर (जम्मू-कश्मीर), कामाख्या मंदिर (असम), तवांग मठ पीटीत्सो झील (अरुणाचल प्रदेश), काठगोदाम हनुमान गढ़ी मंदिर (उत्तराखंड), रामटेक गाड मंदिर (महाराष्ट्र), ब्रह्मगिरि-अंजनेरी (महाराष्ट्र)।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पहाड़ी राज्यों के लिए मार्च 2025 में रोप वे परियोजनाओं को मंजूर किया गया था। इसमें उत्तराखंड के लिए गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब और सोनप्रयाग से केदारनाथ तक की योजना शामिल है। केदारनाथ रोप-वे परियोजना 4,081.28 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगी और इसमें सोनप्रयाग-केदारनाथ रोप-वे (12.9 किमी) को मंजूरी दी गई है। इसमें प्रतिघंटे प्रत्येक दिशा में 1,800 यात्रियों सफर कर सकेंगे। रोप-वे से यात्रा का समय 8-9 घंटे से घटकर मात्र 36 मिनट रह जाएगा। केदारनाथ में हर साल करीब 20 लाख तीर्थयात्री आते हैं और इस परियोजना से इस पवित्र तीर्थस्थल तक पहुंच और आसान हो जाएगी।

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हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना में गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) तक मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (एमडीजी) और घांघरिया से हेमकुंड साहिब जी (1.85 किमी) तक 1,100 यात्रियों प्रति घंटे की क्षमता के साथ ट्राइकेबल डिटैचेबल गोंडोला (3 एस) की सुविधा होगी, जिसमें प्रतिदिन 11,000 यात्रियों को ले जाया जा सकेगा। 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब जी में प्रतिवर्ष 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री आते हैं और यह फूलों की घाटी (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) के नजदीक है।