Power Of Indian Navy: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच में रिश्ते और ज्यादा खराब हुए हैं, जानकार मान रहे हैं कि जंग तक बात जा सकती है। ऐसे में जनसत्ता ने एक स्पेशल सीरीज शुरू की है जहां पर युद्ध में शामिल सभी फोर्स, एजेंसियों की ताकत समझाने की कोशिश हो रही है। इस सीरीज के पहले पार्ट में बात इंडियन आर्मी की हुई थी, आज दूसरे पार्ट में इंडियन नेवी पर फोकस करेंगे। किसी भी युद्ध में भारतीय नौसेना की भी अहम भूमिका रहती है।
भारत का समुद्री तट 7516 किलोमीटर लंबा है। इसी समुद्री तट की रक्षा भारतीय नौसेना को करनी होती है। यहां भी समुद्री डाकुओं से मुकाबला करना, भारत के व्यापारिक जहाजों की रक्षा करना प्राथमिकता रहता है। प्राकृतिक आपदा के दौरान भी नौसेना की अहमियत काफी ज्यादा हो जाती है, राहत-बचाव में उसकी जरूरत पड़ती है। इंडियन नेवी को कमांड देने का काम चीफ ऑफ नेवल स्टॉफ करते हैं, इन्हें एडमिरल कहा जा सकता है।
वर्तमान में भारतीय नौसेना के तीन प्रमुख कमांड हैं- ईस्टर्न नेवल कमांड जिसका हेडक्वार्टर विशाखापट्टनम में मौजूद है, वेस्टर्न नेवल कमांड जिसका हेडक्वार्टर मुंबई में है और सदर्न नेवल कमांड जिसका हेडक्वार्टर कोची में स्थित है। भारतीय आर्मी की तरह नौसेना के पास भी अपनी स्पेशल फोर्स है जो बड़े मिशन्स के लिए तैयार रहती है। नौसेना की स्पेशल फोर्स का नाम है MARCOS। इसे Marine Commando Force के नाम से भी जाना जाता है। बात चाहे एंटी टेररिज्म ऑपरेशन्स की हो या फिर स्पेशल मिलिट्री स्ट्राइक्स की, भारत की पहली पसंद MARCOS के स्पेशल कमांडोज रहते हैं।
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MARCOS यूनिट की स्थापना 1986 में हुई थी, नौसेना ने ही फैसला किया था कि आतंकवाद और समुद्री लुटेरों से निपटने के लिए एक ऐसी फोर्स चाहिए जो पूरी तरह प्रक्षिशित हो। समय के साथ मार्कोस यूनिट का विस्तार होता रहा और अब यहां 1200 से ज्यादा कमांडोज हैं। इन्हें तीन साल की अलग से बहुत मुश्किल ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें ऐसे ट्रेन किया जाता है कि ये सिर्फ समुद्र नहीं बल्कि हवा और जमीन पर भी कारगर प्रहार करने में सक्षम होते हैं। इन्हें राजस्थान, तवांग, सोनमर्ग, मिजोरम जैसे क्षेत्रों में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है।
ऐसे में अगर युद्ध छिड़ता है तो भारतीय नौसेना का गरुरू यह मार्कोस की स्पेशल फोर्स है। दुश्मन को परास्त में इसकी जैसी काबिलियत है, वो किसी के पास नहीं। हर माहौल में, हर मौसम में और हर विपरीत स्थिति में भी इस फोर्स के कमांडोज अपनी ताकत का अहसास करवा ही देते हैं।
अब वर्तमान में भारत के पास दुनिया की सातवीं सबसे ताकतवर नौसेना है। इंडियन नेवी के पास 2 एयरक्राफ्ट कैरियर, 6 एम्फीबियस युद्धपोत, 10 विध्वंसक युद्धपोत, 13 फ्रिगेट, 23 कॉर्वेट, 17 पनडु्ब्बियां, 139 पेट्रोल शिप शामिल हैं। इस समय इंडियन नेवी के 11 महत्वपूर्ण बेस हैं जो देश के अलग-अलग सीमावर्ती राज्यों में बने हुए हैं। इस समय अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, गोवा कर्नाटक और गुजरात में नेवी के बेस स्थित हैं।
इस समय इंडियन नेवी की नजर एडवांस मल्टी-रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स में से एक तमाल पर है जिसका परीक्षण रूस में जारी है। भारतीय नौसेना का ही एक बैच उसे लेने के लिए वहां गया है। तमाल को सटीक हमलों के लिए जाना जाता है, यह 30 नॉट्स (55 किमी/घंटा) तक की गति से क्रूज कर सकता है। बड़ी बात यह है कि सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल भी तमाल के द्वारा दागी जा सकती है। तमाल एडवांस एंटी- सबमरीन रॉकेट और टॉरपीडो से भी लैस रहता है। ऐसे में नौसेना की ताकत आने वाले दिनों में कई गुना और ज्यादा बढ़ने वाली है।
वैसे नौसेना के पास अब कई युद्ध का अनुभव हो चुका है, उसने कई सफल मिशन्स को अंजाम भी दिया है। ऐसे में भारत को मुश्किल स्थिति में सबसे मजबूत सहारा नेवी से ही मिलने वाला है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट को नहीं भूलना चाहिए तब कराची पोर्ट को नेवी ने ऐसे तबाह किया था कि वो सात दिनों तक जलता रहा और महीनों तक उसे बंद रखा गया। इसके अलावा मालदीव में भी साल 1988 में ऑपरेशन कैक्टस के तहत नौसेना ने अपना शौर्य दिखा दिया था।
इंडियन नेवी ने उस समय पैराट्रूपर्स और नौसैनिक जहाजों को मालदीव भेजा था और एक बड़े तख्तापलट को होने से रोक दिया था। जितने भी विद्रोही थे, उन्हें नौसेना ने सफलतापूर्वक खदेड़ा था। इसके अलावा ऊरी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान भी नौसेना ने पाकिस्तान पर जबरदस्त दबाव बनाने का काम किया था। सामने से हमला नहीं किया गया, लेकिन अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज करवाई। ऐसे में अगर भारत-पाकिस्तान में युद्ध छिड़ता है तो नौसेना की ताकत को कभी भी कमतर नहीं आका जा सकता।
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