Air India Plane Crash In Ahmedabad: गुरुवार दोपहर गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171 उड़ान भरने के तुरंत बाद क्रैश हो गई थी। इसमें कई लोगों की जान चली गई। अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास घनी आबादी वाले इलाके मेघानीनगर के रहने वाले हवाई जहाजों को नजदीक से देखने के आदी हैं। उनमें से कई लोग अक्सर मजाक करते थे कि अगर वे थोड़ा और ऊपर कूद पाते, तो शायद वे ऊपर से उड़ते हुए हवाई जहाज के पहियों को छू सकते थे। गुरुवार दोपहर को यह सब बदल गया।

ज्यादातर लोगों के बीच में बस केवल एक ही भावना था कि अगर विमान थोड़ा भी दायीं या बायीं तरफ मुड़ जाता तो जमीन पर बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। इस क्षेत्र में मौजूद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ (NIOH) के एक साइंटिस्ट ने कहा, ‘मुझे लगता है कि पायलटों ने हम सभी को बचा लिया। अगर वे विमान को हॉस्टल के बगल में जमीन पर नहीं उतारते, तो विमान हमारी इमारत से टकरा सकता था।’ यहां मौजूद कई वैज्ञानिक कुछ ही सेकंड में जलते हुए मलबे की चपेट में आने से बच गए।

एक दुकानदार ने नाम न बताने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘अगर विमान थोड़ा बायीं ओर होता तो हमारी सोसायटी नष्ट हो जाती, अगर वह थोड़ा दायीं ओर होता तो एसआरपी के घोड़ा कैंप से टकरा जाता। अगर विमान थोड़ा जल्दी नीचे उतरता तो वह मिलिट्री हॉस्पिटल और एनआईओएच के परिसर में चला जाता, जबकि अगर विमान थोड़ा विलंब करता तो विमान सीधे मेडिसिटी परिसर के बाहर स्थित 1,200 बिस्तरों वाले अस्पताल में जा गिरता।’

वह जिस सोसाइटी का जिक्र कर रहे हैं, जो मेघानीनगर में सरकारी आवास बोर्ड के अंतर्गत आता है। इसे 1961 में मिल मजदूरों के लिए बनाया गया था, जब शहर को कपड़ा केंद्र होने के कारण पूर्व का मैनचेस्टर कहा जाता था। लोगों का कहना है कि 12 जून की दोपहर से उन्हें एक पल भी आराम नहीं मिला है क्योंकि लोग उनके सामने हॉस्टल की इमारत में रुके विमान की बेहतरीन झलक पाने के लिए परिसर में भीड़ लगाए हुए हैं।

शुक्रवार को 22 साल के रहने वाले धर्मेश पाटनी को छत की ओर जाने वाले दरवाजे की रखवाली करते देखा गया, जबकि बाहर कुछ पुरुष हाथ में सॉफ्ट ड्रिंक की बोतलें लिए खड़े थे। उन्होंने कहा, ‘कल से अब तक करीब 1,500 से 2,000 लोग आ चुके हैं, जिसके कारण हमें ऐसे कदम उठाने पड़े। जबकि हर कोई विमान देखना चाहता है, लेकिन कोई यह नहीं समझ पा रहा है कि 64 साल पुरानी यह इमारत इतना ज्यादा भार नहीं उठा सकती। हम दुर्घटना से बच गए, अब हम इमारत के नीचे दबे नहीं रहना चाहते।’

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एनआईओएच में एक और साइंटिस्ट ने हादसे के बाद की स्थिति के बार में बताया। उन्होंने कहा, ‘एक बड़े धमाके के बाद, आग और धुएं की एक दीवार हमारी ओर बढ़ी। हम दीवार के उस हिस्से से सिर्फ 2-3 फीट की दूरी पर खड़े थे, जो उड़ते हुए मलबे से टूट गया था, जिसके बारे में हमें बाद में पता चला कि वह एक यात्री विमान था। जब हम वापस भागे, तो दो या तीन सेकंड के भीतर, धातु के हिस्से उड़ते हुए परिसर में आ गए।’

हाउसिंग सोसाइटी के लोगों का भी कहना है कि पहले तो उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि आग विमान दुर्घटना के कारण लगी है। दूसरी मंजिल पर रहने वाले दर्शन पाटनी कहते हैं, ‘हमने एक बहुत बड़ा धमाका सुना। मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, लेकिन जब हमने भीषण आग और धुआं देखा, तो हमने इमारत से सभी को बाहर निकाल दिया, क्योंकि हमें नहीं पता था कि और भी धमाके होने वाले हैं या नहीं।’

मेघानीनगर इलाके के कई लोगों का कहना है कि उस रात उन्हें नींद नहीं आई। शुक्रवार की शाम को, जब दर्शन और उनके बेटे योगेश अपने छत पर एक घिसे-पिटे सोफे पर बैठे थे, अपने पड़ोसियों से बातें कर रहे थे, तभी एक विमान इमारत के ऊपर से उड़ गया। सभी ने सहज रूप से ऊपर देखा। इन लोगों के लिए, एयरपोर्ट के पास रहना फिर कभी वैसा नहीं होगा जैसा पहले था।  विमान में सवार यात्रियों के अलावा मारे गए 33 लोगों को भी मुआवजा देगा Tata Group